क्या गोरक्षकों द्वारा की जा रही हिंसा, कहने का अर्थ है कि गोमांस के नाम पर भारतीयों की हत्या, भारत की एक समस्या है? अगर ऐसा है, तो इसके हल के लिए क्या किया जा सकता है? वेबसाइट इंडियास्पेंड की रिपोर्ट के अनुसार, गोमांस के नाम पर 97 प्रतिशत हिंसा नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद हुई है. केंद्र और महाराष्ट्र, हरियाणा व अन्य दूसरे भाजपा शासित राज्यों में सरकार द्वारा गोमांस पर प्रतिबंध लगाये जाने को बढ़ावा दिये जाने के बाद ये हत्याएं शुरू हुई हैं. यहां तथ्य एकदम स्पष्ट है और उसके बारे में जानने के लिए पिछले कुछ हफ्ते में देशभर में जो घटनाएं घटी हैं, आइये उस पर एक नजर डालते हैं.
झारखंड, 29 जून: रांची के नजदीक रामगढ़ में अलीमुद्दीन नाम के एक व्यापारी पर भीड़ ने हमला किया और उसकी हत्या कर दी. यह घटना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हिंसा का विरोध करने के कुछ घंटे बाद घटी.
झारखंड, 27 जून: करीब 100 लोगों की भीड़ ने दुग्ध उत्पादक उस्मान अंसारी की पिटाई की और उसके घर के एक हिस्से को आग लगा दी. रिपार्ट के अनुसार, उस्मान के घर के बाहर एक मरी हुई गाय दिखायी देने के बाद भीड़ ने उसे पीटा. पुलिस अधिकारियों ने पत्रकारों को बताया कि हमलावरों ने उनके ऊपर भी पत्थर फेंके, जिसमें 50 पुलिसकर्मी घायल हो गये.
पश्चिम बंगाल, 24 जून: पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर में निर्माण कार्य में लगे तीन मजदूराें नसीरुल हक, मोहम्मद समीरुद्दीन और मोहम्मद नसीर को भीड़ ने गाय चोरी के आरोप में पीटा. इस संबंध में अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज हो चुका है.
हरियाणा, 22 जून: 15 वर्षीय जुनैद खान को हरियाणा में एक ट्रेन में भीड़ ने चाकू गोद कर मार डाला. जुनैद को गोमांस भक्षक कहा गया था और चाकू मारने से पहले उसकी टोपी फेंक दी गयी थी. इसमें उसका भाई बुरी तरह जख्मी हो गया था. इस घटना में बच गये पीड़ितों ने मीडिया से कहा कि हमले में 20 लोग शामिल थे. राज्य पुलिस ने इस संबंध में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है.
महाराष्ट्र, 26 मई: महाराष्ट्र के मालेगांव में गोमांस रखने के संदेह में दो मुसलिम मांस व्यापारियों पर गोरक्षक दल ने हमला किया. घटना के वीडियो फूटेज में- उन व्यापारियों को चांटा मारा गया व गालियां दी गयीं और उनसे जय श्रीराम बोलने को कहा गया. इस घटना के संबंध में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है. दोनों व्यापारियों पर भी धार्मिक भावनाएं भड़काने के लिए आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया है.
असम, 30 अप्रैल: गाय चोरी के संदेह में अबू हनीफा और रियाजुद्दीन अली को असम के नागांव में भीड़ द्वारा मार डाला गया. इस मामले में पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया है, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
राजस्थान, 1 अप्रैल: 55 वर्षीय किसान पहलू खान, दुग्ध उत्पादक और चार अन्य मुसलमानों पर राजस्थान के अलवर राजपथ के नजदीक भीड़ ने हमला कर दिया था. हमले के दो दिन बाद खान की मौत हो गयी थी. भीड़ ने इन लोगों पर गाय तस्करी का झूठा आरोप लगाया था. हत्या के बाद राजस्थान के गृहमंत्री ने अपने एक बयान में इस हत्या को न्यायोचित ठहराते हुए कहा था कि खान गौ-तस्कर के परिवार से ताल्लुक रखते थे. इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
जब 27 जून को झारखंड में भीड़ द्वारा हत्या की घटना के बाद ऐसी वारदातों के विरोध में देशभर में रैलियां हुईं और कहा गया कि ये हत्याएं सरकारी संरक्षण में हुई हैं और इन्हें बंद होना चाहिए. इसके कुछ दिन बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत में हिंसा का कोई स्थान नहीं है. आइये हम एक ऐसे भारत का निर्माण करते हैं, जिस पर गांधीजी गर्व करें.’ इस ट्वीट के साथ दो मिनट सोलह सेकेंड का एक वीडियो भी संलग्न था. इस वीडियो में 29 जून को गुजरात में गोवध के संबंध में मोदी द्वारा कही गयी बातें शामिल थीं. इसमें एक मिनट पैंतालिस सेकेंड की क्लिप में मोदी द्वारा गोरक्षा की सराहना की गयी है और अंतिम के 30 सेकेंड में वे हिंसा पर बोलते हैं, लेकिन केवल इतना कि हिंसा अस्वीकार्य है. बेशक यही है, प्रधानमंत्री द्वारा हमसे इस बात को कहने की जरूरत नहीं है. हमसे प्रधानमंत्री को यह कहने की जरूरत है कि ये हत्याएं क्यों हो रही हैं और इसे रोकने के लिए वे क्या करेंगे? उन दो मिनट सोलह सेकेंड के वीडियो में इस समस्या की प्राथमिकताओं को समझा जा सकता है.
जब तक मोदी और भाजपा गोरक्षा को बढ़ावा देते रहेंगे, भारत में गोरक्षक पैदा होते रहेंगे. इसे समझना मुश्किल नहीं होगा. यहां दूसरी समस्या है और वह मोदी और भाजपा द्वारा इस बात को अस्वीकार करना है कि गोरक्षकों की गतिविधियों में सांप्रदायिक दृष्टिकोण शामिल है. मांस और चमड़ा मुसलमान और दलितों का पेशा है. ये वे समुदाय हैं, जो गोरक्षा के कारण असुरक्षित हो जाते हैं और इससे इनकार करना पाखंड करना होगा. झारखंड में हाल में हुई हत्या के बाद केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि इसे धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. यहां समस्या यह है कि आंकड़े बताते हैं कि नायडू गलत हैं. गोरक्षा कार्यक्रम के तहत अगर केवल या ज्यादातर मुसलमानों पर हमले होते हैं और उनकी हत्या होती है, तो यह धर्म से जुड़ा मामला है.
इस मामले में कांग्रेस की स्थिति भी सही नहीं है और गुजरात में तो उसने गोरक्षा के पक्ष में बयान दिया है. पूर्व केंद्रीय मंत्री चिंदबरम ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा अपने भाषण में गोरक्षकों को चेतावनी देने के एक दिन बाद ही झारखंड में मोहम्मद अलीमुद्दीन की भीड़ ने हत्या कर दी. जाहिर है कि हत्यारी भीड़ को प्रधानमंत्री का डर नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने गोरक्षक और हत्यारी भीड़ को चेतावनी दी थी. अच्छा है. अब उन्हें देश को यह बताना होगा कि वे अपने आदेश को किस तरह लागू करेंगे.
इंडियास्पेंड के मुताबिक, 2016 में इस तरह के 25 हमले हुए थे. 2017 में केवल छह महीने में ही ऐसे 21 हमले हो चुके हैं. यह समस्या बढ़ रही है और प्रत्यक्ष है. पूरी दुनिया इस बात की प्रतीक्षा कर रही है कि कैसे मोदी इस समस्या का अंत करते हैं.
आकार पटेल
कार्यकारी निदेशक, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया
aakar.patel@me.com