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डिप्रेशन दूर करने में कारगर हो रहा डिजिटल प्लेटफॉर्म

!!रचना प्रियदर्शी!! रिचा सिंह ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपनी जिस सहेली से रोज मिलती थी, उसके साथ बैठ कर घंटों हंसती-बोलती और बातें करती थी, वह भी इस कदर डिप्रेशन का शिकार हो सकती है कि उसे आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ जाये. रिचा के अनुसार, उनकी फ्रेंड को […]

!!रचना प्रियदर्शी!!

रिचा सिंह ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपनी जिस सहेली से रोज मिलती थी, उसके साथ बैठ कर घंटों हंसती-बोलती और बातें करती थी, वह भी इस कदर डिप्रेशन का शिकार हो सकती है कि उसे आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ जाये. रिचा के अनुसार, उनकी फ्रेंड को देख कर कोई नहीं कह सकता था कि वह इतने गहरे डिप्रेशन में होगी. दरअसल वह इंजीनियरिंग के भारी-भरकम सिलेबस का प्रेशर झेल नहीं पा रही थी. हर समय उसे इस बात का डर सताता रहता था कि अगर उसके मार्क्स अच्छे नहीं आये, तो उसे अच्छी कंपनी में प्लेसमेंट नहीं मिलेगा और इस दबाव में आकर उसने आत्महत्या कर लिया.

दरअसल आइआइटी जैसे संस्थानों में पढ़नेवाले स्टूडेंट्स के लिए सुसाइड एक कॉमन प्रॉब्लम-सी हो गयी है. यहां आनेवाले ज्यादातर बच्चे अपने क्लास या स्कूल के टॉपर्स होते हैं. उन सारे टॉपर्स को एक साथ एक ही क्लास में बैठना पड़ता है. उनमें फर्स्ट रैंकर से लास्ट रैंकर तक सभी शामिल होते हैं. ऐसे में कई स्टूडेंट्स को यह बात हजम नहीं हो पाती. इसके अलावा, कई स्टूडेंट्स ऐसे भी होते हैं, जो टॉपर नहीं होते, लेकिन वे अपने पैरेंट्स या सोसाइटी प्रेशर की वजह से एंट्रेस एक्जाम पास करके कैंपस तक पहुंच जाते हैं. बाद में यहां के कंपीटिटीव माहौल, टफ सिलेबस तथा पढ़ाई को नहीं झेल पाते और इस तरह का गलत कदम उठा लेते हैं.

इस बात को ध्यान में रखते हुए रिचा ने एक ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार करने की सोची, जहां लोग खुल कर अपनी परेशानियों को विशेषज्ञों के साथ शेयर कर सकें और इससे उबरने के बारे में जान सकें. ऐसे लोगों में बच्चे, बुजुर्ग या युवा – कोई भी शामिल हो सकते हैं. वहीं सलाह या सुझाव देनेवाले लोगों में साइकोलॉजिस्ट, साइकोथेरेपिस्ट, काउंसेलर, लाइफ कोच या कैरियर गाइड हो सकते हैं.

इससे पहले रिचा हैदराबाद स्थित एक इंवेस्टमेंट फर्म में बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर काम कर रही थीं. जॉब के दौरान जब उन्हें पता चला कि वहां उनके सहकर्मी पुनीत मनुजा (जो आइआइएम, बेंगलुरु से एमबीए और एनआइटी, कालीकट के गोल्ड मेडलिस्ट स्टूडेंट थे) भी अपने पसंद की जॉब न पाने की वजह से कभी डिप्रेशन का शिकार रह चुके थे और बड़ी मुश्किल से इससे उबर पाये थे. यह जान कर रिचा ने पुनीत के साथ मिल कर वर्ष 2009 में मेंटल हेल्थ की दिशा में रिसर्च स्टडी करनी शुरू की और वर्ष 2015 में योर दोस्त डॉट कॉम (YourDOST.com) नामक बेवसाइट लॉन्च किया.

इस प्लेटफॉर्म में तीन तरह की जानकारियां मौजूद हैं-सेल्फ हेल्प (डिप्रेशन के बारे में सैद्धांतिक जानकारी), पीयर-टू-पीयर (वैसे अन्य लोगों की कहानियां, जो इस तरह की परेशानियों से कभी जूझ चुके हों) और वन-टू-वन (एक्सपर्ट्स से सीधे बातचीत के द्वारा). इस वेबसाइट पर टेक्स्ट मैसेज द्वारा दी जानेवाली जानकारियां मुफ्त हैं, वहीं 45 मिनट की वॉयस या वीडियो बेस्ड काउंसेलिंग के लिए क्रमश: 400 रुपये और 600 रुपये की फीस वसूली जाती है. एक दिन में करीब 350 काउंसेलिंग सेशंस होते हैं. इस वेबसाइट पर 24घंटे सहायता उपलब्ध है. इसके अलावा, इस पर मोटवेशनल लिटरेचर और इनफॉर्मेशन भी मौजूद हैं. योर दोस्त डॉट कॉम के माध्यम से लगभग सभी महत्वपूर्ण भारतीय भाषाओं में लोगों को काउंसेलिग की सुविधा दी जाती है. आनेवाले दिनों में रिचा टेलिफोनिक बातचीत के जरिये भी लोगों को कनेक्ट करने की कोशिश कर रही हैं.

आज रिचा के पास इस बेवसाइट के लिए करीब ढाई करोड़ की फंडिग उपलब्ध है, लेकिन शुरुआत में कई महीनों तक ऐसा भी समय रहा, जब रिचा को कई महीनों तक अपने घर से पैसे लगाने पड़े थे. उनके अनुसार, ‘मुझे इस बात की चिंता नहीं थी कि मेरी पूंजी का रिटर्न मुझे मिलेगा या नहीं. मैं बस इतना चाहती थी कि मेरी इस कोशिश से लोगों की जिंदगी खुशहाल बन सकें.उन्हें कभी भी आत्महत्या जैसा खतरनाक रास्ता अपनाना न पड़े, जैसा कि मेरी रूममेट को अपनाना पड़ा था. आज जो लोग मेरे इस प्रयास से लाभान्वित हुए हैं, वे जब इसके लिए मुझे धन्यवाद देते हैं, तो सुकून मिलता है. खुशी महसूस होती है यह सोच कर कि मैं अपने प्रयासों से किसी के जीवन को अंधेरे में जाने से बचा पा रही हूं.’

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