नयी दिल्लीः कलकत्ता हाइकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस सीएस कर्णन जमानत को जमानत देने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया. तमिलनाडु के कोयम्बटूर से मंगलवार को गिरफ्तार किये गये जस्टिस कर्णन ने छह महीने की सजा निलंबित करवाने के लिए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. लेकिन, उच्चतम न्यायालय ने उन्हें राहत देने से साफ इनकार कर दिया.
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सुप्रीम कोर्ट ने कर्णन की याचिका पर सुनावाई से इनकार करते हुए कहा कि सात जजों की बेंच पहले ही एक आदेश पारित कर चुकी है. अब केवल विशेष पीठ ही इसकी सुनवाई कर सकता है. करीब एक महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की अवमानना के मामले में उन्हें छह महीने कारावास की सजा सुनायी थी.
एक शीर्ष पुलिस अधिकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल पुलिस की टीम ने 62 वर्षीय कर्णन को मालुमीचमपट्टी के निजी रिसोर्ट से गिरफ्तार किया. वह हाइकोर्ट के पहले सेवारत जज हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने कैद की सजा सुनायी है.
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आठ दिन पहले जस्टिस कर्णन कानून के भगोड़े के रूप में अपने पद से सेवानिवृत्त हो गये और उन्हें कलकत्ता हाइकोर्ट में मौजूद नहीं होने के कारण परंपरागत रूप से विदाई भी नहीं दी गयी.
भारत के चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षतावाली सुप्रीम कोर्ट की सात सदस्यीय पीठ ने जस्टिस कर्णन को नौ मई को अदालत की अवमानना के आरोप में छह महीने जेल की सजा सुनायी थी. तब वह वह कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश थे. अदालत ने सजा पर रोक लगने की उनकी याचिकाओं को बाद में नामंजूर कर दिया था.