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मोदी-शी मुलाकात पर चीन के प्रोपेगंडा को भारत ने झुठलाया, अब पाकिस्तान के साथ बढ़ायेगा सहयोग

बीजिंग/नयी दिल्ली : चीन प्रोपेगंडा के माध्यम से अपने राजनीतिक-कूटनीतिक हित साधने में माहिर है. चीन की ओर से जर्मनी के हैमबर्ग शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शी चिनिफंग के मुलाकात नहीं करने के बयान परभारत ने कहा है कि मोदी-शी की मुलाकात का तय कार्यक्रम पहले से नहीं था. यह सूचना विदेश मंत्रालय […]

बीजिंग/नयी दिल्ली : चीन प्रोपेगंडा के माध्यम से अपने राजनीतिक-कूटनीतिक हित साधने में माहिर है. चीन की ओर से जर्मनी के हैमबर्ग शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शी चिनिफंग के मुलाकात नहीं करने के बयान परभारत ने कहा है कि मोदी-शी की मुलाकात का तय कार्यक्रम पहले से नहीं था. यह सूचना विदेश मंत्रालय केसूत्रों ने दी है. उधर,डोकाला में भारतीय सेना के डटे होने से खारखाया चीन अब आर्थिक गलियारेसेपाकिस्तान के लिए माल-परिवहनशुरू करने की तैयारी में है.


जुड़ जायेगा चीन और पाकिस्तान

चीन अरबों डॉलर के चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से पाकिस्तान के लिए सड़क और रेल माल ढुलाई सेवाशुरू करने की योजना बना रहा है.नयी लाइन चीन के उत्तर पश्चिमी गानसू प्रांत की राजधानी लानझोउ को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को जोड़ेगी और झंगिनजियांग उग्यूर स्वायत्त क्षेत्र के कासगर से गुजरेगी. सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने लानझोउ इंटरेनशनल ट्रेड एंड लोजिस्टिक्स पार्क के निदेशक शू चुनहुआ के हवाले से यह जानकारी दी. हालांकि यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह सेवा कब शुरू की जाएगी लेकिन इससे भारत चिंतित हो सकता है.

यह भी ध्यान रहे कि पिछले साल मई में लानझोउ और काठमांडो के बीच रेल और रोड माल ढुलाई सेवा शुरू की गयी थी. शू ने कहा कि माल ढुलाई सेवा का दक्षिण एशियाई देशों ने स्वागत किया है.

वर्ष 2016 में चीन और नेपाल के बीच द्विपक्षीय व्यापार तीन अरब युआन : 44 करोड़ डाॅलर : का था और इस साल इस व्यापार के बढकर 10 अरब युआन तक पहुंचने की अनुमान है.

पिछले दिसंबर में चीन ने 50 अरब डाॅलर के चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के पश्चिमी मार्ग से निर्यात के लिए चीनी वस्तुओं का पहला व्यापारिक खेपशुरू किया था और इसे ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से भेजा था. यह गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के रास्ते जा रहा है.

हैम्बर्ग में शी-मोदी की भेंट के लिए ‘ ‘माहौल सही नहीं ‘ ‘

बीजिंग : सिक्किम सेक्टर में दोनों देशों की सेना के बीच जारी गतिरोध के बीच बीजिंग ने आज कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्रीनरेंद्रमोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनिफंग की द्विपक्षीय वार्ता के लिए ‘ ‘माहौल सही नहीं है. ‘ ‘ हालांकि दोनों नेता कल होने वाले ब्रिक्स देशों की बैठक में भाग लेंगे.

जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में कल से शुरु हो रहे जी20 शिखर सम्मेलन से पहले चीनी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘ ‘राष्ट्रपति शी और प्रधानमंत्री मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता के लिए माहौल सही नहीं है. ‘ हालांकि नयी दिल्ली में भारतीय सूत्रों का कहना है कि जी20 शिखर सम्मेलन से इतर कल ब्रिक्स नेताओं की बैठक होनी है. इस बैठक में अन्य नेताओं के साथ-साथ मोदी और शी के उपस्थित रहने की भी संभावना है. यह संकेत है कि हैम्बर्ग में दोनों नेताओं के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता का कार्यक्रम तय नहीं है.


क्या है वजह?

पीएलए की निर्माण शाखा द्वारा सड़क बनाने का प्रयास किये जाने के बाद चीन और भारत के बीच पिछले 19 दिनों से भूटान-चीन-भारत सीमा पर डोकलाम क्षेत्र में गतिरोध चल रहा है. इस क्षेत्र का भारतीय नाम डोक ला है जबकि भूटान इसे डोकलाम और चीन इसको डोंगलांग कहता है.

खबरें थीं कि गतिरोध को खत्म करने के लिए दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच हैम्बर्ग में बैठक हो सकती है. संवाददाता सम्मेलन के दौरान जब जी20 से इतर दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच वार्ता पर सवाल किया गया तो चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग ने आशा जतायी कि ‘ ‘चीन-भारत सीमावर्ती क्षेत्र में शांति बरकरार रखने के लिए भारत तुरंत अपनी सैन्य टुकड़ी को भारतीय सीमा में वापस बुला लेगा.’ ‘ जेंग ने कहा, ‘ ‘मुझे लगता है कि दोनों पक्षों के बीच किसी अर्थपूर्ण वार्ता के लिए यह पूर्व शर्त है. ‘ ‘ उन्होंने हालांकि, कहा कि सम्मेलन से इतर कल ब्रिक्स नेताओं की बैठक होगी जिसमें शी और मोदी दोनों भाग लेंगे.

शी-मोदी की बैठक की संभावनाओं पर जेंग ने कहा, समय-समय पर संबंधित सूचना जारी की जाएगी.

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