सिलीगुड़ी. भारत के विभिन्न मंदिरों में स्थापित प्राचीन मूर्तियों की मांग पड़ोसी देश नेपाल में बढ़ने लगी है. बड़े पैमाने पर जाल बिछाकर एक गिरोह बिहार के मंदिरों से इन मूर्तियों की चोरी कर तस्करी कर रहा है. एक गुप्त सूचना के आधार पर एसएसबी की 41वीं बटालियन व कस्टम विभाग की टीम ने सिलीगुड़ी के पास से अष्टधातु निर्मित सीता माता की मूर्ति बरामद की है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 40 करोड़ रुपये बतायी जा रही है. सीता के साथ राम, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियां भी गायब होने का अंदेशा एसएसबी को है. बीते करीब दो महीनों में एसएसबी की 41वीं बटालियन ने कस्टम के साथ मिलकर अष्टधातु की छह मूर्तियां बरामद की हैं. साथ ही पांच तस्करों की गिरफ्तारी की गयी है.
सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 41वीं बटालियन के जवानों ने कमांडेंट राजीव राणा, डीसी ब्रजेश कुमार तथा एसी विकास कुमार की अगुवाई में सिलीगुड़ी कस्टम के पीएंडआइ ने संयुक्त अभियान चलाकर भारत-नेपाल सीमा पर बागडोगरा और नक्सलबाड़ी इलाके से दो तस्करों को गिरफ्तार कर लिया है. इन दोनों के पास से सीता की ऐतिहासिक मूर्ति बरामद की गयी. मूर्ति का वजन करीब साढ़े बारह किलो है. जांच के लिए मूर्ति को जब उत्तर बंग विश्वविद्यालय भेजा गया, तो वहां से इस अष्टधातु की प्रतिमा को ऐतिहासिक बताया गया. जिन दो तस्करों को गिरफ्तार किया गया है, वे दोनों बिहार के रहने वाले हैं. एसएसबी सूत्रों ने बताया कि आरोपी संतोष कुमार पासवान (36) बिहार के मुजफ्फरपुर जिला अंतर्गत मीनापुर थाना के अधीन खानेजातपुर का रहने वाला है. दूसरा आरोपी सुनील कुमार (33) भी मुजफ्फरपुर जिले के कांटी थाना अंतर्गत बनगानी का रहने वाला है. इन दोनों से आगे की पूछताछ की जा रही है.
एसएसबी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 26 अप्रैल से लेकर अब तक अष्टधातु की कुल छह ऐतिहासिक मूर्तियां बरामद किया जा चुका है. चलाये गये अभियान में पांच तस्करों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है. बीते 26 अप्रैल को किशनगंज और सिलीगुड़ी के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग पर अभियान चलाकर एसएसबी और कस्टम ने निताई (गौड़) की प्रतिमा बरामद की थी. पड़ोसी राज्य बिहार के पूर्णिया जिला निवासी तस्कर पुलकित ऋषि को इस संबंध में गिरफ्तार किया गया था. 24 किलोग्राम इस प्रतिमा की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 45 करोड़ रुपये आंकी गयी थी. इसके करीब दो सप्ताह बाद ही एसएसबी ने एक किलोग्राम वजन की गणेश की एक प्रतिमा जब्त की थी. इस मूर्ति की तस्करी के आरोप में पलाश मित्र नामक एक रिक्शा चालक को गिरफ्तार किया गया था. इस प्रतिमा की कीमत करीब 11 लाख रुपये आंकी गयी थी. इसके ठीक दो दिन बाद गत 8 मई को एसएसबी व कस्टम ने संयुक्त अभियान चलाकर अष्टधातु की दो ऐतिहासक मूर्तियां बरामद कीं. इन दो मूर्तियों की अंतरराष्ट्रीय कीमत 35 करोड़ रुपये आंकी गयी थी. इसकी तस्करी के आरोप में बिहार के फोटू यादव को गिरफ्तार किया गया था.
एसएसबी सूत्रों के मुताबिक, बिहार में ऐसे कई प्राचीन स्थल व मंदिर हैं, जिनका काफी धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व है. अंतराष्ट्रीय बाजार में इन स्थानों व मंदिरों में लगी मूर्तियों की मांग काफी बढ़ गयी है. मंदिरों से मूर्तियां चोरी कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तस्करी करने के लिए एक गिरोह बड़े पैमाने पर कार्य कर रहा है. मूर्ति का फोटो व उसका महत्व, तथा पौराणिक कथाओं के लेख को दिखाकर कीमत तय होती है. बोली में कीमत तय होने के बाद मंदिर से मूर्ति की चोरी कर ग्राहक तक पहुंचायी जाता है. हाल के कुछ महीनों में ऐतिहासिक मूर्तियों की मांग नेपाल में काफी बढ़ी है. इस गिरोह का भांडाफोड़ करने के लिए बिहार प्रशासन भी प्रयासरत है.
एसएसबी 41वीं बटालियन के कमांडेंट राजीव राणा ने बताया कि सिर्फ नेपाल में नहीं, बल्कि कई देशों में ऐतिहासिक मूर्तियों की मांग है. जिस देश के ग्राहक मूर्ति की सबसे अधिक बोली लगाते हैं चोरी करने के बाद मूर्ति उन तक पहुंचा दी जाती है. श्री राणा ने बताया कि एसएसबी इन मामलों की जांच नहीं करती है. बल्कि जब्त करने के बाद आरोपी सहित जब्त की गयी वस्तु कस्टम या संबंधित जांच एजेंसियों को सौंप दी जाती है. जांच एजेंसिया इन मामलों की जांच कर रही हैं. बिहार पुलिस भी इन मामलों की जांच कर रही है. सीता की जो मूर्ति बरामद हुई है, उसके साथ की राम, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्ति भी गायब होने का अंदेशा है. बिहार पुलिस आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर लेकर रवाना हो चुकी है.