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चार माह तक नहीं गूंजेगी शहनाई अंतिम लग्न तीन जुलाई को हुआ समाप्त

आरा : अगले चार माह तक शादी-ब्याह की शहनाई नहीं गूंजेगी. आज हरिशयनी एकादशी है. इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और चार माह बाद देवोत्थान एकादशी के दिन उनका जागरण होता है. इस चार माह के समय को चातुर्मास कहते हैं. इस दौरान समस्त मांगलिक व वैवाहिक कार्य बंद हो […]

आरा : अगले चार माह तक शादी-ब्याह की शहनाई नहीं गूंजेगी. आज हरिशयनी एकादशी है. इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और चार माह बाद देवोत्थान एकादशी के दिन उनका जागरण होता है. इस चार माह के समय को चातुर्मास कहते हैं. इस दौरान समस्त मांगलिक व वैवाहिक कार्य बंद हो जाते हैं. भगवान के जागरण बाद पुन: शादी-ब्याह शुरू होता है. इसलिए इस बार का अंतिम लग्न तीन जुलाई को समाप्त हो गया.

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार आज यानी मंगलवार को हरिशयनी एकादशी व्रत है. इस दिन सूर्योदय 5.14 बजे और एकादशी तिथि रात 1.12 बजे तक है. इस दिन व्रत-पूजन का सहस्त्र गुना फल मिलता है. इस दिन संपूर्ण दिन-रात विशाखा नक्षत्र, नक्षत्र स्वामी वृहस्पति, सिद्ध व साध्य योग तथा श्रीवत्स नामक महाऔदायिक योग है. नक्षत्र स्वामी वृहस्पति होने से भगवान विष्णु के पूजन के लिए यह उत्तम दिन है.

चातुर्मास में कृषि पर जोर : वेदों व पुराणों में वर्णित तथ्यों पर गौर करें, तो इस दौरान सभी मांगलिक व वैवाहिक कार्य रोकने के पीछे सामाजिक-आर्थिक कारण है. यह बरसात का समय होता है, इस दौरान किसानों का पूरा जोर कृषि पर होता है. कृषि कार्य में कोई बाधा उत्पन्न न हो, इसलिए वैवाहिक कार्यक्रम इस समय बंद कर दिया जाता है, ताकि पहले हम अर्थ की व्यवस्था कर लें, फिर उससे सामाजिक कार्यों को संपन्न करें. भारतीय संस्कृति में हर चीज के लिए अलग-अलग समय निर्धारित किया गया है. इसीलिए यह महान संस्कृति है, इसमें अर्थव्यवस्था से लेकर सामाजिक-सांस्कृतिक सभी गतिविधियों के लिए समान अवसर मिलता है.
साधु भ्रमण रोक देते हैं
इन चार महीनों में साधु-महात्मा अपने भ्रमण कार्यक्रम को रोक देते हैं और एक स्थान पर रहकर चातुर्मास बिताते हैं. चूंकि यह बरसात का समय होता है. पहले नाले-नदियां उफना जाते थे और मार्ग अवरुद्ध हो जाते थे. इसलिए संत भ्रमण रोक देते थे.

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