14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जीएसटी की चुनौतियां-3: जीएसटी काउंसिल अधिक सक्रिय भूमिका निभाये

कीमतें क्या होंगी, यह कहना अभी काफी मुश्किल है. मौजूदा कीमतों में से कई करों को पहले हटाना होगा. उसके बाद जीएसटी लगा कर देखना होगा. यह सही है कि शुरुआत में कुछ समस्याएं आयेंगी. हर नयी प्रणाली को लागू करते वक्त ऐसी मुश्किलें आती हैं. पढ़िए तीसरी कड़ी. 30 जून की आधी रात को […]

कीमतें क्या होंगी, यह कहना अभी काफी मुश्किल है. मौजूदा कीमतों में से कई करों को पहले हटाना होगा. उसके बाद जीएसटी लगा कर देखना होगा. यह सही है कि शुरुआत में कुछ समस्याएं आयेंगी. हर नयी प्रणाली को लागू करते वक्त ऐसी मुश्किलें आती हैं. पढ़िए तीसरी कड़ी.
30 जून की आधी रात को संसद भवन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) को लाॅन्च किया. जीएसटी वर्ष 2017 में लागू तो हुअा, लेकिन इसे लागू करने में लगभग 17 वर्ष लग गये. वर्ष 2007 में जीएसटी का मॉडल व रोडमैप तैयार करने के लिए एक समिति बनायी गयी. इसका चेयरमैन मुझे बनाया गया था. उस दौरान समिति ने विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्रियों और आर्थिक विशेषज्ञों से बात की थी. हम लोगों ने 2009 के 10 नवंबर को अपना जीएसटी मॉडल व रोडमैप जमा कर दिया था. यह वही मॉडल है, जो लागू हुआ है. जीएसटी के लागू होने के बाद कई चुनौतियां भी देखी जा रही हैं. इन चुनौतियों पर पूर्ण रूप से ध्यान देने की जरूरत है, अन्यथा सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बाधित हो सकता है.
सबसे पहली जो चुनौती नजर आती है, वह सामग्री की दर को लेकर है. निजी तौर पर मुझे नहीं लगता कि इतने अधिक टैक्स स्लैब्स की जरूरत थी. वैट में भी शुरुआत में 15-16 स्लैब थे. हमने इसे दो स्लैब में लाया था. जीएसटी में भी अधिक से अधिक कर के दो ही स्लैब होने चाहिए थे. इसके अलावा कुछ सामग्री पर लगनेवाली दर पर बड़ी तादाद में लोगों को आपत्ति है. खासकर व्यापारी वर्ग ने इस पर आपत्ति जतायी है. दूसरी समस्या जीएसटी को लागू करने के लिए तैयारियों के संबंध में है. अभी भी देश में ऐसे कई व्यापारी हैं, जिनका वास्ता कंप्यूटर से नहीं है. उन्हें इसका रिटर्न दाखिल करना नहीं आता. केंद्र सरकार को चाहिए कि राज्य सरकारों के साथ मिलकर कियोस्क सरीखा शिविर लगाये, जहां वह प्रशिक्षित लोगों को भेजे. ये लोग भविष्य के लिए भी कारगर साबित होेंगे, बतौर ऐसेट ये स्थापित होंगे.
अधिक कर लगने संबंधी समस्याओं पर भी विचार करना जरूरी है. इसके लिए जीएसटी काउंसिल को नियमित रूप से बैठक कर इस बाबत फैसला लेना होगा. इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार को ट्रेड-बॉडीज तथा चैंबर्स के साथ मिलकर इसे लागू करने के लिए हर राज्य में एक मुख्यालय बनाना चाहिए. फिलहाल लोगों को जीएसटी को लेकर सही जानकारी हासिल नहीं हो पा रही है. इसके लिए छोटे व्यापारियों को ध्यान में रख कर लगातार जागरूकता शिविर का आयोजन करना चाहिए. यह शिविर जिला स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक होना चाहिए. दिक्कतों का निवारण किया जा सकता है. कई लोग जीएसटी से कीमतों के बढ़ने की बात कह रहे हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा सचमुच है. मीडिया में भी इस संबंध में कुछ भ्रामक तथ्य आ रहे हैं. कीमतें क्या होंगी, यह कहना अभी काफी मुश्किल है. मौजूदा कीमतों में से कई करों को पहले हटाना होगा.

उसके बाद जीएसटी लगा कर देखना होगा. यह सही है कि शुरुआत में कुछ समस्याएं आयेंगी. हर नयी प्रणाली को लागू करते वक्त ऐसी मुश्किलें आती हैं. कमोबेश ऐसी ही समस्या वैट को लागू करने के दौरान आयी थी. मेरा मानना है कि जीएसटी काउंसिल को लगातार बैठकें कर के हो रही समस्याओं पर विचार कर रास्ता निकालना चाहिए. जरूरत जीएसटी काउंसिल द्वारा इस वक्त सक्रिय भूमिका निभाने की है. यह स्पष्ट है कि इस प्रणाली में जो निहित लाभ हैं, वे देश के लिए काफी लाभकारी साबित होंगे.
(असीम दासगुप्ता पश्चिम बंगाल के पूर्व वित्त मंत्री और जीएसटी का मॉडल व रोडमैप तैयार करने के लिए बनी समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं. (अमित शर्मा के साथ हुई बातचीत पर आधारित)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें