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ऑपरेशन के बाद मरीज को ओटी में ही छोड़ा, वार्ड में ले गये परिजन

व्यवस्था पर सवाल. दो मरीजों के साथ हुई लापरवाही, टांका लगा कर छोड़ गये डॉक्टर मुजफ्फरपुर : सदर अस्पताल में गुुरुवार को मानवीय संवेदना तार-तार हो गयी. ऑपरेशन थियेटर में गुरुवार की शाम दो मरीजों का ऑपरेशन किया गया. डॉक्टर ऑपरेशन के बाद टांका लगाकर उन्हें वहीं छोड़ दिये, क्योंकि वार्ड तक ले जाने के […]

व्यवस्था पर सवाल. दो मरीजों के साथ हुई लापरवाही, टांका लगा कर छोड़ गये डॉक्टर

मुजफ्फरपुर : सदर अस्पताल में गुुरुवार को मानवीय संवेदना तार-तार हो गयी. ऑपरेशन थियेटर में गुरुवार की शाम दो मरीजों का ऑपरेशन किया गया. डॉक्टर ऑपरेशन के बाद टांका लगाकर उन्हें वहीं छोड़ दिये, क्योंकि वार्ड तक ले जाने के लिए कर्मचारी नहीं थे. काफी देर तक परिजन कर्मचारियों का इंतजार करते रहे.
अस्पताल के अधिकारियों से भी गुहार लगाया, लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिये. इंतजार व गुहार के बाद परिजन खुद ही जैसे-तैसे दोनों को स्ट्रेचर पर लादकर बेड तक ले गये. इस घटना ने स्वास्थ्य महकमे की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर दिये हैं. दोनों मरीज पुरुष वार्ड के बेड संख्या 18 व 19 पर अभी शिफ्ट किये गये हैं.
सदर अस्पताल का हाल मामले की होगी जांच
एक घंटे तक नहीं आया कोई कर्मी, तो उठाया स्ट्रेचर
बेड संख्या 18 पर अपने पिता जगरनाथ पटेल को लेकर बैठे पारू के मठिया गांव निवासी उमेश पटेल ने बताया कि शाम के पांच बजे उसके पिता के हॉर्निया का ऑपरेशन के लिये ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया. इसके बाद वह सभी परिवार बाहर इंतजार करने लगे. कुछ देर बाद डॉक्टर ने बाहर निकल कर ऑपरेशन हो जाने की बात कही. इसके बाद घंटाें ऑपरेशन थियेटर के बाहर सभी खड़े रहे. लेकिन उसके पिता को बाहर किसी ने नहीं निकाला.
जब डॉक्टर से दुबारा पूछा गया कि ऑपरेशन थियेटर से बाहर मरीज को क्यों नहीं निकाला गया है तो जवाब मिला कि कोई कर्मचारी नहीं हैं. ऐसा ही माजरा बेड संख्या 19 पर शिफ्ट हुए मनियारी थाना क्षेत्र के रतनौली गांव निवासी शिव चंद्र राय के साथ भी हुआ. उनका ऑपरेशन हाइड्रोसील का होना था. शाम में ऑपरेशन के बाद उन्हें भी ऑपरेशन थियेटर में ही छोड़ दिया गया था. भाई विनोद राय ने बताया कि जब ऑपरेशन थियेटर से वार्ड में शिफ्ट नहीं किया गया तो खुद ही स्ट्रेचर पर लाद कर ऑपरेशन थियेटर से वार्ड में शिफ्ट किया.
यह बहुत गंभीर बात है. ऑपरेशन थियेटर में ऑपरेशन हो जाने के बाद मौजूद कर्मचारी को ही वार्ड में शिफ्ट करना है. अगर ऐसा नहीं किया गया है तो मामले की जांच की जायेगी. जो भी दोषी होंगे, उन पर कार्रवाई की जायेगी.
डॉ ललिता सिंह, सिविल सर्जन

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