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मासूमों पर वहशी निगाहें, पॉक्सो कस रहा है फंदा

विजय सिंह पटना : कानून कड़ा है. सख्ती है, पुलिस की तफतीश और अदालत की सजा है पर वहशी नजरें अब भी मासूमों पर गड़ी हैं. चार साल का बच्चा हो या किशोर-किशोरियां सब घिनौनी हरकत के शिकार हो रहे हैं. सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों पर लगाम लगाने और अपराधियों […]

विजय सिंह
पटना : कानून कड़ा है. सख्ती है, पुलिस की तफतीश और अदालत की सजा है पर वहशी नजरें अब भी मासूमों पर गड़ी हैं. चार साल का बच्चा हो या किशोर-किशोरियां सब घिनौनी हरकत के शिकार हो रहे हैं. सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों पर लगाम लगाने और अपराधियों को सलाखों के पीछे धकलेने के लिए संशोधित पॉक्सो एक्ट अपना काम ताे कर रहा है पर ऐसी हरकतें रुकने का नाम नहीं ले रही हैं.
हालांकि कानून के एक्सपर्ट कहते हैं कि जागरूकता आने की वजह से मामले लगातार दर्ज हो रहे हैं इस कारण संख्या बढ़ी हुई दिखाई दे रही है. चौंकाने वाली बात यह है कि पॉक्सो के जितने मामले सामने आ रहे हैं, उनमें घटना को अंजाम देने वाले करीब 60 प्रतिशत करीबी रिश्तेदार हैं. जैसे पड़ोस के रहने वाले चाचा, दादा, चचेरे भाई और दूर के रिश्तेदार अकसर ऐसी हरकत करते हैं, जिससे रिश्ते शर्मसार होते हैं.
ऐसे होती हैं घटनाएं : शहरी और ग्रामीण दोनों परिवेशों में इस तरह की घटनाएं ताबड़तोड़ हो रही हैं. अकसर छोटे बच्चों को टॉफी-चाकलेट देने के बहाने मानसिक विकृति वाले लोग किसी सुनसान जगह पर ले जाते हैं और उनका यौन उत्पीड़न करते हैं. कई बार तो ऐसी हरकतें करने के बाद या तो मासूमों को मार दिया जाता है या फिर प्राइवेट पार्ट को गहरी चोट पहुंचायी जाती है.
बिहार में चार साल में चार गुना बढ़ गये पॉक्सो के मामले
2012 में दिल्ली के निर्भया कांड के बाद पूरे देश में हुए हंगामा, प्रदर्शन के बाद संशोधन के तहत पॉक्सो एक्ट को और कड़ा कर दिया गया. बिहार में पिछले चार वर्षों के आंकड़ाें को देखें, तो इस एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामलों की संख्या चार गुनी बढ़ गयी है. 2013 में 223 केस दर्ज हुए तो 2016 में यह आंकड़ा 950 तक पहुंच गया. सबसे अधिक 2015 में 997 मामले दर्ज हुए. पाॅक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामलों में बिहार पुलिस की कार्रवाई बेहतर दिखती है. चार वर्षों में दर्ज मामलों में से 75 % में पुलिस ने चार्जशीट कर दिया है. 92 केसों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी है.
चार साल में पॉक्सो एक्ट की कार्रवाई के आंकड़े
कांडों की संख्या 2716
इन केसों में आरोप पत्र दाखिल 2036
इतने मामले न्यायालय में पेंडिंग 1757
थानों में पेंडिंग केसों की संख्या 588
इतने में लगी फाइनल रिपोर्ट 92
इतने आरोपितों को मिली सजा 83
इतने हो गये बरी 196
ऐसे बढ़ते गये पॉक्सो के मामले
2013 223
2014 546
2015 997
2016 950
2012 से 2016 तक टॉप टेन जिले जहां सर्वाधिक दर्ज हुए मामले
जिले दर्ज केस
पटना 277
बेतिया 146
मधुबनी 131
भोजपुर 120
वैशाली 120
गया 101
औरंगाबाद 98
पूर्णिया 98
भागलपुर 94
नालंदा 91
क्या है पॉक्सो एक्ट
प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंस एक्ट (पॉक्सो एक्ट)
1992 में प्रिवेंशन अाॅफ चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज कानून बना था. वर्ष 2012 में प्रिवेंशन अाॅफ चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज कानून में संशोधन किया गया. एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012. इस एक्ट के तहत बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध के मामलों में कार्रवाई की जाती है. यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है.

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