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बिना पदाधिकारी व कर्मी का सखी केंद्र

कैसे मिलेगा पीड़िता को न्याय दफ्तर बने, लेकिन खाली रहती हैं कुर्सियां दूसरे जगह से कर्मी लाकर किसी तरह हो रहा काम धनबाद : रेडक्रॉस सोसाइटी भवन में वन स्टॉप सेंटर फॉर वूमेन (सखी केंद्र) में न कोई पदाधिकारी हैं, न कर्मचारी ही अभी तक बहाल किये गये हैं. इस कारण यहां आने वाली पीड़िता […]

कैसे मिलेगा पीड़िता को न्याय

दफ्तर बने, लेकिन खाली रहती हैं कुर्सियां
दूसरे जगह से कर्मी लाकर किसी तरह हो रहा काम
धनबाद : रेडक्रॉस सोसाइटी भवन में वन स्टॉप सेंटर फॉर वूमेन (सखी केंद्र) में न कोई पदाधिकारी हैं, न कर्मचारी ही अभी तक बहाल किये गये हैं. इस कारण यहां आने वाली पीड़िता को रहने-ठहरने आदि का लाभ नहीं मिल पा रहा है. कहने को दूसरी जगह के अनुबंध के कुछ कर्मी को यहां लगाया गया है, लेकिन केंद्र के लिए अलग से बहाली नहीं होने के कारण यहां बनाये गये दफ्तर, पुलिस पदाधिकारी का कक्ष, काउंसलिंग कक्ष, पीड़िताओं के ठहरने का हॉल सभी पर ताले जड़े रहते हैं. फिलहाल रेडक्रॉस, सीडब्ल्यूसी सहित दूसरी जगह के लोगों से केंद्र में काम कराया जा रहा है.
व्यवस्था से होने लगी परेशानी : सखी केंद्र में रहने-खाने से लेकर काउंसलिंग की व्यवस्था की बात कही गयी थी. कोर्ट के आदेश पर आनन-फानन में रेडक्रॉस भवन के अंदर कई कमरे 16 लाख में तैयार कर दिये गये. कीचन के साथ अन्य भवन भी बनाये गये. इसके लिए लोहे की चौकी, गद्दा, खाना बनाने व खाने के बरतन, पंखा आदि की भी खरीदारी की गयी, लेकिन कर्मी व पदाधिकारी की बहाली नहीं होने से लाभ नहीं मिल पा रहा है.
न्याय मिलने में हो रही देरी
कोर्ट के आदेश के बाद झारखंड के तीन जिलों रांची, जमशेदपुर व धनबाद में केंद्र खोला गया है. 27 मई को समाज कल्याण मंत्री लुईस मरांडी ने केंद्र का उदघाटन किया था. कहा गया था कि यहां चार से पांच दिनों के अंदर पीड़िता को न्याय दिलाया जायेगा. अब तक छह मामले यहां आये हैं, लेकिन किसी में न्याय नहीं मिल पाया है. शनिवार को पहला केस दर्ज कराने वाली पीड़ित महिला ने भी दुबारा केंद्र पहुंच कर मदद की गुहार लगायी.

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