नयी दिल्लीः पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की आेर से की गयी नोटबंदी के कर्इ महीने के बाद देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआर्इ) ने आशंका जाहिर करते हुए कहा है कि सरकार के विमुद्रीकरण से देश की अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो सकती है. इसके साथ ही, कारोबार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. सरकार ने आठ नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर कर 500 और 2,000 रुपये के नये नोटों कों शुरू किया था. एसबीआई ने निजी नियोजन के माध्यम से 15,000 करोड़ रुपये जुटाने से पहले अपने सांस्थानिक निवेशकों को सूचना देने वाले दस्तावेज में कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था और बैंकिंग क्षेत्र पर नोटबंदी का दीर्घकालिक प्रभाव अनिश्चित है.
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बता दें कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने हाल हीं में 75 लाख से ऊपर के होम लोन की ब्याज दर में कटौती की है और 75 लाख से ऊपर के होम लोन में 10 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई है. बैंक का यह फैसला 15 जून से लागू होगा.जिसमें सैलरी पाने वाली कामकाजी महिलाओं के लिए संशोधित ब्याज दर 8.55 प्रतिशत सालाना होगी, जबकि अन्य के लिए यह 8.60 प्रतिशत सालाना होगी. बैंक का यह फैसला छोटी राशि के होम लोन पर ब्याज दर घटाने के फैसले के बाद आया था.
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