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आचार्य महाश्रमणजी का चतुर्मासिक मंगल प्रवेश
कोलकाता. अहिंसा के महासूर्य शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमणजी का अपनी धवल सेना के साथ राजारहाट स्थित नवनिर्मित परिसर महाश्रमण विहार में चतुर्मासिक प्रवास के लिये भव्य एेतिहासिक प्रवेेश हुआ. सर्वप्रथम गुरु वंदना में कोलकाता श्रावक समाज की तरफ से भव्य रैली निकाली गयी, जिसमें 13 आचार्यों के नाम से 13 स्तंभ बनाये गये. हजारों लोगों […]
कोलकाता. अहिंसा के महासूर्य शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमणजी का अपनी धवल सेना के साथ राजारहाट स्थित नवनिर्मित परिसर महाश्रमण विहार में चतुर्मासिक प्रवास के लिये भव्य एेतिहासिक प्रवेेश हुआ. सर्वप्रथम गुरु वंदना में कोलकाता श्रावक समाज की तरफ से भव्य रैली निकाली गयी, जिसमें 13 आचार्यों के नाम से 13 स्तंभ बनाये गये. हजारों लोगों की अनुशासित रैली के साथ आचार्य श्री महाश्रमणजी ने चतुर्मास प्रवास स्थल पर चरण न्यास किया. पूज्य प्रवर के मंगल पाठ से संस्थान का आध्यात्मिक लोकार्पण हुआ. प्रवेश से पूर्व विनय के महासागर आचार्य प्रवर ने महाश्रमणी साध्वी प्रमुखाश्रीजी से मंगल पाठ सुना.
पूरी जनमेदनी मंगल वाणी से कृत्य- कृत्य हो उठी. महाश्रमण विहार में गूंज उठा जय जय महाश्रमण का नारा. कल्याण मित्र परिवार के सर्वेसर्वा श्री बुद्धमलजी दुगड़ द्वारा महाश्रमण विहार का विधिवत लोकार्पण किया गया. इस समय दुगड़ परिवार के सुरेन्द्र कुमार, तुलसी कुमार, कमल कुमार दुगड़ एवं सभी परिजन उपस्थित थे.
यह एक विराट संस्थान समाज के उपयोग के लिए बनाया गया है. इसके विभिन्न विभागों का विशिष्ट उदार परिवारों द्वारा लोकार्पण किया गया. इसमें तीन विशिष्ट सभागार बनाये गये जिसमें तुलसी सभागार का लोकार्पण भीकमचंदजी सुशीला देवी पुगलिया, (श्री डुंगरगढ, कोलकाता) द्वारा किया गया. महाप्रज्ञ सभागार स्वर्गीय मूलचंदजी मालू के सुपुत्र विकास मालू, (दिल्ली, सरदारशहर) द्वारा निर्मित किया गया. महाश्रमण सभागार को रणजीत सिंह विकास कोठारी (चुरु – कोलकाता) द्वारा लोकार्पित किया गया. तत्पश्चात नवनिर्मित श्री तुलसी एकेडमी प्रांगण लोकार्पण किया गया एवं आध्यात्मिक ब्लॉक में मेडिटेशन सेंटर का भी दुगड़ परिवार द्वारा गुरु सान्निध्य में लोकार्पण हुआ. इसी क्रम में रिक्रियेशन सेंटर के पांचवी तल्ले बीएमडी पेवेलियन के निर्माण में बुद्धमल दुगड़ परिवार का योगदान रहा.
एफटीसी पेवेलियन के निर्माण में फतेहचंद सूरज संदीप चण्डालिया का योगदान रहा. बंगाल एनर्जी पेवेलियन में पुष्पा देवी ओम सुमन जालान का योगदान रहा. ईमामी पेवेलियन में राधेश्याम अग्रवाल एवं राधेश्याम गोयनका परिवार का विशिष्ट योगदान रहा. रिक्रेयशन सेन्टर में ताराचन्द, जतनलाल, पारसमल रामपुरिया परिवार से वर्चुअल गेम घर, सुरेन्द्र कुमार, संदीप कुमार, संजय कुमार खटेड़ परिवार द्वारा टेबल टेनिस हॉल तथा पदमचन्द, सुशील कुमार, क्रितेश, विशेष चौपड़ा परिवार द्वारा किड्स जोन को लोकार्पित किया गया. इस प्रकार महाश्रमण विहार में अलग अलग विभाग में अनेक उदार दानदाताओं के सहयोग से निर्माण कार्य निष्पत्तिजनक बना. आचार्य प्रवर समस्त चारित्रात्माओं के साथ नवनिर्मित पंडाल में पधारे. गुरु अभिवंदना में आयोजित स्वागत व अभिवंदना कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ. सर्वप्रथम महिलाओं द्वारा मंगलगीत पेश किया गया.आचार्य महाप्रज्ञ महाश्रमण एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के प्रधान न्यासी भीखमचंद पुगलिया एवं अध्यक्ष सुरेन्द्र दुगड़ ने पूज्यप्रवर का स्वागत व अभिनंदन किया. आचार्य श्री महाश्रमण चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति की महामंत्री सूरज बरड़िया ने आचार्य प्रवर के स्वागत में भावों की अभिव्यक्ति दी. आइएएस अधिकारी हिडको के चेयरमैन देवाशीष सेन, विधान नगर के मेयर सब्यसाची दत्ता, आइएएस अधिकारी सी. एम. बच्छावत, सिम्पलेक्स के निदेशक राजीव मुंधड़ा आदि गणमान्य व्यक्तियों ने पूज्यप्रवर के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया. विख्यात उद्योगपति शंकर बागड़ी, आइपीएस अधिकारी जगमोहनजी, बीएसएफ के आइजी हेमन्त लोहिया, राजस्थान सरकार के डीजीपी राजीव दासोत ने पूज्य प्रवर का आशीर्वाद प्राप्त किया. विकास परिषद् के सदस्य बनेचंद मालू, आचार्य श्री महाश्रमण चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष कमल दुगड़ ने स्वागत व अभिवंदना की. साथ ही अभिनंदनपत्र वाचन किया. अध्यक्ष महोदय के साथ सभी सभाओं के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनोदजी बैद, सुरेन्द्रजी बोरड़, सुरेन्द्रजी चौरड़िया, रणजीतजी कोठारी, सुरेन्द्रजी दुगड़, भीखमचंदजी पुगलिया, श्रीमती सूरज बरड़िया, विजयजी बावलिया, जयकरण बच्छावत, भंवरलालजी बैद आदि पदाधिकारिओं ने अभिनंदन पत्र पूज्य प्रवर के श्रीचरणों में समर्पित किया. अभिवंदन की श्रृंखला में वरिष्ठ उपाध्यक्ष तुलसीजी दुगड़ के निर्देशन से बने स्मृतिफलक के रूप में एक कलात्मक कलम पूज्य प्रवर को समर्पित की गयी. कोलकाता श्रावक समाज द्वारा पूज्यप्रवर के स्वागत में सुमधुर गीतिका की प्रस्तुति दी. पूज्यगुरुदेव ने कहा कि धर्म उत्कृष्ट मंगल है. धर्म का शरण स्वीकार कर जीवन को धर्ममय बनाना ही मंगल को प्राप्त करना है. अहिंसा संजमों तवो – अहिंसा, संयम और तप ही धर्म का सार है. जीवन को अहिंसामय, संयममय और तपोमय बनाने का प्रयास करें. क्रोध, मान, माया लोभ व्यक्ति को हिंसा की तरफ धकेलते हैं.
अहिंसा को फलीभूत करने के लिए अभय की साधना जरूरी है. मन, वाणी और इन्द्रियों का संयम करें तथा सम्यक परिश्रम से सिद्धि प्राप्ति होती है. जिसका मन धर्म में रमा रहता है उसे देवता भी नमस्कार करते हैं. चतुर्मास में तपस्या का क्रम चलना चाहिए. चतुर्मास में ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की आराधना विशेष रूप से होनी चाहिए. अहिंसा यात्रा के प्रमुख सूत्र सद्भावना, नैतिकता एवं नशामुक्ति का अभियान चले. जाति संप्रदाय के आधार पर मार, काट, हिंसा को न पनपने दें. सभी कार्यों में प्रामणिकता रहे. नशामुक्त समाज बने. साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभाजी ने उपस्थित जनमेदिनी को दिशाबोध दिया. मुख्य नियोजिका साध्वीश्री विश्रुतविभाजी, मुख्य मुनि श्री महावीर कुमारजी एवं साध्वीवर्याजी ने अपने प्रेरक विचार रखें. कोलकाता के सभा के अध्यक्ष तेजकरण बोथरा, दक्षिण हावड़ा सभा के अध्यक्ष शिखरचंद लुणावत, उत्तर हावड़ा सभा के अध्यक्ष जतन पारख, साउथ कोलकाता सभा के अध्यक्ष विजय सिंह चौरड़िया, उत्तर कोलकाता सभा के अध्यक्ष राजेन्द्र संचेती, हिन्द मोटर सभा के अध्यक्ष गुलाबचंद बाफना ने स्वागत एवं अभिवंदना की.
महिला मंडल कोलकाता की अध्यक्ष अमराव चौरड़िया, उत्तर हावड़ा की अध्यक्ष कंचन पारख, दक्षिण हावड़ा की अध्यक्ष शीला नाहटा, हिन्द मोटर की अध्यक्ष गिन्नी सुराणा, रिसड़ा की अध्यक्ष प्रमीला भंसाली, उत्तरपाड़ा की अध्यक्ष राज बोथरा, लिलुआ की अध्यक्ष बिमला बोथरा ने अपनी सामूहिक अभिवंदना व्यक्त की एवं तेरापंथ युवक परिषद कोलकाता के अध्यक्ष अमित तातेड़, साउथ कोलकाता के अध्यक्ष मनीष सेठिया, दक्षिण हावड़ा के अध्यक्ष राजेश दुगड़, उत्तर हावड़ा के अध्यक्ष विकास श्यामसुखा, पूर्वांचल के अध्यक्ष रतन श्यामसुखा, हिन्द मोटर के अध्यक्ष आशीष जैन, लिलुआ के अध्यक्ष पंकज दुगड़ ने अपना समय विसर्जन करते हुए सामूहिक अभिवंदना की. प्रोफेशनल फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश मालू के नेतृत्व में प्रोफेशनल फोरम कोलकाता के अध्यक्ष राजकुमार कोठारी, साउथ कोलकाता के अध्यक्ष जयचंद लाल मालू, साउथ हावड़ा के अध्यक्ष गौतम दुगड़, पूर्वांचल के अध्यक्ष सुशील चोपड़ा, उत्तर हावड़ा के अध्यक्ष राकेश सिंघी सभी ने सामूहिक गीत से आचार्यश्री का स्वागत किया. अणुव्रत समिति के अध्यक्ष महेन्द्र पारख, जीवन विज्ञान एकाडमी के अध्यक्ष प्रकाश नाहर ने विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम का संचालन विनोद बैद ने किया.
कोलकाता. उसी का जीवन सार्थक होता है, जो अपने जीवन में धर्म के अनुसार आचरण करता है. जीवन में सबकुछ मिल जाये, पर धर्म न मिले अर्थात धर्ममय जीवन न हो, जीवन की कोई सार्थकता नहीं. सब पाना बेकार है. आस्था, अहिंसा, सत्य, नैतिकता, करुणा, शांति, मैत्री एवं सहयोग धर्म का स्वरूप है. जीवन में धर्म के अनुसार आचरण करने से अपना भी मंगल होता है और दूसरे का भी. यदि जीवन हमारा धर्ममय होगा, तो मंगल की सहज प्राप्ति होगी. आस्था क्षमता और दृढसंकल्प अनुकूल हो, तो हम ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर भी चल सकते हैं, क्योंकि इस ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर चलने के लिए संतुलन जरूरी है. यह संतुलन हमारा विवेक है. अध्यात्म का मार्ग भी ऊबड़-खाबड़ रास्ते जैसा कठिन है. अध्यात्म के मार्ग में भी वही सफल होता है, जिसमें विवेक की दृष्टि होती है. अहिंसा, संयम और तप धर्म का सार है. प्रत्येक व्यक्ति को इसे जीवन में अपनाना चाहिए. व्यक्ति के शत्रु हैं क्रोध, माया, लोभ आदि. इससे बचना चाहिए. ये हमें हिंसा के रास्ते पर ले जाते हैं. हमें अपने मन, वाणी और इंद्रियों को सयंमित करते हुए मेहनत करके जीवन में सफलता को प्राप्त कर सकते हैं.
त्याग, संयम के मार्ग पर चल कर हम जीवन में सहज ही सफलता को प्राप्त कर सकते हैं. अहिंसा मन की निर्मलता एवं प्रेम का व्यापक स्वरूप है. आत्मशुद्धि का साधन है. इच्छारूपी अश्व को नियंत्रित करने का चाबुक है. क्षमा का महान आधार है. वह अमृत है जो समाज और राष्ट्र को जिंदा रखता है. शांति के रहस्यों का खजाना है. अहिंसा और शांति को जीवन में अपना कर हम सबके प्रिय हो जाते हैं. ये बातें आचार्यश्री महाश्रमणजी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही.
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