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टूटी सड़कें व बजबजाती नालियां बनीं परेशानी

बदहाली. विकास की बाट जोह रहे गांधीनगर के लोग पांच साल के दौरान ही उखड़ गयीं सड़कें औरंगाबाद शहर : औरंगाबाद शहर का वार्ड नंबर 33 नंबर के हिसाब से शहर का सबसे आखिरी वार्ड है. भौगोलिक दृष्टि से भी यह शहर के आखिरी कोने पर बसा है. इस वार्ड में समस्याओं की भरमार है. […]

बदहाली. विकास की बाट जोह रहे गांधीनगर के लोग
पांच साल के दौरान ही उखड़ गयीं सड़कें
औरंगाबाद शहर : औरंगाबाद शहर का वार्ड नंबर 33 नंबर के हिसाब से शहर का सबसे आखिरी वार्ड है. भौगोलिक दृष्टि से भी यह शहर के आखिरी कोने पर बसा है. इस वार्ड में समस्याओं की भरमार है.
सच कहा जाये, तो जितना विकास इस वार्ड का होना चाहिए था, वह नहीं हो सका. वार्ड के गांधीनगर इलाके में विकास नाम की कोई चीज नहीं दिखती है.
पांच साल के दौरान जो सड़कें बनी थीं, वे जीर्णशीर्ण अवस्था में दिखाई देती हैं. हाल के दिनों में वार्ड की आबादी बढ़ी है. इस इलाके में अधिकतर लोग गांवों से आकर बसे हैं. ये लोग शहरी जीवन जीने की चाहत लिये यहां पहुंचे. लेकिन, यह उम्मीद वार्ड में पूरी होती नहीं दिख रही है.
वार्ड की एक बड़ी आबादी कच्ची सड़क से आने-जाने को मजबूर है. नगर पर्षद चुनाव में यहां के मतदाताओं ने इस बार बदलाव किया है और नये प्रतिनिधि के रूप में युवा सुरेंद्र कुमार का चुनाव किया है. लोगों की काफी उम्मीदें हैं. वार्ड 33 में जल निकासी की समस्या गंभीर है. बरसात के दिनों में गांधीनगर और पीपरडीह का इलाका बाढ़ के पानी से डूबा हुआ रहता है. हाइवे से सटे इलाके में रहनेवाले लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुस जाया करता है. महीनों तक यह इलाका टापू में तब्दील रहता है. साफ-सफाई की व्यवस्था भी ठीक नहीं है. डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का लाभ यहां के लोगों को नहीं मिल पाता है.

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