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राष्ट्रपति पद के लिए कैसे हुआ रामनाथ कोविंद का चयन, भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में क्या-क्या हुआ, जानने के लिए पढ़िये

नयी दिल्लीः बिहार के गवर्नर डाॅ रामनाथ कोविंद को एनडीए का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करके नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने सबको चौंका दिया. लेकिन, किसी को यह मालूम नहीं कि कोविंद का नाम इस पद के लिए आया कैसे? आइए, हम आपको बताते हैं कि मोदी और शाह को कोविंद […]

नयी दिल्लीः बिहार के गवर्नर डाॅ रामनाथ कोविंद को एनडीए का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करके नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने सबको चौंका दिया. लेकिन, किसी को यह मालूम नहीं कि कोविंद का नाम इस पद के लिए आया कैसे? आइए, हम आपको बताते हैं कि मोदी और शाह को कोविंद कैसे देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति लगे.

राष्ट्रपति चुनाव पर सबसे पहले चर्चा विपक्षी दलों ने की. भाजपा में भी इस पर चर्चा हुई होगी, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में पहले विपक्ष ने ही राष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा के लिए बैठक की. हालांकि, विपक्षी दल कोई फैसला नहीं कर पाये और इस बात के साथ बैठक खत्म कर दी कि राष्ट्रपति चुनाव में सर्वसम्मति बनाने का प्रयास सरकार को करना चाहिए.

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सत्ताधारी दल ने राष्ट्रपति चुनाव में सर्वसम्मति बनाने के लिए तीन लोगों की समिति बनायी. समिति में राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और वेंकैया नायडू को रखा गया. इन्हें जिम्मेदारी दी गयी कि वे विपक्ष के साथ बातचीत करें और सर्वसम्मति से राष्ट्रपति का चुनाव सुनिश्चित करें. इन तीनों नेताअों ने सहयोगी और विभन्न विपक्षी दलों के नेताअों के साथ बैठक की.

विपक्ष ने कहा कि सरकार ने किसी प्रत्याशी का नाम नहीं बताया है, इसलिए सरकार को सहयोग नहीं कर सकते. दूसरी तरफ, भाजपा और संघ के बीच बैठकों का दौर चला. संघ और भाजपा दोनों में एक बात पर सहमति बन गयी कि अगला राष्ट्रपति ऐसी शख्सीयत हो, जिसे राजनीति की गहरी समझ हो, वह दलित या अादिवासी समुदाय से हो, उसकी पृष्ठभूमि भाजपा की हो, उच्च शिक्षा प्राप्त उस व्यक्ति को विवादों से भी परे होना चाहिए.

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मोदी और शाह ने अलग से मंत्रणा की, तो डाॅ रामनाथ कोविंद में ये सभी गुण मिल गये. इसके बाद शाह-मोदी की जोड़ी ने तय किया कि डाॅ कोविंद को देश के अगले राष्ट्रपति के रूप में पेश किया जाये. इसकी वजह डाॅ कोविंद की शख्सीयत ही थी. मोदी और शाह ने यह भी आकलन कर लिया कि विरोधी दलों ने यदि डाॅ कोविंद का विरोध किया, तो विपक्षी एकता में फूट पड़ जायेगी और इसका फायदा सरकार के उम्मीदवार को मिलेगा.

दूसरी तरफ, भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में कई वरिष्ठ भाजपा नेताअों के साथ-साथ केंद्रीय मंत्रियों और राज्यपालों के नामों पर भी चर्चा हुई. विशेष रूप से सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह, थावर चंद गहलोत, एम वेंकैया नायडू, मुरली मनोहर जोशी और एलके आडवाणी के अलावा झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम पर भी चर्चा हुई.

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सूत्रों ने बताया कि शाह ने बैठक में कहा कि एनडीए की सहयोगी पार्टी शिव सेना की अपनी पसंद थी. सेना चाहती थी कि संघ प्रमुख मोहन भागवत को राष्ट्रपति बनाया जाये. जबकि सच्चाई यह है कि संघ से जुड़े लोग चुनावों से दूर रहते हैं. इसके बाद सेना ने कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का नाम सुझाया.

बोर्ड की बैठक में शामिल रहे एक सूत्र ने बताया कि जब संभावित उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा हो रही थी, प्रधानमंत्री ने कहा कि कैबिनेट के उनके सहयोगी उनकी (पीएम की) सख्त जरूरत हैं. वह उन्हें मंत्रिमंडल में ही देखना चाहते हैं, क्योंकि वे अच्छा, बहुत अच्छा काम कर रहे हैं.

इसके बाद अमित शाह ने कहा कि डाॅ कोविंद को एनडीए का उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए. बोर्ड ने कोविंद के नाम का अनुमोदन कर दिया. इसके बाद मोदी और शाह ने सहयोगी दलों के साथ-साथ विपक्षी दलों के नेताअों को भी फोन पर जानकारी दी कि उन्होंने अपना राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुन लिया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को फोन करके कोविंद को प्रत्याशी चुने जाने की जानकारी दी. मोदी ने दोनों नेताअों से उनके लिए समर्थन भी मांगा. प्रधानमंत्री ने बीजू जनता दल के नेता और ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को भी फोन किया. पटनायक ने उनसे कहा कि वह पार्टी के नेताअों से बातचीत करके उन्हें (पीएम को) अपने फैसले से अवगत करा देंगे.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फोन किया, तो उन्होंने अपने प्रदेश के गवर्नर को राष्ट्रपति के पद पर प्रमोट किये जाने के फैसले पर प्रसन्नता जाहिर की.

प्रधानमंत्री मोदी ने शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल के साथ-साथ तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव, आंध्रप्रदेश के सीएम एन चंद्रबाबू नायडू और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलनीस्वामी को भी फोन किया.

शिव सेना को अमित शाह ने फोन किया. वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेताअों लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को वेंकैया नायडू ने बोर्ड के फैसले से अवगत कराया. नायडू ने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती को भी फोन किया. मुलायम सिंह यादव ने एनडीए के प्रत्याशी को समर्थन देने का वादा किया. इसके बाद नायडू ने अखिलेश यादव के करीबी राम गोपाल यादव और नरेश अग्रवाल को भी फोन किया.

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मायावती ने हालांकि कोई आश्वासन नहीं दिया, लेकिन उन्होंने संकेत दिये कि वह दलित प्रत्याशी को अपना समर्थन देंगी. वेंकैया नायडू ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार से भी फोन पर समर्थन मांगा.

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