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Bihar : तीन हजार करोड़ का है अवैध खनन का कारोबार, पांच सौ लोग गंवा चुके हैं जान

पटना:बिहार सरकार बालू और पत्थर के खनन से जहां एक हजार करोड़ की भी राजस्व उगाही नहीं कर पाती है, वहीं इस धंधे में लगे अवैध कारोबारी तीन हजार करोड़ रुपये की सालाना रकम अपनी जेब में भर ले जा रहे हैं. प्रदेश सरकार के खान एवं भूतत्व विभाग को बालू और पत्थर के खनन […]

पटना:बिहार सरकार बालू और पत्थर के खनन से जहां एक हजार करोड़ की भी राजस्व उगाही नहीं कर पाती है, वहीं इस धंधे में लगे अवैध कारोबारी तीन हजार करोड़ रुपये की सालाना रकम अपनी जेब में भर ले जा रहे हैं. प्रदेश सरकार के खान एवं भूतत्व विभाग को बालू और पत्थर के खनन से मार्च, 2017 तक एक साल के दौरान 993.83 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है. इस अवैध कारोबार में राजनेता से अफसर तक की मिलीभगत है. तीन हजार करोड़ से अधिक की इस उगाही को लेकर समय-समय पर गैंगवार भी होते रहते हैं, जिनमें एक दशक में करीब 500 लोगों की जानें जा चुकी हैं.
अवैध पत्थर खनन के लिए रोहतास जिला पहले नंबर पर है. यहां के करबंदिया और बांसा गांवों में कैमूर की पहाड़ी है. यहां के करीब 250 एकड़ में 1500 क्रशर (पत्थर तोड़ने की मशीनें) लगी हैं. बिल्डिंग मेटीरियल के काम आनेवाले पत्थरों को प्रतिदिन करीब 1500 ट्रैक्टरों और ट्रकों से यहां से भेजा जा रहा है. यहां एक ट्रैक्टर पत्थर की कीमत करीब 3200 रुपये है, जो सासाराम शहर पहुंच कर करीब 5500 से 6000 रुपये हो जाती है. इस काम में करीब 5000 लोग लगे हैं. ज्यादातर पलामू जिले के हैं.
नहीं रोकती पुलिस
इन ट्रैक्टरों को रोकने के लिए खनन विभाग का चेक पोस्ट कहीं भी नहीं है. पुलिस पेट्राेलिंग पार्टियां रास्ते में इन्हें जरूर मिलती हैं, लेकिन सेटिंग की वजह से कोई रोक नहीं है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अंदर है. साल 2012 के बाद यहां खानों की बंदोबस्ती नहीं हुई है.
प्रदेश के 29 जिलों में मिलता है बालू
बिहार के 29 जिलों में बालू उपलब्ध हैं. इन्हें 25 बालू घाट इकाइयों के रूप में संगठित किया गया है. इसी के अनुसार इनकी बंदोबस्ती की जाती है. वहीं राज्य के पांच जिलों में कुल 43 खनन पट्टों की लोक नीलामी के माध्यम से बंदोबस्ती की गयी है. पांच साल के लिए इससे 755.65 करोड़ रुपये मिले हैं. इन जिलों में गया, नवादा, शेखपुरा, औरंगाबाद, बांका और कैमूर शामिल हैं.
सोन और गंगा में हो रहा अवैध खनन
पटना जिले के मनेर में सोन और गंगा नदी से धड़ल्ले से लाल बालू निकाले और बेचे जा रहे हैं. यह काम रात के अंधेरे में होता है. यहां के सुअरमड़वा घाट, महावीर टोला, हल्दी छपरा संगम, गोड़िया स्थान, शेरपुर और दयापुर घाटों को मिला कर कुल नदी किनारे की लंबाई करीब 12 किमी है. इन घाटों की बंदोबस्ती नहीं हुई है. यहां से हर रात करीब 1000 ट्रैक्टर व ट्रक बालू की ढुलाई करते हैं. एक ट्रैक्टर बालू की कीमत करीब 2500 रुपये है. यही हाल पटना जिले के बिहटा का भी है. वहां से भी हर रात सैकड़ों गाड़ियां अवैध बालू ढुलाई में लगी हैं. यही हाल भागलपुर और बांका जिले का भी है. लोगों की मानें तो पुलिस की नाक के नीचे ये गोरखधंधा हो रहा है.
सीएम के निर्देश पर शुरू हुई कार्रवाई
सूत्रों का कहना है कि कुछ महीने पहले यहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गये थे. उन्होंने अवैध खनन पर कार्रवाई करने को कहा था. सासाराम जिला प्रशासन ने अब करबंदिया और बांसा गांवों में करीब 15 कच्चे मार्गों की पहचान की है, जहां अवैध खनन होते हैं. उन्हें ब्लास्ट करने के लिए निविदा आमंत्रित की गयी हैं. इनमें यह दिशा-निर्देश है कि विस्फोट क्षेत्र 20 फुट चौड़ा, 30 फुट लंबा और 20 से 40 फुट गहरा हो.
अधिकारियों ने साधी चुप्पी
इस बारे में जब रोहतास जिले के डीएम अनिमेष कुमार पारासर से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने कहा कि मीटिंग में व्यस्त हूं, अभी बात नहीं हो सकेगी. वहीं जब डीएफओ से बात करने की कोशिश की गयी, तो उन्होंने कहा कि वे कैमूर के डीएफओ हैं. इस समय रोहतास जिले के डीएफओ का ट्रांसफर हो गया है और इसलिए उनके चार्ज में हैं. उन्हें यहां के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. तीन-चार दिन बाद नये पदाधिकारी यहां ज्वाइन कर लेंगे, तो उनसे जानकारी मिल सकेगी.
जांच दल का किया गया है गठन
खान एवं भूतत्व विभाग का कहना है कि बिहार सरकार ने 2007 में पत्थर खनन अवैध घोषित किया था. इसकी रोकथाम के लिए हर जिले के डीएम की अध्यक्षता में टास्क फोर्स बनायी गयी है. इन्होंने एक साल के दौरान मार्च, 2017 तक 4658 छापेमारी की. 862 एफआइआर दर्ज हुए. 223 लोग गिरफ्तार किये गये और अर्थदंड के रूप में 16.31 करोड़ रुपये की वसूली हुयी. इस मामले में मुख्यालय स्तर से भी जांच दल का गठन किया गया है और कार्रवाई की गयी है.

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