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धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन बंद लाखों की आबादी पर पड़ेगा सीधा प्रभाव

कतरास कोयलांचल की लाइफ लाइन कही जाने वाली धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन को हटाने के फैसले के साथ ही अब इलाके की आर्थिक राजधानी कतरास के अस्तित्व पर प्रश्न चिह्न लग गया है. कतरास की करीब साढ़े तीन लाख की आबादी पर इसका सीधा असर पड़ेगा. कतरास: डीसी रेल लाइन के अधीन बाघमारा विस क्षेत्र के […]

कतरास कोयलांचल की लाइफ लाइन कही जाने वाली धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन को हटाने के फैसले के साथ ही अब इलाके की आर्थिक राजधानी कतरास के अस्तित्व पर प्रश्न चिह्न लग गया है. कतरास की करीब साढ़े तीन लाख की आबादी पर इसका सीधा असर पड़ेगा.
कतरास: डीसी रेल लाइन के अधीन बाघमारा विस क्षेत्र के बांसजोड़ा हॉल्ट, सिजुआ, अंगारपथरा, कतरास स्टेशन, तेतुलिया, सोनारडीह, बुदौरा, फुलारीटांड़, जमुनिया हॉल्ट आते हैं. अब कुसुंडा से लेकर बोकारो के दुग्दा स्टेशन भी इसकी जद में होंगे. कतरास कोयलांचल के व्यवसायी, छात्र-छात्राएं, डेली पैसेंजर व नौकरी पेशा लोग इसी रूट से रांची-मूरी से लेकर जमशेदपुर आना-जाना करते थे. अभी से ही कतरासगढ़ स्टेशन के अगल-बगल दुकानदार से लेकर स्टैंड के चालकों में मायूसी साफ देखी गयी.
कोई काम ना आया आंदोलन : 21 मई को डीजीएमएस, जिला व रेल प्रशासन की रिपोर्ट के बाद पीएमओ ऑफिस में इस रूट को बंद करने की हामी मिल गयी थी. इसके बाद से कई आंगोलन हुए. डेढ़ माह पूर्व से ही कतरास विकास मंच आंदोलन कर रहा है. मगर आंदोलन का कोई असर नहीं हुआ. पूर्व मंत्री मथुरा प्रसाद महतो, पार्षद विनोद गोस्वामी, पार्षद विनायक गुप्ता, आजसू नेता सह जिप सदस्य सुभाष राय सहित कई सड़क पर उतरे. मथुरा महतो रेलमंत्री से भी मिले, पर कोई लाभ नहीं हुआ.
रेलवे का तामझाम हुआ बेकार
कतरासगढ़ का अस्तित्व 1952 में आया. नवंबर-दिसंबर में करोड़ों की लागत से कतरासगढ़ स्टेशन में बड़े ही तामझाम के साथ इंटरलॉकिंग सिस्टम का रेलवे अधिकारियों ने उदघाटन किया.इसके बाद स्टेशन परिसर में बड़ा सा शौचालय बनवाया गया.साथ ही स्टेशन का कायाकल्प भी किया गया. दो प्लेटफार्म के साथ फूटब्रिज भी बनना था.प्लेटफार्म तो बकायदा बन भी रहा था.अब सब धरी की धरी रह जायेगी.
कतरासगढ़ स्टेशन का विकल्प निचितपुर हॉल्ट : कतरासगढ़ स्टेशन के उजड़ने के बाद कतरास कोयलांचल के लिए एक मात्र विकल्प निचितपुर हॉल्ट होगा. अगर रेलवे इस हॉल्ट को स्टेशन का दरजा देकर विकास करे तो कतरास कोयलांचल ही नहीं, वरन तोपचांची इलाके के लोगों को भी फायदा होगा. यही कारण है कि इस स्टेशन के सौंदर्यीकरण को लेकर अरसे से विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग व सामाजिक संगठनों ने आंदोलन चलाया. एक हफ्ता पूर्व मासस के केंद्रीय सचिव हलधर महतो ने एक दिवसीय धरना देकर इस हॉल्ट को स्टेशन का दरजा देने की मांग की. उन्होंने उसी समय साफ-साफ कहा था कि डीसी रूट में आग है, उजड़ना ही होगा. इसलिए कतरास कोयलांचल के लिए निचितपुर रेलवे हॉल्ट का विकास करना जरूरी है.
123 वर्ष पुराना है धनबाद-चंद्रपुरा रूट
धनबाद-चंद्रपुरा (डीसी रूट) करीब 123 वर्ष पुरानी है यह रूटा कतरास कोयलांचल के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसी रेल मार्ग से पूरे कोयलांचल के लोग धनबाद से लेकर रांची तक आना-जाना करते हैं. जानकारों ने बताया कि अंगरेजों ने कोयला परिवहन के लिए इस रूट पर करीब 1893-94 में लाइन बिछायी गयी थी. बाद में अंगरेजों ने अपने कर्मचारियों के लिए ही डीसी ट्रेन शुरू किया. इसके बाद धीरे
-धीरे इस रूट का विस्तार होते गया और दर्जनों ट्रेनों का परिचालन होते गया.
वीरान पड़ जायेगा कतरास
इस रूट के बंद होने से सबसे अधिक नुकसान कतरासगढ़ स्टेशन को पहुंचेगा. धनबाद स्टेशन के बाद दुगदा (बोकारो) के बीच कई स्टेशन पड़ते हैं. उममें सबसे अधिक महत्वपूर्ण कतरासगढ़ स्टेशन है. बड़ा सा प्लेटफॉर्म है. दो व तीन नंबर प्लेटफॉर्म बन रहा है. अब निर्माणाधीन प्लेटफॉर्म पर भी रोक लग जायेगी. इस स्टेशन में हजारों लोग काम करते हैं. रेलवे इंस्टीच्यूट समेत कतरास-फुलारीटांड़ मार्ग के पचगढ़ी काली मंदिर के निकट करीब 400 आवास हैं. अब वहां भी वीरानी छा जायेगी. रेलवे मैदान में शाम को रेलवे कर्मचारियों के बच्चों की खेलकूद नजर नहीं आयेगी. रेलवे कर्मचारियों के यहां से जाने के बाद पचगढ़ी बाजार की रौनक पूरी तरह से खत्म हो जायेगी.
फुलारीटांड़ में छायी मायूसी
फुलारीटांड़. फुलारीटांड़ सहित अन्य इलाकों में मायूसी है. फुलारीटांड़ से बाघमारा, हरिणा, डुमरा, खरखरी, मधुबन, नावागढ़, सिनीडीह, महुदा, महेशपुर, टुंडू सहित सहित दर्जनों गांव के लोग सवारी गाड़ी और एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ कर आना-जाना करते हैं. स्टेशन के दुकानदारों के चेहरे मुरझा गये हैं. स्कूली बच्चे ट्रेन से कतरास, धनबाद व रांची आते-जाते हैं.

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