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#BIHAR : पूर्णिया के छात्र का कमाल, भैंस की चोरी रोकने को बनायी अलार्म वाली रस्सी
पुष्यमित्र/रिंकु झा पटना: जिस बिहार में इंटर परीक्षा में दो तिहाई छात्र फेल हो जा रहे हैं, वहीं प्रदेश का एक आदिवासी छात्र राजेश हंसदा विज्ञान में अपने प्रयोगों को लेकर चर्चा में है. उसने अलार्म वाली ऐसी रस्सी बनायी है, जो भैंस की चोरी रोकने में सहायक है. राजेश फिलहाल पूर्णिया के एमएल आर्या […]
पुष्यमित्र/रिंकु झा
पटना: जिस बिहार में इंटर परीक्षा में दो तिहाई छात्र फेल हो जा रहे हैं, वहीं प्रदेश का एक आदिवासी छात्र राजेश हंसदा विज्ञान में अपने प्रयोगों को लेकर चर्चा में है. उसने अलार्म वाली ऐसी रस्सी बनायी है, जो भैंस की चोरी रोकने में सहायक है. राजेश फिलहाल पूर्णिया के एमएल आर्या काॅलेज में विज्ञान विषय से 12वीं की पढ़ाई कर रहा है. इस प्रयोग के लिए सकूरा एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत 28 मई से दो जून तक जापान की पांच दिवसीय यात्रा पर जानेवाली 60 सदस्यीय छात्रों की टीम में उसे भी शामिल किया गया था. इस टीम में बिहार से दो छात्र जापान गये थे, जिनमें एक छात्र समस्तीपुर का अमित है.
भैंस चोरी होने से परेशान थे राजेश के माता-पिता
राजेश के इस वैज्ञानिक प्रयोग का दास्तां बहुत दिलचस्प है. पूर्णिया जिले के एक सुदूरवर्ती गांव कैथाडोभ में अपने माता-पिता के साथ रहनेवाला राजेश ठेस आदिवासी परिवेश से आता है. उसके पिता एक सामान्य किसान है. वह बताता है कि एक रोज रात में किसी ने उसकी भैंस चुरा ली. उसने देखा कि भैंस की चोरी होने से उसके माता-पिता काफी परेशान रहने लगे थे. वह उनकी आजीविका का साधन था. उस रोज से उसके मन में यह बात थी कि काश, कोई ऐसी मशीन हो कि भैंस की चोरी रुक जाये.
2015 में बनायी सुरक्षा रस्सी
उसका यह सपना दो साल पहले तब पूरा हुआ, जब वह पूर्णिया के ही धमदाहा हाइस्कूल में 10वीं की पढ़ाई कर रहा था. उस स्कूल में बच्चों को विज्ञान के प्रयोग सिखाने का अच्छा माहौल है. वहां के शिक्षक संतोष कुमार इस काम में खासी रुचि लेते हैं. उन्हीं के मार्गदर्शन में राजेश हांसदा ने एक ऐसा उपकरण बनाया, जो भैंस की चोरी होने की स्थिति में अलार्म की तरह बजने लगता है.
उसने एक सुरक्षा रस्सी का निर्माण किया था, इस रस्सी की खासियत यह है कि अगर इस रस्सी से बंधे पशु को कोई खोलता है, तो पशु मालिक के घर में अलार्म बजने लगता है और इसका मैसेज उसके मोबाइल पर भी आ सकता है. उसके इस मॉडल को इंस्पायर अवार्ड के तहत 2015 में जिला और राज्य स्तर की विज्ञान प्रतियोगिताओं में अवार्ड तो मिले ही, राष्ट्रीय स्तर पर भी पुरस्कृत किये गये.
जापान जैसे संसाधन मिले, तो यहां भी हो सकता है अच्छा काम : राजेश
कोसी-सीमांचल क्षेत्र के सबसे पिछड़े इलाके के आदिवासी किसान परिवार के इस छात्र का जापान जाना इतना आसान नहीं था. उसके पास पासपोर्ट भी नहीं था. 2016 में ही उसे जापान जाना था, मगर समय से पासपोर्ट नहीं बनवा पाने की वजह से वह उस साल जापान नहीं जा पाया. फिर उसे 2017 में एक और मौका मिला और तब तक उसका पासपोर्ट तैयार था. 28 मई से दो जून तक जापान के नगोया और टोकियो शहर में उसे अन्य छात्रों के साथ जापान के वैज्ञानिक प्रयोगों को दिखाया गया. वहां रह कर राजेश ने महसूस किया कि जापान की तकनीक की दुनिया कितनी समृद्ध है. वह वहां के प्रयोगों को देख कर उत्साहित है और कहता है कि अगर सही संसाधन मिले, तो वह यहां भी ऐसे प्रयोग कर सकता है और उपकरण बना सकता है.
माध्यमिक शिक्षा परिषद के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी किरण कुमारी ने कहा िक प्रदेश भर से टैलेंट को खोजने के लिए ही इस्पायर अवार्ड की शुरुआत की गयी है. गांव स्तर पर कई टैलेंट होते हैं. इसमें उन्हें शामिल होने का मौका मिलता है. जिसका आइडिया सबसे अच्छा होता है, अलग हट कर होता है, उसी का इसमें चयन होता है.
पावर सप्लाइ बंद होते ही रस्सी से निकलने लगेगी अावाज
राजेश हंसदा ने बताया कि इस रस्सी में एक रिले और पावर सप्लाइ का प्रयोग होता है. पावर सप्लाइ या तो बिजली या बैटरी से कर सकते हैं. गांव में बिजली की दिक्कत होती है, इस कारण इसे बैटरी से चलाया जाता है. जब भी इस रस्सी में पावर सप्लाइ बंद होगी, तो तार टूट जायेगा. तार के टूटते ही अलार्म बजना शुरू हो जायेगा. जिस तरह से घर में कॉलवेल बजता है और बाहर किसी के होने की जानकारी हमें मिल जाती है, उसी तरह जैसे ही इस रस्सी को कोई काटने या तोड़ने की कोशिश करेगा, तो इसमें से आवाज निकलेगी और पशु के मालिक को पता चल जायेगा. पशुओं को बचाने के लिए हर दिन किसानों को रस्सी खोलनी और बांधनी होगी
मात्र 150 रुपये में तैयार हो जायेगी अलार्म रस्सी
यह रस्सी बनाने में मात्र 150 रुपये लगेंगे. यदि पांच मीटर अलार्म रस्सी तैयार करनी है, तो इसके लिए पांच मीटर प्लास्टिक की रस्सी चाहिए. एक छोटा-सा अलार्म मशीन और बैटरी की आवश्यकता होती है. राजेश हंसदा ने बताया कि पांच मीटर अलार्म रस्सी तैयार करने में 150 रुपये तक का खर्च आयेगा. प्लास्टिक की रस्सी व अलार्म खरीदने होंगे.
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