धनबाद : बलियापुर थाना क्षेत्र के मुक्तेश्वर महतो हत्याकांड में गुरुवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश (तेरह) जनार्दन सिंह की अदालत ने बड़ादाहा (बलियापुर) निवासी जेल में बंद भोलानाथ महतो व निमाई महतो उर्फ निवारण महतो को उम्रकैद व पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. फैसला सुनाने के बाद अदालत ने दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. अपर लोक अभियोजक पावेल कोनगाड़ी ने सजा के बिंदु पर बहस की.
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मुक्तेश्वर हत्याकांड में दो को उम्रकैद
धनबाद : बलियापुर थाना क्षेत्र के मुक्तेश्वर महतो हत्याकांड में गुरुवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश (तेरह) जनार्दन सिंह की अदालत ने बड़ादाहा (बलियापुर) निवासी जेल में बंद भोलानाथ महतो व निमाई महतो उर्फ निवारण महतो को उम्रकैद व पांच-पांच हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. फैसला सुनाने के बाद अदालत ने दोनों को […]
क्या है मामला: 16 दिसंबर 16 को शाम सात बजे दोनों अभियुक्त मुक्तेश्वर महतो को ताड़ी पिलाने के लिए घर से बुला कर ले गये. ताड़ी पिलाने के बाद झोपड़ी के पास उसे मारपीट कर बुरी तरह से जख्मी कर दिया. बलियापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज दौरान उसकी मौत हो गयी. घटना के बाद मृतक के भतीजा चंदन महतो ने बलियापुर थाना में मामला (कांड संख्या 107/16 भादवि की धारा 302, 34) दर्ज कराया.
सीबीआइ का गवाह कुंभनाथ सिंह होस्टाइल
कुस्तौर घोटाला में कोल स्टाॅक को मैनेज करने के लिए पूर्व महाप्रबंधक एसपी सिंह की ओर से सीबीआइ इंस्पेक्टर लामा को पांच लाख रुपये रिश्वत देने के मामले की सुनवाई गुरुवार को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश (अष्टम) संजय कुमार की अदालत में हुई. अदालत में साक्षी करोड़पति ठेकेदार कुंभनाथ सिंह ने गवाही दी. उन्होंने घटना की पुष्टि नहीं की. अदालत ने उसे होस्टाइल करार दिया. साक्षी श्री सिंह ने अदालत को बताया कि मेरे पिताजी बीसीसीएल में काम करते थे. वह रिटायर हो गये हैं. कोयला व्यवसाय करने से पूर्व कुस्तौर एरिया में डीके सिंह फाॅर्म में कंपनी के काम की देखरेख करते थे.
वर्ष 2011 में बीसीसीएल के कुस्तौर एरिया के महाप्रबंधक एस पी सिंह थे. मैं उन्हें पहचानता हूं. उनसे मेरी बात मोबाइल पर होती थी. उनका मोबाइल नंबर मुझे याद नहीं है. अंतिम बार उनसे कब बात हुई थी, वह याद नहीं है. इस संदर्भ में मैने सीबीआइ को अपना बयान दिया था. यह ऋण एकरारनामा दिनांक 1.8.2011 की छाया प्रति है जो नोटरी के द्वारा सत्यापित है. इसे पहचान हेतु गुणा X/2 अंकित करें. यह एकरारनामा मेरे तथा अरविंद शर्मा के बीच हुआ था. इस एकरारनामा के जरिये अरविंद शर्मा से पांच लाख रुपये ऋण लिया था. उस पैसे को मैंने अपने व्यक्तिगत आवश्यकता पर खर्च किया था तथा उसे लौटा भी दिया था.
अभियोजन से सीबीआइ के लोक अभियोजक मुकेश कुमार सिन्हा ने साक्षी का मुख्य परीक्षण कराया, जबकि प्रतिपरीक्षण बचाव पक्ष के अधिवक्ता कुमार मनीष ने किया. बता दें कि सीबीआइ ने 4.8.11 को एसपी सिंह को पांच लाख रुपये इंस्पेक्टर एस लामा को घूस देते पकड़ा था. यह मामला आर.सी. 10/11 डी से संबंधित है.
मंत्री अमर बाउरी ने दायर की याचिका, सुनवाई आज
रेलवे न्यायिक दंडाधिकारी मो उमर की अदालत से सजा सुनाये जाने के एक माह बाद सूबे के खेल मंत्री अमर कुमार बाउरी ने गुरुवार को प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश रंजीत कुमार चौधरी की अदालत में क्रिमिनल अपील याचिका दायर की. अदालत में याचिका पर सुनवाई शुक्रवार को होगी. गत आठ जून को अदालत ने अमर कुमार बाउरी, कृपानाथ मुखर्जी, विकास तिवारी, लखन ख्वास, तपन कुमार महथा, अजित मिश्रा, सत्यनारायण महथा, विमल ठाकुर, अमीर ठाकुर,
धीरेंद्र रजवार, साधन प्रमाणिक व अतिलाल महतो को इंडियन रेलवे एक्ट की धारा 174(ए) के तहत दोषी पाकर एक-एक हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी थी. जुर्माना राशि अदा नहीं करने पर दो माह की सजा काटनी होगी. बाद में अदालत ने साजायाफ्ताओं को अपील याचिका दायर करने के लिए अंशकालिक जमानत दी थी. अपीलकर्ता की
ओर से अधिवक्ता सुरेश कुमार माली ने याचिका दायर की. यह मामला क्रिमिनल अपील याचिका संख्या-106/17 से संबंधित है.
क्या है मामला: सजायाफ्ताओं ने मार्च 2011 को झारखंड विकास मोरचा के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी के आह्वान पर आर्थिक नाकेबंदी के दौरान भोजुडीह रेलवे स्टेशन के इस्ट केबिन के पास रेलवे टैक को जाम कर रेलवे परिचालन बाधित किया था. भोजुडीह आरपीएफ प्रभारी यू शर्मा ने घटनास्थल से 12 लोगों को गिरफ्तार किया था. केस के आइओ ने 9 सितंबर 16 को आरोप पत्र अदालत में दायर किया.
श्रीराम जेनरल इंश्योरेंस को भुगतान का आदेश
जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष नित्यानंद सिंह सदस्य पुष्पा सिंह व नरेश प्रसाद सिंह की तीन सदस्यीय पीठ ने गुरुवार को संयुक्त रूप से आदेश पारित कर परिवादी भागा निवासी कामेंद्र कुमार सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया. फोरम ने विपक्षी संख्या-1 शाखा प्रबंधक श्रीराम जेनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड सीतापुर जयपुर (राजस्थान) को निर्देश दिया कि वह 40,500 रुपये साढ़े आठ फीसदी ब्याज के साथ आदेश की तिथि से परिवादी को भुगतान करे. फोरम ने कहा कि परिवादी एक लाख दो हजार पांच सौ पांच रुपये पाने का हकदार है.
क्या है मामला: परिवादी टाटा ट्रक संख्या जेएचइ 5 आर 8897 के मालिक हैं. विपक्षी संख्या 1 से पैकेज पाॅलिसी है, जिसकी अवधि 11.1.15 से 10.1.16 वैध है. यह गाड़ी विपक्षी संख्या-3 शाखा प्रबंधक श्रीराम जेनरल इंश्योरेंस ट्रांसपोर्ट फाइनेंस शास्त्री नगर धनबाद से ऋण प्रदत है एवं विपक्षी संख्या-1 व 2 शाखा प्रबंधक श्रीराम जेनरल इंश्योरेंस कंपनी से बीमित है. उक्त ट्रक 8.9.15 को दुर्घटनाग्रस्त हो गया. सूचना परिवादी ने विपक्षी 1 व 2 को दी.
उसने प्राक्कलन राशि का दावा 4 लाख 27 हजार रुपये किया. विपक्षी संख्या-1 ने दावे की राशि मात्र 85,000 निर्धारित कर विपक्षी संख्या-3 को हस्तांतरित कर दिया. परिवादी ने इसे स्वीकार नहीं किया. परिवादी ने विपक्षियों को 23 दिसंबर 15 को वकालतन नोटिस किया, लेकिन विपक्षियों ने कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया. दावा को खारिज कर दिया, यह मामला सीसी केस 2016 से संबंधित है.
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