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नेत्रोत्सव आज, मंदिरों में होगी विशेष पूजा

खरसावां : एक पखवाड़े के बाद भक्तों को दर्शन देंगे तीनों भाई-बहन प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के नव यौवन रूप के होंगे दर्शन नव शृंगार से सजाये जायेंगेे प्रभु जगन्नाथ खरसावां : एक पखवाड़े के बाद शनिवार को प्रभु जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा भक्तों को दर्शन देंगे. शनिवार को […]

खरसावां : एक पखवाड़े के बाद भक्तों को दर्शन देंगे तीनों भाई-बहन

प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के नव यौवन रूप के होंगे दर्शन
नव शृंगार से सजाये जायेंगेे प्रभु जगन्नाथ
खरसावां : एक पखवाड़े के बाद शनिवार को प्रभु जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा भक्तों को दर्शन देंगे. शनिवार को प्रभु जगन्नाथ, भगवान बलभद्र एवं देवी सुभद्रा का नेत्र उत्सव आयोजित होगा. इसके पश्चात प्रभु के नव यौवन रूप के दर्शन होंगे. इस मौके पर मंदिरों में उनकी विशेष पूजा अर्चना होगी. मान्यता है कि नेत्र उत्सव में प्रभु के अलौकिक रूप के दर्शन मात्र से पुण्य मिलता है. हरिभंजा के जगन्नाथ मंदिर में दोपहर 12 बजे नेत्र उत्सव का आयोजन किया जायेगा. इसके बाद पूजा होगी एवं भक्तों में प्रसाद वितरण भी किया जायेगा. प्रभु जगन्नाथ के नव यौवन रूप के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिरों में पहुंचेंगे.
रथ का निर्माण भी अंतिम चरण में
25 जून को आयोजित होने वाली श्री जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां अंतिम चरण में हैं. रथ निर्माण का कार्य भी अंतिम चरण में है. रथ को आकर्षक रूप प्रदान किया जा रहा है. हरिभंजा में भव्य रथ तैयार किया जा रहा है. सरायकेला में भी रथ निर्माण का काम पूरा हो चुका है.
जिला में काफी लोक प्रिय है रथोत्सव
सरायकेला-खरसावां जिला में रथोत्सव काफी लोकप्रिय है. प्रभु जगन्नाथ को कलियुग में जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु का अवतार माना जाता है. जिला के शत प्रतिशत घरों में प्रभु जगन्नाथ के भक्त हैं जो अपने घरों में भी उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. इसके अलावा सरायकेला-खरसावां जिला की रथ यात्र भी करीब साढ़े तीन सौ साल पुरानी है. यहां आज भी 350 साल पुरानी परंपरा के अनुसार ही रथ यात्रा आयोजित हो रही है.
इन मंदिरों में होगा नेत्र उत्सव:
खरसावां, हरिभंजा, चाकड़ी, बंदोलौहर, दलाइकेला, गालूडीह, जोजोकुड़मा, सरायकेला, सीनी, चांडिल, गम्हरिया व रघुनाथपुर.
प्रतिमाओं की रंगाई का कार्य पूरा : नेत्र उत्सव व रथ यात्रा को लेकर सरायकेला-खरसावां के विभिन्न जगन्नाथ मंदिरों में प्रभु जगन्नाथ, भगवान बलभद्र व देवी सुभद्रा की प्रतिमाओं की रंगाई की गयी.
मूर्तियों पर कृत्रिम रंगों का प्रयोग किया गया है. इसके साथ ही प्रभु जगन्नाथ के नव यौवन रूप की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. नेत्र उत्सव के दिन (शनिवार को) नव यौवन दर्शन सह उभा यात्रा का आयोजन होगा. नेत्र उत्सव के एक दिन बाद, 25 जून को प्रभु जगन्नाथ अपने भाई एवं बहन के साथ मौसी बाड़ी जायेंगे, जिसे रथ यात्रा के नाम से जाना जाता है.
अणसर गृह में चला प्रभु
जगन्नाथ का इलाज
परंपरागत मान्यता के अनुसार स्नान पूर्णिमा के दिन अत्यधिक स्नान करने के कारण प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा बीमार हो जाते हैं, जिसके कारण वे विश्राम के लिए मंदिर के अणसर गृह में चले गये थे. वहीं तीनों का उपचार भी हुआ. परंपरा के अनुसार अणसर गृह में अलग-अलग जड़ी-बूटियों से तैयार दवाइयों से प्रभु का उपचार किया जाता है. अब तीनों पूरी तरह स्वस्थ हैं. शनिवार (24 जून) को नेत्र उत्सव के दिन अणसर गृह में ही प्रभु जगन्नाथ, प्रभु बलभद्र व देवी सुभद्रा भक्तों को दर्शन देंगे.

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