राजगीर : अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर के सभागार में गुरुवार को स्वच्छ भारत व लोहिया स्वच्छता अभियान व जिला जल एवं स्वच्छता समिति नालंदा के तत्वावधान में खुले में शौच मुक्त अभियान कार्यक्रम आयोजित की गयी. यह तीन दिवसीय कार्यशाला 29 जून से एक जुलाई तक चलेगा. जिसके मुख्य अतिथि डीएम डाॅ त्याग राजन एसएम ने सभा को संबोधन से किया. सभा में कतरीसराय,बेन, सिलाव,बिहारशरीफ,
गिरियक व रहुई के प्रखंड समन्वयकों सहित अन्य जनप्रतिनिधियों को खुले में शौच मुक्त अभियान को हर हाल में सफल बनाने की अपील की. उन्होंने कहा कि अगर चाहे तो इस अभियान को जनआंदोलन का रूप देकर अपने जिले के हर पंचायत के ग्रामीण क्षेत्रों के वैसे लोगों द्वारा खुले में किये जा रहे शौच की आदत की सोच को बदल सकते हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ शौचालय निर्माण कर देने से ओडीएफ अभियान में सफलता नहीं पाई जा सकती है. लोगों में व्यवहार परिवर्तन भी लाना होगा, जो कि हमारे समक्ष एक चुनौती के समान है.
उन्होंने यूनिसेफ के द्वारा सीतामढ़ी,रोहतास आदि जिलों में किये गये ओडीएफ में सफलता का हवाला देते हुए कहा कि व्यवहार परिवर्तन कर निर्मित शौचालय का प्रयोग करने के लिए लोगों को प्रेरित कर उनके मानसिकता में बदलाव लाने के लिए विशेष कार्य को प्राथमिकता में रखना होगा. डीएम श्री एसएम उपस्थित सभी प्रखंड समन्व्यक को निर्देश देते हुए कहा कि सीएलटी टूल्स के मुताबिक अपने क्षेत्रों में जाकर लोगों को खुले में शौच के दुप्परिणामों से अवगत कराते हुए उन्हें मोटिवेट करें. उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत हर प्रखंड में एक नियंत्रण कक्ष में सुपरवाइजर द्वारा इस अभियान पर निगरानी रखते हुए आंकड़े तैयार किये जायेंगे. वहीं बीडीओ द्वारा इसकी रिपोर्ट का संकलन करेंगे.
कार्यशाला में प्रशिक्षण दे रहे लोहिसा स्वच्छ बिहार अभियान के राज्य प्रतिनिधि विशेषज्ञ शशिभूषण पांडेय ने कहा कि नालंदा जिले में भी सामुदायिक अभियान चलाते हुए निर्मित शौचालय के प्रयोग कर लोगों का ध्यान आकृष्ट कराकर, उन्हें खुले में शौच की समस्या के तहत यत्र तत्र फैले मानव मल के दुष्परिणामों से महामारी की चपेट में आने से हो रही बीमारियों व मौत के बाबत लोगों को समझाना होगा. उन्होंने कहा पूरे भारत में 64 फीसीद आबादी में हमारा बिहार एकमात्र ऐसा राज्य हैं, जहां की शेष 26 फीसदी आबदी खुले में शौच करती है. उन्होंने खुले में मानव द्वारा त्याग किये गये मल के दुष्परिणाम के तहत बताया कि एक ग्राम मानव मल में एक हजार जीवाणु कोष, दस हजार जीवाणु अंडे, एक लाख बैक्टीरिया व दस लाख वायरस होते हैं, जो कि किसी न किसी माध्यम से हमारे खाद्य पदार्थों में मिलकर हमें गंभीर रोगों के चपेट में डाल सकती है. इस मौके पर उपविकास आयुक्त कुुंदन कुमार, डीआरडीए डायरेक्टर संतोष श्रीवास्तव, राजगीर अनुमंडलाधिकारी लाल ज्योति नाथ सहदेव, युनिसेफ प्रतिनिधि विश्वनाथ, आशीष कुमार, ऐश्वर्या, डीपीआरओ लाल बाबू सहित छह प्रखंडों के बीडीओ, प्रखंड समन्वयक व संबंधित विभाग के पदाधिकारी मौजूद थे.