पटना : राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी शोर थमने के दौर में है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन कर दिया है. वोटों के आंकड़े रामनाथ कोविंद के पक्ष में हैं. उनकी जीत तय मानी जा रही है. राष्ट्रपति का चुनाव 17 जुलाई को होगा और वोटों की गिनती तीन दिन बाद होगी. राष्ट्रपति चुनाव में नीतीश के फैसले से विपक्ष को अपनी एका का अंदाजा हो गया है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो इसी बहाने नीतीश ने एंटी एनडीए फ्रंट को यह भी बता दिया कि वह हमेशा कि तरह अपने स्टैंड और सिद्धांत पर कायम रहेंगे. सियासी गलियारों में अब इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गयी है कि उपराष्ट्रपति कौन बनेगा और खासकर नीतीश कुमार का स्टैंड क्या रहेगा. चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए भी तारीखों का एलान कर दिया है. यह चुनाव पांच अगस्त को होगा. अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि नीतीश कुमार किसी बिहारी उम्मीदवार को समर्थन ना कर दें !
राजनीतिक पार्टियों के लिए नीतीश के स्टैंड को समझना काफी मुश्किल है. बिहार महागठबंधन में रहते हुए उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी, राष्ट्रपति चुनाव और अब जीएसटी के मामले में केंद्र सरकार का खुलकर समर्थन किया है. जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति चुनाव में बिहार से जुड़े किसी व्यक्ति का समर्थन कर, अपने-आपको उस सियासी आरोप से भी बरी कर लेंगे, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने बिहार की बेटी का समर्थन नहीं किया. दूसरी ओर, उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को लेकर भाजपा ने अपनी खोज शुरू कर दी है. जानकार बताते हैं पार्टी उपराष्ट्रपति पद के लिए भी पीएम मोदी के पसंद को महत्व दे रही है. चर्चा शुरू हो गयी है कि उपराष्ट्रपति कौन होगा ? क्या इस बार एनडीए इस बार भी ऐसा कैंडिडेट खड़ा करेगा जिसका समर्थन नीतीश कुमार कर दें ? अल्पसंख्यक मुस्लिम उम्मीदवार को लेकर भी चर्चा जोरों पर है.
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि एनडीए रामनाथ कोविंद की तरह उपराष्ट्रपति की तरह किसी ऐसे उम्मीदवार के चयन पर विचार करेगा जिसका दायरा काफी व्यापक हो. उस उम्मीदवार का राजनीतिकवसामाजिक पक्ष काफी मजबूत हो. देश के एक बड़े वर्ग को वह प्रभावित करता हो. चर्चा इस बात की भी है कि मोदी सरकार को मुस्लिम विरोधी सरकार के तौर पर प्रोजेक्ट किया जाता है. एनडीए इन आरोपों से छुटकारा पाने के लिए मुस्लिम उम्मीदवार को भी महत्व दे सकता है. गैर राजनीतिक व्यक्ति की भी चर्चा चल रही है, जिसमें मेट्रो मैन श्रीधरन और बाकी वैज्ञानिकों के नाम भी हैं. जानकारों की मानें तो भाजपा दक्षिण में पांव पसारने के लिए उस इलाके का प्रतिनिधित्व करने वाले किसी बड़े चेहरे को भी सामने ला सकती है.
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