मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने अभिनेता संजय दत्त को 1993 के सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में जेल से जल्दी रिहा करने के फैसले को न्यायोचित ठहराने के लिए महाराष्ट्र सरकार को दो हफ्ते का समय दिया. दत्त को हथियार रखने के जुर्म में पांच साल की सजा सुनायी गयी थी. ये हथियार उस खेप में शामिल थे जिनका उपयोग मुंबई में 12 मार्च 1993 के विस्फोटों में किया गया था. उस घटना में 257 लोगों की मौत हो गयी थी जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.
अभिनेता इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान जमानत पर थे. उच्चतम न्यायालय ने जब उनकी दोषसिद्धि को कायम रखा तो उन्होंने मई 2013 में आत्मसमर्पण कर दिया था. दत्त को उनके अच्छे आचरण के कारण फरवरी 2016 में निर्धारित समय से करीब आठ महीना पहले ही यरवदा जेल से रिहा कर दिया गया था.
न्यायमूर्ति आर एम सावंत और न्यायमूर्ति साधना जाधव की पीठ ने पिछले महीने राज्य सरकार को हलफनामा दाखिल कर स्पष्ट करने का निर्देश दिया था कि किन आधारों पर दत्त को समय से पहले रिहा किया गया. पुणे के निवासी प्रदीप भालेकर द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह निर्देश दिया गया.
अतिरिक्त लोक अभियोजक पी शिंदे ने आज उच्च न्यायालय से कहा कि राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी इस मामले में अदालत में पेश होंगे. उन्होंने हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देने का अनुरोध किया. उसके बाद अदालत ने सुनवाई दो हफ्ते के लिए स्थगित कर दी.