आलोक पुराणिक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
गरमियों की छुट्टियां खत्म होनेवाली हैं. बच्चे हॉली-डे होमवर्क में लगे हैं. होमवर्क का मतलब अब यह है कि बच्चा अपने वर्क को घर पर ले जाता है, फिर घर का हर मेंबर उस वर्क में जुट जाता है.
मां होमवर्क से जुड़े फोटो इंटरनेट पर तलाशती है. पापा फोटो के प्रिंट-आउट दफ्तर के प्रिंटर से लेकर आते हैं. अब जैसे ईमानदारी पर एसाइनमेंट है होमवर्क का, तो इसमें मम्मी इंटरनेट पर महत्वपूर्ण ईमानदारों के फोटो इंटरनेट पर तलाशेंगी और पापा पूरी ईमानदारी से उन फोटो का प्रिंटआउट दफ्तर के प्रिंटर से निकाल लायेंगे और बच्चा पूरी ईमानदारी से इस होमवर्क को स्कूल में पेश कर देगा और जितने नंबर मिलेंगे, उन्हें ईमानदारी से ग्रहण कर लेगा.
इस तरह ईमानदारी का एक चक्र पूरा हो जायेगा, और बच्चा बेईमानी की कई तरकीबें सीख चुका होगा.हुनर-आधारित शिक्षा इसे ही बोलते हैं. इधर देशभक्ति की बात सिखायी जाती हैं और उधर बच्चा समझ लेता है कि मोक्ष तब ही मिलेगा, जब अमेरिका का पक्का वाला वीसा मिल जायेगा.
जैसे हॉली-डे होमवर्क दिये जाते हैं, उससे तो बच्चों को हॉली-डे और होमवर्क दोनों से एक साथ घणी नफरत ही पैदा होती है. कवि निराला पर होमवर्क है, निराला के बेहतरीन फोटो इंटरनेट पर नहीं हैं.
सन्नी लियोनीजी के बहुत फोटो मिलते हैं इंटरनेट पर. इंटरनेट कोई अलग थोड़े ही है दुनिया से, जिसकी मांग ज्यादा होगी, उसी के फोटो ज्यादा होंगे. एक बच्चे के एक सवाल ने मुझे सदमे में डाल दिया. बच्चे ने पूछा-सन्नी लियोनीजी कवि क्यों ना बनीं, उनके फोटो इतने अच्छे मिल जाते हैं, नेट पर. कवि होतीं, तो आसानी से उन पर होमवर्क हो जाता. होंगी, होंगी सन्नीजी एक दिन कवि भी होंगी और उनकी किताब सबसे ज्यादा बिकेंगी. वह फिर और महान कवयित्री सिर्फ इस आधार पर मान ली जायेंगी कि देखो इतनी तो किताबें बिक गयी हैं उनकी.
अरुचि से किया गया गया काम महापुरुषों की वो गत बना रहा है कि दिवंगत महापुरुष सुन लें, तो एक बार फिर जन्म लेने को आतुर हो जायें कि शर्म से आत्महत्या तो बनती ही है. एक छात्र ने दूसरे से कहा-ये मेगस्थनीज को कोई काम नहीं था, जो इस देश से उस देश यूं ही फोकटी में टहलता रहता था.
बताओ कोर्स में आ गया वह, अब उसे पढ़ना पड़ेगा.बहुत परेशान करता है मेगस्थनीज. चंद्रगुप्त एक बच्चे से इस बात के लिए आलोचित हो रहे थे कि बताओ -फोकटी में राजा बन कर फंसा गया है, भाई तो निकल लिया, उसका साम्राज्य हमें पढ़ना पड़ रहा है. हाय चंद्रगुप्त, उफ्फ मेगस्थनीज, कितना होमवर्क छोड़ गये बालकों की जान को.