दरअसल, इन सब बातों के गंभीर मायने हैं. अभी रमजान का पाक महीना चल रहा है. इस माह-ए-रमजान में जरूरी है कि हम मोदी सरकार की उन नीतियों की चर्चा कर लें, जिन्हें अल्पसंख्यकों की तरक्की के लिए बनाया गया. मैं झारखंड में रहता हूं. यहां अल्पसंख्यकों के लिए नवोदय विद्यालय की तरह का एक स्कूल खोलने की योजना है.
ऐसे ही 100 स्कूल पूरे मुल्क में खोले जा रहे हैं. जहां सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे तालीम हासिल करेंगे. ‘मौलाना आजाद फेलोशिप’ के लिए 100 करोड़ रुपये का फंड रखा गया है. इसी तरह ‘मौलाना आजाद एडुकेशन फाउंडेशन’ के लिए 113 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया है. पिछले तीन सालों के दौरान 4740 करोड़ रुपये के बराबर राशि की छात्रवृति बांटी गयी है. इससे पौने दो करोड़ से भी ज्यादा छात्रों को आर्थिक मदद मिली है. मुस्लिम समाज की मेधावी बेटियों के लिए ‘बेगम हजरत महल छात्रा छात्रवृति’ शुरू की गयी है. यूनानी और आर्युवेद की पढ़ाई के लिए कई सारे काॅलेज खोले जा रहे हैं. जरा सोचिये, ये सब हो जाने पर अल्पसंख्यक समुदाय की शैक्षणिक स्थिति में कितना बड़ा परिवर्तन आयेगा. इसी तरह इनके कौशल विकास पर अलग से काम किया जा रहा है. ‘गरीब नवाज कौशल विकास केंद्र’ इसी कड़ी में खोले गये हैं. इसके साथ ही ‘उस्ताद’, ‘सीखो और कमाओ’ जैसी योजनाएं हैं.
केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का बजट इस साल 4155 करोड़ कर दिया गया है. यह 2016-17 के मुकाबले 9.6 फीसदी अधिक है. पिछले साल यह राशि 3800 करोड़ रुपये थी. सरकार ने हर साल इस विभाग के बजट में बढ़ोतरी की है. ‘प्रधानमंत्री 15 सूत्री कार्यक्रम’ के तहत 11 मंत्रालयों की 24 योजनाएं शामिल की गयी हैं. इसके बजट में भी नौ फीसदी की वृद्धि की गयी है.
नरेंद्र मोदी की सरकार ने डिजिटल भारत का सपना देखा है. इसके तहत हज आवेदन भी डिजिटलाइज किये गये हैं. हज आवेदन की प्रक्रिया का सरलीकरण किया है. वक्फ बोर्ड की संपत्ति को लेकर कई जगहों पर विवाद है. इसे डिजिटलाइज कर इन विवादों के निपटारे के लिए एक बोर्ड का गठन किया गया है.
सरकार के नारों पर गौर करें, तो आप खुद फर्क समझेंगे. पहले साल सरकार ने नारा दिया- ‘साल एक शुरुआत अनेक’ , दूसरी सालगिरह पर –‘देश बदल रहा है’ और अब तीसरी सालगिरह पर सरकार कह रही है कि ‘बोल्ड लीडरशिप बिलियंस अस्पीरेशंस’. दरअसल, इन तीन नारों में सरकार के कामकाज के तरीके और उसके उद्देश्यों का पूरा दर्शन समाहित है.