अंतत: 124 वर्ष पुराना धनबाद-चंद्रपुरा रेल मार्ग 14 जून, 2017 को इतिहास बन गया. झारखंड के महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में एक कतरासगढ़ स्टेशन समेत इस रूट के 14 स्टेशन व हॉल्ट के नाम भी अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गये. 14 जून को इतिहास बन चुके धनबाद-चंद्रपुरा रेल मार्ग और कतरासगढ़ रेलवे स्टेशन का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है. 16 अप्रैल, 1853 को भारत में सबसे पहले मुंबई से ठाणे के बीच रेलगाड़ी चली. भाप के इंजन के साथ 14 डिब्बों की रेलगाड़ी ने मुंबई से ठाणे के बीच 35 किलोमीटर का सफर तय किया था. ठीक 40 साल बाद सन 1894 में धनबाद-चंद्रपुरा रेल मार्ग अस्तित्व में आया और इसी के साथ कतरासगढ़ रेलवे स्टेशन भी. यानी ब्रिटिश हुकूमत ने जब भारत में रेल सेवा की योजना तैयार की, तो उसमें धनबाद-चंद्रपुरा रेल मार्ग भी शामिल था. बुधवार को चंद्रपुरा जंक्शन से लेकर कतरासगढ़ स्टेशन तक हजारों लोग धनबाद-चंद्रपुरा रेल मार्ग के इतिहास बनने के गवाह बने. चूंकि धनबाद-चंद्रपुरा रेल मार्ग बंद होने के साथ ही कतरासगढ़ स्टेशन का अस्तित्व खत्म हो गया. ऐसे में कतरास, बाघमारा समेत धनबाद व बोकारो जिले के विभिन्न इलाकों से लोगों का कतरासगढ़ स्टेशन परिसर में आना-जाना लगा रहा. सभी की आंखें नम थीं. लोगों में केंद्र सरकार, बीसीसीएल, डीजीएमएस व रेलवे के प्रति आक्रोश साफ दिख रहा था. लोगों का कहना था कि इस रूट को किसी कीमत पर बंद नहीं होने चाहिए थी. सभी लोग विभिन्न ट्रेनों में कतरासगढ़ स्टेशन होकर गुजरने वाले यात्रियों को बाय-बाय कर रहे थे. कई लोग अंतिम सेल्फी लेने में भी व्यस्त थे.
10 जून को भारतीय रेलवे बोर्ड ने धनबाद-चंद्रपुरा रेल मार्ग को बंद करने की घोषणा की. कहा कि डीजीएमएस ने आग और भू-धंसान को ध्यान में रखते हुए इसकी सिफारिश की है. अन्यथा हादसे की आशंका जतायी है.
12 जून को रेलवे बोर्ड ने इस मार्ग पर चलने वाली 26 जोड़ी ट्रेनों में 19 जोड़ी को 15 जून से रद्द कर दी. जबकि सात को डायवर्ट रूट से चलाने
का फैसला किया.
धनबाद-चंद्रपुरा के बीच 11 हॉल्ट-स्टेशनों के करीब पांच लाख लोग होंगे प्रभावित.
संबंधित हॉल्ट-स्टेशनों के लोगों को ट्रेन पकड़ने के लिए धनबाद या गोमो जाना होगा.
14 खदानें हैं धनबाद-चंद्रपुरा रेल मार्ग के नीचे
डीसी लाइन 34 किलोमीटर लंबी है. इसमें छह स्टेशन व सात हॉल्ट और आठ कोल साइडिंग हैं. 14 किमी क्षेत्र में आग फैल चुकी है. आग रेलवे ट्रैक के निकट आ गयी है. इस मार्ग पर यात्री ट्रेनों के अलावा 20 मालगाड़ी सहित 74 ट्रेन चला करती थीं, जो 15 से नहीं चलेंगी.
इस फैसले से कोल लोडिंग से होने वाले 2500 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान होगा. जबकि यात्री टिकट व पार्सल, विज्ञापन आदि से होने वाली 500 करोड़ की आमदनी मारी जायेगी.
असर : 01
डेंजर जोन से हटाये जायेंगे कोलकर्मी
डीसी रेल लाइन को बंद करने के बाद बीसीसीएल ने भी डेंजर जोन में रहे कोलकर्मियों को हटाने के लिए कमर कस ली है. इसके तहत कतरास क्षेत्र अंतर्गत आने-वाले डेंजर जोन में रह रहे 925 मजदूरों को दूसरी जगह बसाने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. उन मजदूरों को अविलंब डेंजर जोन को छोड़कर कंपनी द्वारा बनाये आवासों में बसने की चेतावनी दी गयी है. बुधवार को बाकायदा कर्मियों को नोटिस जारी किया जाना था, परंतु उपायुक्त के हस्तक्षेप से नोटिस को आगे टाल दिया गया है. कार्रवाई के प्रथम चरण में सभी की हाजिरी रोकी जायेगी. इस बात से कर्मियों में खलबली मची हुई है. संभवत: 21 जून को यह कार्रवाई हो सकती है, जबकि गैरबीसीसीएल कर्मियों को बल पूर्वक हटाने की योजना जिला प्रशासन ने बनायी है.
असर : 02 युद्धस्तर पर करायी रैक लोडिंग
धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन पर ट्रेनों के आवागमन बंद होने के साथ ही इन पटरियों पर मालगाड़ियों का परिचालन बंद हो जायेगा. परिचालन बंद होने से फिलहाल इसका खासा असर कोयले की ढुलाई पर भी पड़ेगा. इसके तहत बीसीसीएल के सिजुआ व कतरास क्षेत्रीय प्रबंधन ने अपनी-अपनी साइडिंग से रैक लोडिंग को युद्धस्तर पर कराया. शाम तक हर हाल में रेलवे ने रैक लोडिंग करा लेने का निर्देश जारी किया था. बुधवार को सिजुआ, जोगता तथा लकड़का साइडिंग में लगे रैक को सुबह से ही लोड कराना शुरू कर दिया.
आशंकाओं की सूली पर टंगे रेलकर्मी
धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन के बंद होने के साथ ही रेलवे की परेशानियां बढ़ गयी हैं. इस रूट में पड़ने वाले सभी स्टेशन हॉल्ट, आउटर सिगनल पर सैकड़ों कर्मी कार्यरत हैं. कुसुंडा से दुगदा तक लगभग छह सौ रेल कर्मी कार्यरत हैं. परिचालन के बंद होते ही सबसे पहले इन पर तबादले की तलवार लटक गयी है. इस आलोक में सभी कर्मी भविष्य को लेकर आशंकित हैं. कुछ तबादले को लेकर तो कुछ सेवानिवृत्ति की उम्र में परिवार से दूर होने तथा बच्चों की पढ़ाई की सुविधा कोे लेकर चिंता से दुबले हुए जा रहे हैं.
…तो ले लेंगे वीआरएस : रेल परिचालन से वेसे कर्मी अधिक चिंतित हैं, जो सेवानिवृत्ति के कगार पर हैं और बाल-बच्चों की पढ़ाई-लिखाई व शादी-विवाह की जिम्मेवारियां बची हुई हैं. सेवानिवृत्ति की उम्र में पहुंचे ऐसे कर्मियों का कहना है कि अब नौकरी सिर्फ साल दो साल बची है. अगर उनका तबादला दूर कर दिया गया, तो वे वीआरएस ले लेंगे. कुछ कर्मी इससे खौफजदा हैं कि रेलवे उन्हें यह कहकर वीआरएस न दे दे कि अब इतने लोगों की आवश्यकता नहीं है.
डबडबायी आंखों में आशंका के बादल : स्टेशनों पर उनके रेल कर्मियों के हालात की जानकारी लेने प्रभात खबर की टीम पहुंची तो सभी की आंखें डबडबायी हुई थीं. कुछ कर्मियों ने आशंका जतायी है कि रूट बंद होने के बाद उनका तबादला हुआ, तो उन्हें दी जा रही आवासीय सुविधाएं कहीं बंद न कर दी जाएं. सैकड़ों लोगों ने अपने बच्चों का नामांकन आसपास के विद्यालय में कराया है. वे बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंतित हैं. तबादले के साथ ही उन बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी. इस रूट में सर्वाधिक आवास कतरासगढ़ में हैं. यहां रेलकर्मियों के लगभग 400 आवास हैं. प्रबंधन पहले ही कई सुविधाओं में कटौती कर चुका है. पिछले चार वर्षों से यहां सफाई कार्य की संविदा का नवीकरण नहीं हुआ है. स्थानीय रेल कॉलोनियां वीरान हो जायेंगी. रेलवे ग्राउंड और कतरास इंस्टीट्यूट खत्म हो जायेगा.
समरेश के समर्थकों ने रोकी डीसी ट्रेन
दोपहर के 12.25 बजे जैसे ही धनबाद-मूरी पैसेंजर ट्रेन कतरासगढ़ स्टेशन पहुंची, समरेश सिंह के समर्थक ट्रैक पर कूद गये. ट्रेन को प्लेटफार्म नंबर-1 पर आने से पहले ही जीआरपी थाना के पास रोक दिया गया. इस दौरान जमकर नारेबाजी की गयी. वहां तैनात पुलिस फोर्स व जीआरपी जवानों ने समर्थकों को वहां से हटाया. इसके बाद ट्रेन को मूरी के लिए रवाना कर दिया गया. मौके पर टाईगर फोर्स के सेनापति मनोज महतो, दिनेश महतो, कृष्णा महतो, पिंटू साव, जीतन महतो, राजेश मल्लिक, उत्तम मंडल, चितरंजन दुबे, बीएन उपाध्याय आदि थे.
चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात
धनबाद-चंद्रपुरा रेल मार्ग पर ट्रेन रोके जाने की अफवाह के बाद कतरास पुलिस, आरपीएफ, जीआरपी के फोर्स तैनात कर दिये गये. 11.50 बजे दंडाधिकारी बाघमारा बीडीओ गिरिजानंद किस्कू पहुंचे. इसके बाद 11.55 बजे पूर्व मंत्री समरेश सिंह पहुंच गये. सूचना पाकर कतरास थानेदार सुषमा कुमारी, जीआरपी थानेदार सूर्यदेव सिंह,आरपीएफ इंसपेक्टर एमपी दुबे सदल-बल पहुंचे. स्टेशन परिसर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया. कतरासगढ़ रेलवे स्टेशन के चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया, जो देर शाम तक तैनात रहा. बीडीओ गिरिजानंद किस्कू ने बताया कि वे सुरक्षा के दृष्टिकोण से यहां पहुंचे हैं. सुरक्षा की मुक्कमल व्यवस्था की गयी है.
हर रोज बिकते थे 20-22 हजार के टिकट
कतरासगढ़ स्टेशन से हर रोज 20 से 22 हजार रुपये का टिकट बिकता था. अच्छा-खासा राजस्व प्राप्त होता था. स्टेशन की साइडिंग से करोड़ों की कमाई रेलवे को होती थी. अब यह कमाई बंद हो जायेगी. स्टेशन परिसर के बाहर स्थापना काल वर्ष 1926 दर्ज है. बुजुर्गों की माने, तो आजादी से कुछ वर्ष पहले से ही यहां डीसी ट्रेन का ठहराव शुरू हो गया. धीरे-धीरे कतरास के लोगों ने आंदोलन पर आंदोलन कर कई एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव शुरू कराया गया, मगर जब इस रूट को बंद करने की घोषणा की गयी, तो कतरास के लोग चुप्पी साधे रहे.
1962 में शुरू हुआ था सोनारडीह हॉल्ट
वर्ष 1962 में सोनारडीह हॉल्ट अस्तित्व में आया. इसके बाद यहां डीसी ट्रेन का ठहराव शुरू हुआ. इस हॉल्ट में डीसी के अलावा झाड़ग्राम रूकती है. इस हॉल्ट के अगल-बगल में बीसीसीएल की कई कॉलोनियों और आस-पास में ग्रामीण इलाके हैं. इस हॉल्ट से काफी संख्या में लोग धनबाद, चंद्रपुरा व मूरी तक जाते रहे हैं. इस हॉल्ट में 11 रेलवे कर्मचारी तैनात हैं. हॉल्ट में प्रतिदिन 2,000 का टिकट बिकता था यानी प्रतिमाह 60 हजार रुपये का. यहां के कर्मचारी चिंतित हैं कि अब उन्हें कहां भेजा जायेगा? बुधवार की सुबह 10 बजे कोलकाता-अजमेर और 10.10 बजे रांची-हावड़ा शताब्दी एक्सप्रेस को हॉल्ट के स्टेशन मास्टर ने अंतिम हरी झंडी दिखायी. इस दौरान उनकी आंखें भर आयी.
आंखों देखा सफर कतरासगढ़ से फुलवारटांड़
दोपहर: 12.35 बजे कतरासगढ़ स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर धनबाद-चंद्रपुरा ट्रेन (डीसी) के पहुंचने से पहले यात्री नारेबारी करने लगे और रेल लाइन पर उतर गये. रेल की पटरी पर सो गये. हाइ वोल्टेज ड्रामा के बाद अंतत: 12.35 बजे डीसी ट्रेन चंद्रपुरा के लिए खुल गयी. ट्रेन में प्रभात खबर की टीम भी कतरास से फुलारीटांड़ तक का सफर किया. ट्रेन में बैठे यात्री, जिसमें छात्र, कर्मी, सब्जी बेचने वाली महिलाओं को काफी मायूस देखी गयी. वह कह रही है कि सरकारे इटा जे आर कि करोहो, बुझा दाय. बेसे त हलो, सब्जी बेची के घारेक काम करोहलियो, आर इटा नाय होतो. सुबह आठ बजे चंद्रपुरा से टोकरी में सब्जी लेकर कतरास सब्जी बेचने आयी मानुसी देवी आज जल्दी ही घर वापस हो रही है. बोली, नाय बाबा आज संध्या समय ट्रेना टा जायतो कि नाय जयतो, कवनो ठीक नाय हो. इसलिए वह दोपहर में ही वापस हो रही है. ट्रेन 12.39 बजे तेतुलिया हॉल्ट पहुंची. यात्री उतरे. कई यात्री ट्रेन को छूकर प्रणाम किया, तो कई खड़ा होकर ट्रेन का नाजारा देखते रह गये. ट्रेन 12.44 बजे सोनारडीह हॉल्ट पहुंची. यात्री और छात्र-छात्राएं उतरीं और ट्रेन खुलने पर बाय-बाय करने लगी. यहां भी यात्री उतरें कुछ युवक ट्रेन खुलने पर जोरजोर से चिल्लाकर विरोध करने लगे. ट्रेन 12.52 बजे बुदौरा हाल्ट पहुंची. 35-40 यात्री उतरे और चलते रहे. इसके बाद ट्रेन फुलवारटांड़ स्टेशन पर पहुंची. फुलवारटांड़ स्टेशन पर हंगामा के डर से ट्रेन को किसी प्लेटफॉर्म पर नहीं रोका, बल्कि बीचो-बीच मेल लाइन पर रोक दिया. यहां भारी संख्या में पुलिस मौजूद था.
कई बुजुर्गों की आंखों में आ गये आंसू
डीसी रेल लाइन को बंद होने के अंतिम दिन कतरासगढ़ स्टेशन परिसर में कतरास शहर के कई वृद्ध लोग स्टेशन पहुंचे. दो-तीन वृद्ध शेड के अंतिम छोर पर बैठ कर गुजर रहे ट्रेनों को निहार रहे थे. सभी की आंखें नम थीं. वे तीनों वृद्ध हमेशा स्टेशन परिसर में संध्या समय टहलने के लिए आते थे. एक वृद्ध ने कहा यह अच्छा नहीं हुआ. हमारा यह धरोहर खत्म हो गया. अब कुछ नहीं बचा. फिर धीरे-धीरे वे लोग स्टेशन परिसर से निकल गये.
… जब डीसी ट्रेन के चालक भी हुए भावुक
कतरासगढ़ स्टेशन से चढ़ने के बाद जब ट्रेन फुलवारटांड़ स्टेशन पहुंचे, तो प्रभात खबर टीम ने डीसी ट्रेन के चालक मो. एमए इमाम (लोको पायलट) से बात की, तो वह भी काफी भावुक हो गये. उन्होंने कहा कि वह काफी दिनों से डीसी ट्रेन लेकर आ जा रहे हैं. इस ट्रेन से उनकी भी भावना जुड़ी हुई है. आज अंतिम बार इस ट्रेन को चला रहे हैं. मन दुखी है. लेकिन, क्या करें. हम चालक हैं. हमें जहां ड्यूटी मिलेगी, वहां करेंगे. उन्होंने कहा कि कुसुंडा में विरोध के बाद कतरासगढ़ स्टेशन पर जैसे ही उन्होंने कहा कि यात्री, जनता, छात्र ट्रेन की पटरी पर खड़े हैं और कई लोग पटरी पर लेट गये हैं तो उसने ट्रेन को धीरे कर दिया. मामला शांत होने पर आगे बढ़ाया. अंत में उन्होंने इस रूट के सभी यात्रियों को बाय-बाय किया.
कइयों ने यादगार के लिए लिया अंतिम टिकट
टिकट काउंटर में यात्रा करने के लिए टिकट कम, उसे यादगार के तौर पर रखने के लिए लोगों की भीड़ अधिक रही. कतरास कोयलांचल के दूर-दराज से लोग सिर्फ टिकट काउंटर में पैसेंजर ट्रेन का टिकट लेने पहुंचे थे. बांस कपुरिया से पहुंचे दीपक कुमार विश्वास ने बताया कि उसने टिकट सिर्फ याद रखने के लिए लिया है. खेमका पेट्रोल पंप के कर्मी भी एक टिकट लेकर उसे अपनी यादो में सजोने के लिए कुछ पैसे खर्च किये.
एक्सप्रेस ट्रेनें, जो हो गयी बंद
ट्रेन संख्या ट्रेन नाम कहां से कहां तक
18605/06 रांची-जयनगर एक्स. रांची जयनगर
18627/28 रांची-हावड़ा इंटरसिटी रांची हावड़ा
12831/32 गरीब रथ धनबाद भुवनेश्वर
18603/04 रांची-भागलपुर एक्स. रांची भागलपुर
15661/62 रांची-कामाख्या एक्स. रांची कामाख्या
17007-08 दरभंगा-सिकंदराबाद दरभंगा सिकंदराबाद
18629-30 रांची-न्यू जलपाइगुड़ी रांची न्यू जलपाइगुड़ी
17005-06 हैदराबाद-रक्सौल एक्स. हैदराबाद रक्सौल
13025/26 भोपाल-हावड़ा एक्स. भोपाल हावड़ा
19413/14 कोलकाता-हैदराबाद कोलकाता हैदराबाद
19607/08 कोलकाता-अजमेर एक्स कोलकाता अजमेर
13425/26 सूरत-मालदा एक्स. सूरत मालदा
पैसेंजर ट्रेनें, जो हो गयी बंद
53341/42 मुरी-धनबाद मुरी धनबाद
68079/80 चंद्रपुरा-भोजुडीह चंद्रपुरा भोजुडीह
58013/14 बोकारो-हावड़ा बोकारो हावड़ा
53335/36 हटिया-धनबाद रांची-धनबाद
53339/40 चंद्रपुरा-धनबाद चंद्रपुरा धनबाद
68019/20 झाड़ग्राम-धनबाद झाड़ग्राम धनबाद
अंतिम दिन इस रूट पर इन ट्रेनों ने लगाये फेरे
धनबाद-चंद्रपुरा रेलवे लाइन की बंदी के बाद बुधवार को अंतिम फेरा लगाने वाले ट्रेनें इस प्रकार रही. सुबह छह बजे: रांची-धनबाद इंटरसिटी, 10 बजे : कोलकाता-अजमेर एक्सप्रेस, 10.10 बजे : रांची-हावड़ा शताब्दी एक्सप्रेस, 11.40 बजे: एलेप्पी अप-डाउन, धनबाद-भुवनेश्वर गरीब रथ अप-डाउन, शक्तिपुंज एक्सप्रेस के अलावा इस रूट में चलने वाली कई पैसेंजर ट्रेन व झाड़ग्राम समाचार लिखे जाने तक गुजरी. पता चला है कि 10.50 बजे के बाद चंद्रपुरा से कोई भी ट्रेन धनबाद नहीं आयेगी.
मध्य-रात्रि के बाद काट दी जायेगी बिजली
डीसी रेल लाइन को बंद करने के बाद मध्य रात्रि 12 बजे के बाद रेलवे हाइटेंशन तार में
होने वाले विद्युत प्रवाह को विच्छेद कर दिया जायेगा. सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह कदम रेलवे ने उठाया है.