सिलीगुड़ी. चाय श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी तय करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर विभिन्न चाय श्रमिक ट्रेड यूनियन संगठन के संयुक्त फोरम द्वारा आहूत बंद का दार्जीलिंग पर्वतीय क्षेत्र में जबरदस्त असर पड़ा. सिलीगुड़ी में हालांकि इस बंद का कोई खास असर नहीं देखा गया. दार्जीलिंग पर्वतीय क्षेत्र में पहले से ही गोजमुमो द्वारा सरकारी कार्यालयों में अनिश्चितकाल के लिए बंद जारी है. गोजमुमो ने संयुक्त फोरम के इस बंद का समर्थन किया है.
उसके बाद से ही पहाड़ पर बंद का काफी असर देखा गया. तमाम सुरक्षा व्यवस्था के बीच भी दार्जीलिंग के साथ ही कालिम्पोंग, कर्सियांग एवं मिरिक में संपूर्ण बंद रहा. तमाम दुकानें बंद थी. वाहनों की आवाजाही भी नहीं हुई. सरकारी तथा गैर सरकारी कार्यालय भी बंद पड़े थे. आम जनजीवन पर बंद का भारी असर पड़ा है. दार्जीलिंग के तमाम पर्यटन स्थल भी वीरान पड़े हुए थे. स्कूल-कॉलेज भी बंद थे. दूसरी तरफ सिलीगुड़ी में बंद का मिलाजुला असर रहा है.
सिलीगुड़ी शहर में आम तौर पर वाहनों की आवाजाही तो सामान्य रही, लेकिन दुकान एवं बाजार आदि पर बंद का थोड़ा असर देखा गया. शहर के हिलकार्ट रोड, सेवक रोड, विधान रोड आदि इलाकों में कुछ दुकानें बंद थी तो कुछ दुकान खुले हुए थे. हालांकि बाजार में भीड़-भाड़ भी कम थी. ग्राहकों के नहीं आने से कई दुकानदारों ने बाद में अपनी दुकानें बंद कर दी. सिलीगुड़ी शहर के तमाम सरकारी कार्यालय खुले हुए थे. स्कूल-कॉलेज भी खुले हुए थे. दिन के दो बजे के बाद अधिकांश स्कूलों में छुट्टी दे दी गयी. संयुक्त फोरम के नेताओं ने बंद के संपूर्ण सफल होने का दावा किया है. सीपीआइ-एमएल नेता तथा संयुक्त फोरम के कन्वेनर अभिजीत मजूमदार का कहना है कि आम लोगों ने बंद को सफल बनाया है.
राज्य में श्रमिकों के अधिकारों के हनन का आरोप
कोलकाता. चाय बागान श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी तय करने, बंद चाय बागानों को खुलवाने समेत कई मांगों को लेकर चाय बागानों के श्रमिक और ट्रेड यूनियन के ज्वाइंट फोरम ने दो दिवसीय चाय बागान हड़ताल का आह्वान किया था. मंगलवार को हड़ताल के दूसरे दिन उत्तर बंगाल के कई इलाकों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो रहा था. आरोप के अनुसार जलपाईगुड़ी के गोशाला मोड़ के निकट आदिवासी महिलाओं के धरना प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा बल प्रयोग किया गया और कई महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया. उपरोक्त घटना की डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाइएफआइ) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआइ) ने कड़ी निंदा की है. संगठन ने आरोप लगाया है कि राज्य में श्रमिकों व मजदूरों के अधिकारों का हनन करने का प्रयास किया जा रहा है. इसका विरोध जारी रहेगा. इस घटना के खिलाफ एसएफआइ और डीवाइएफआइ, कोलकाता जिला कमेटी की ओर से दक्षिण कोलकाता के इलाके में रैली निकाली गयी.