हाल में ब्रिटेन में छोटे बच्चों द्वारा स्मार्टफोन के साथ ‘गुजारे गये वक्त’ को ध्यान में रखते हुए एक शोध किया गया. पता चला कि 75 फीसदी बच्चे रोजाना टचस्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं और इनमें से 51 फीसदी बच्चे तो मात्र छह से लेकर 11 महीने के ही हैं.
शोध में पाया गया कि जो बच्चे टचस्क्रीन के साथ देर तक खेलते हैं, उन्हें रात में कम नींद आती है और दिन में ज्यादा. अगर कोई बच्चा एक घंटे तक टचस्क्रीन का इस्तेमाल करता है, तो उसकी नींद 15 मिनट तक कम हो जाती है. ऐसे में अगर आपका लाडला या आपकी आपकी लाड़ली को भी घंटों स्मार्टफोन के साथ वक्त बिताने की आदत है, तो सतर्क हो जाइए. आपके बच्चे की यह आदत उसकी नींद पर भारी पड़ सकती है. नींद कम लेने या नींद बाधित होने की वजह से एकाग्रता में कमी, याद्दाश्त में कमी, स्लीप डिसॉर्डर आदि की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं.
साथ ही, टेक्नोलॉजी के अनियंत्रित उपयोग से बच्चों में डिप्रेशन, एंजाइटी, अटैचमेंट डिसॉर्डर, ऑटिज्म, बाइपोलर डिसॉर्डर, उन्माद, और प्रॉब्लम चाइल्ड बिहेवियर जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. स्मार्टफोन के उपयोग के दौरान निकलनेवाले हानिकारक रेडियो तरंगों से भी उसके मस्तिष्क की कार्य तरंगे प्रभावित होती हैं, जिससे बच्चों का विकास, व्यवहार और शिक्षण क्षमता इन सब पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, इसलिए माता-पिता को इस बात की कतई अनदेखी नहीं करना चाहिए.