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हेल्पलाइन में 9134 मामले लंबित

धीमी गति से हो रहा है लंबित मामलों का निष्पादन सदर थाना में सबसे अधिक मामले लंबित हजारीबाग : जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र के लोगों ने पब्लिक हेल्पलाइन में अब तक 16699 मामले दर्ज कराये हैं. इनमें 7565 मामलों का निष्पादन हुआ है, जबकि 9134 मामले लंबित हैं. लंबित मामलों के निष्पादन व सुनवाई […]

धीमी गति से हो रहा है लंबित मामलों का निष्पादन
सदर थाना में सबसे अधिक मामले लंबित
हजारीबाग : जिले के विभिन्न थाना क्षेत्र के लोगों ने पब्लिक हेल्पलाइन में अब तक 16699 मामले दर्ज कराये हैं. इनमें 7565 मामलों का निष्पादन हुआ है, जबकि 9134 मामले लंबित हैं. लंबित मामलों के निष्पादन व सुनवाई नहीं होने के कारण कई शिकायतकर्ता परेशान हैं. सबसे अधिक मामले सदर थाना से संबंधित लंबित है, जबकि सबसे कम मामला उरीमारी थाना में लंबित है. एसपी अनूप बिरथरे ने कहा कि लंबित सभी मामलों के निष्पादन का निर्देश दिया गया है.
अनुसंधानकर्ता को 15 दिनों के अंदर मामले का निष्पादन कर प्रतिवेदन कार्यालय को भेजने को कहा गया है. अनुसंधान में पाये गये गंभीर मामलों पर थाना में प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है. हजारीबाग जिले में स्थित थानों में सभी लोगों के आवेदन पर कार्रवाई नहीं हो रही थी. ऐसे में मामलों पर कार्रवाई के लिए एसपी कार्यालय में पब्लिक हेल्पलाइन शुरू की गयी है. हेल्पलाइन में जिले के लोग अपने मामले दर्ज करवाते हैं. उन्हें तत्काल प्रमाण के रूप में रसीद दी जाती है. इसमें आवेदन के जांचकर्ता पुलिस अधिकारी का नाम व मोबाइल नंबर उपलब्ध कराया जाता है. एसपी ने कहा कि सभी अनुसंधानकर्ताओं को ऐसे मामले की जांच 15 दिन के अंदर करने का निर्देश जारी किया गया है. इसके बावजूद 9134 मामले लंबित हैं.
कैसे-कैसे आते हैं मामले
पब्लिक हेल्पलाइन में पारवारिक विवाद, जमीन विवाद, थाना पुलिस की सुनवाई नहीं होने पर, डायन-बिसाही, एससी-एसटी मामला, दहेज प्रताड़ना, मारपीट व धमकी जैसे मामले पहुंचते हैं. पब्लिक हेल्पलाइन में प्रतिनियुक्त प्रभारी मामले से संबंधित थाना में जांच की जिम्मेवारी जमादार, दारोगा व इंस्पेक्टर को दी जाती है.
क्यों लंबित रहते हैं मामले
पब्लिक हेल्पलाइन के तत्कालीन प्रभारी सह कोर्रा टीओपी प्रभारी रामाशंकर मिश्रा ने बताया कि पब्लिक हेल्पलाइन में शिकायत लंबित रहने के कई कारण हैं. शिकायतकर्ता पब्लिक हेल्पलाइन, सूचना अधिकार के तहत आवेदन, मुख्यमंत्री जनसंवाद में शिकायत, संबंधित थाना में प्राथमिकी दर्ज एवं वादी प्रतिवादी दोनों ओर से अलग-अलग शिकायत दर्ज करायी जाती है. इस कारण हेल्पलाइन की शिकायत का निष्पादन समय पर नहीं हो पाता है.

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