25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पर्यावरण दिवस पर विशेष : पॉलिथीन के ढेर पर धरती का भविष्य

पर्यावरण और प्रकृति से हमारी आत्मीयता सदियों पुरानी है़, जैसा कि प्रधानमंत्री ने हाल ही में एक सवाल के जवाब में कहा कि प्रकृति की उपासना हमारी वैदिक कालीन सभ्यता से मिली हुई पहचान है़ आज भले ही दुनिया विश्व पर्यावरण दिवस के नाम पर प्रकृति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर रही है, लेकिन […]

पर्यावरण और प्रकृति से हमारी आत्मीयता सदियों पुरानी है़, जैसा कि प्रधानमंत्री ने हाल ही में एक सवाल के जवाब में कहा कि
प्रकृति की उपासना हमारी वैदिक कालीन सभ्यता से मिली हुई पहचान है़ आज भले ही दुनिया विश्व पर्यावरण दिवस के नाम पर प्रकृति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर रही है, लेकिन विकास की आपाधापी में इनसान प्रकृति को नुकसान पहुंचाने पर आमादा है़ हवा में जहां एक ओर जहर घोलने के लिए हम जिम्मेवार हैं, वहीं विनाशकारी रसायनों से बने पॉलिथीन व प्लास्टिक जैसे पदार्थों से धरती की सेहत लगातार खराब हो रही है़ पर्यावरण से अपने रिश्तों की अहमियत को हम कैसे बरकरार रखें, इसी संकल्प के साथ पर्यावरण दिवस पर विशेष प्रस्तुति…
अविनाश कुमार चंचल
आ ज दुनियाभर में इस बात पर चिंता जाहिर की जा रही है कि हमारी धरती को कैसे बचाया जाये. ये धरती धीरे-धीरे खत्म होने के कगार पर बढ़ रही है. जैसे-जैसे मानव सभ्यता विकास की तरफ बढ़ती गयी, वैसे-वैसे प्रकृति से उसका रिश्ता खत्म होता गया. विकास की जिस दौड़ में हम आगे बढ़ रहे हैं, उसे इस तरीके से अंजाम दिया जाने लगा है कि आज जो अप्राकृतिक है, वही स्वीकार्य है. नतीजा पर्यावरण पर चौतरफा हमले हो रहे हैं. कहीं चिमनी का धुआं आसमान को खत्म कर रहा है, तो कहीं प्लास्टिक जैसी संश्लेषित अथवा अर्धसंश्लेषित कार्बनिक ठोस पदार्थ धरती को खत्म करने पर तुली है.
क्या है पॉलिथीन
बहुत कम लोगों को पता होगा कि पॉलिथीन का सृजन एक दुर्घटना का नतीजा रहा है. इसे सबसे पहले जर्मन रसायनशास्त्री हैं. वॉन पेचमन ने वर्ष 1898 में बनाया था. यह मुख्यतः पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस से बनाया जाता है. पॉलिथीन के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसे बिना खास ट्रिटमेंट के विघटित नहीं किया जा सकता है. इसे अगर जला कर खत्म करने की कोशिश की जाती है, तो उससे हवा में कार्बन डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैस का खतरा बढ़ जाता है. वहीं अगर इसे धरती पर छोड़ दिया जाये, तो इसे गलने में सैकड़ों वर्ष लग जाते हैं.
बड़े पैमाने पर पॉलिथीन का इस्तेमाल
एक अनुमान के मुताबिक, धरती पर प्रत्येक वर्ष 500 अरब से ज्यादा पॉलिथीन बैग्स इस्तेमाल में लाये जाते हैं. इस संंबंध में एक अनुमान यह भी है कि दुनिया में हर सेकेंड आठ टन प्लास्टिक का सामान बनाया जाता है. आज पॉलिथीन से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल हमारे रोजमर्रा का हिस्सा बन चुका है. इसका इस्तेमाल बाजार से लेकर घर के कमरे का तक किया जा रहा है. यह भी सच है कि पॉलिथीन मध्यम और गरीब वर्ग के लिए एक सुविधाजनक और सस्ते और सुलभ साधन की तरह है. लेकिन, दूसरी तरफ यह पर्यावरण और मानव जीवन के लिए खतरनाक भी साबित हो रहा है.
भारत में लगभग 20,000 से ज्यादा औद्योगिक इकाइयां पॉलिथीन बनाने के काम में लगी हैं. सरकार द्वारा समय-समय पर इन इकाइयों के लिए कठोर मानदंड भी लाये जाते हैं, लेकिन उन मानदंडों का कम ही पालन किया जाता है. लाखों टन पॉलिथीन का इस्तेमाल हमारी धरती के लिए एक खराब भविष्य को इंगित कर रहा है. सरकारी आकड़े बताते हैं कि देश के 60 शहर मिल कर हर दिन 3,500 टन से अधिक प्लास्टिक कचरा पैदा करते हैं. वर्ष 2013-14 में देशभर में लोगों ने 1.1 करोड़ टन प्लास्टिक का इस्तेमाल किया. आज बड़े शहरों से लेकर छोटे शहर और कस्बे तक पॉलिथीन एक बड़ी समस्या बन चुकी है.
प्लास्टिक से खत्म होते नदी और समुद्र
पर्यावरण पर काम करने वाली वैश्विक संस्था ‘ग्रीनपीस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, समुद्र में पॉलिथीन की वजह से कई समुद्री जीव और पक्षी मारे जा रहे हैं. या तो वे इनमें फंस जाते हैं या फिर गलती से इन्हें खाने की कोशिश में मारे जाते हैं. वर्ष 2002 में बांग्लादेश में पॉलिथीन को प्रतिबंधित करना पड़ा, क्योंकि इससे पहले दो बार वहां पॉलिथीन की वजह से बाढ़ का सामना करना पड़ा था. एक तो पॉलिथीन को गलाना मुश्किल है, वहीं दूसरी तरफ यह गलने के बाद धरती में कई तरह के प्रदूषणकारी रसायन भी छोड़ देते हैं. पॉलिथीन न केवल समुद्र को खराब कर रहे हैं, बल्कि कई छोटी-छोटी नदियों के खत्म होने की वजह भी बन रहे हैं.
अभी कुछ साल पहले चेन्नई में आयी बाढ़ की एक बड़ी वजह नालियों का ठीक से काम नहीं करना भी था. जाहिर सी बात है पॉलिथीन से शहर के ड्रेनेज सिस्टम पर भी काफी बुरा असर पड़ता है. पॉलिथीन जमीन के भीतर जल स्तर को भी प्रभावित कर रही है. पृथ्वीतल पर जमा पॉलिथीन जमीन की जल सोखने की क्षमता खत्म कर रहा है.
प्लास्टिक मानव स्वास्थ्य के लिये खतरा
कई वैज्ञानिक शोधों ने इस बात को साबित किया है कि पॉलिथीन के प्रयोग से मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. आज खाने-पीने की कई चीजें पॉलिथीन से बने पैकेट या दोने में मिलती हैं. चाय से लेकर फास्ट फूड तक पॉलिथीन से बने उत्पाद का इस्तेमाल किया जाता है. डॉक्टरों ने भी पॉलिथीन में पेय पदार्थों, खासकर गर्म पेय पदार्थों को नहीं लेने की सलाह देते रहते हैं.
पॉलिथीन में इस्तेमाल होने वाले बेस्फेलॉल रसायन डायबिटीज और लीवर के लिए भी नुकसानदेह है. जब पॉलिथीन को जलाने की दशा में उससे कार्बन डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैस भी उत्सर्जित होती है, जिससे सांस और चर्म रोग की समस्याएं बढ़ती हैं. इसके अलावा, हवा के प्रदूषित होने का खतरा भी बढ़ जाता है. ब्रिटेन के वैज्ञानिकों के एक शोध के मुताबिक, पॉलिथीन में लगभग 150 से अधिक प्रदूषित घटक होते हैं, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिये खतरनाक है और कैंसर से लेकर प्रजनन क्षमता तक पर इसका असर हो सकता है.
कितना कारगर पॉलिथीन पर प्रतिबंध
केंद्र सरकार ने पॉलिथीन का इस्तेमाल कम करने के लिए कई नियम लगाये हैं. कई राज्य सरकारों ने अपने राज्य में पॉलिथीन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है. पिछले साल केंद्र सरकार ने नयी प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स लाकर पॉलिथीन के प्रयोग पर नकेल कसने के लिए कई कठोर नियम लगाये. इस नये नियम के मुताबिक पॉलिथीन निर्माण कंपनियों, वितरकों, नगरपालिकाओं और पंचायतों को 50 माइक्रोन से कम पतले पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगाने के लिये कहा गया.
इससे पुराने वाले नियम में 40 माइक्रोन से कम पतले पॉलिथीन पर प्रतिबंध था. पतले पॉलिथीन पर्यावरण के लिये ज्यादा नुकसानदेह हैं, क्योंकि इन्हें विघटित करना मुश्किल है. इस नियम में यह भी जोड़ा गया कि पॉलिथीन निर्माताओं को एक तय रकम राज्य को देना होगा, जिससे कि इस्तेमाल के बाद पॉलिथीन को विघटित करने की सही व्यवस्था हो सके. कंपनियों से आने वाली यह रकम राज्य सरकार को स्थानीय निकायों और पंचायतों को देने का नियम है, जिससे स्थानीय स्तर पर पॉलिथीन विघटित करने की व्यवस्था हो सके.
विश्व पर्यावरण दिवस पर पॉलिथीन मुक्त धरती का सपना
प्रत्येक वर्ष पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. पहली बार वर्ष 1973 में इसे शुरू किया गया. इसका मुख्य उद्देश्य है पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक बनाना. प्रत्येक वर्ष आज के दिन दुनियाभर में पर्यावरण से जुड़ी गतिविधियों का आयोजन होता है और लोगों को स्वस्थ्य और हरित पर्यावरण के बारे में समझाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस दिन पर्यावरण की वैश्विक चिंताओं पर विचार किया जाता है और उससे जुड़ी चुनौतियों पर भी बात की जाती है.
विश्व पर्यावरण दिवस का थीम
संयुक्त राष्ट्र ने इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस का थीम रखा गया है – प्रकृति से लोगों का जुड़ाव. यह एक बेहतरीन अवसर है, जब हम अपने जल-जंगल-जमीन और धरती को बचाने के लिए प्रयास करें. पॉलिथीन से परहेज कर हम प्रकृति के और करीब जा सकते हैं. पॉलिथीन जैसी सभ्यता की सबसे बड़ी बीमारी से हमें सचेत हो जाने का यही सही वक्त है. वरना हमारा आने वाला कल पॉलिथीन के ढेर पर होगा.
हर जगह पॉलिथीन
पॉलिथीन आज सब्जी की मंडी से लेकर एवरेस्ट की पहाड़ियों तक देखने को मिल रही है. भारतीय पर्यटन के लिए भी पॉलिथीन एक बड़ी समस्या बन चुकी है. पर्यटन विभाग लगातार अपने विज्ञापनों में पर्यटन स्थल और पर्वतों पर पॉलिथीन का इस्तेमाल न करने की अपील करता रहता है.
आजकल गाय को लेकर देश की राजनीति में बड़ी बहस छिड़ी हुई है. लेकिन, एक अनुमान के मुताबिक शहरों में कचरे के ढेर से पॉलिथीन खाने की वजह से गायों की मौत या उनके बीमार होने की आशंका कई गुना ज्यादा बढ़ गयी है.
क्या है उपाय
पतले पॉलिथीन के मुकाबले मोटे पॉलिथीन को विघटित करना ज्यादा आसान है. इसलिए पॉलिथीन पर रोक लगाने के लिए एक तर्क यह भी दिया जाता है कि मोटे पॉलिथीन का इस्तेमाल होना चाहिए, जो अपेक्षाकृत ज्यादा महंगा है. स्पष्ट है कि महंगा होने के कारण उपभोक्ता इसके इस्तेमाल से परहेज करेंगे. पतले पॉलिथीन पर पाबंदी होने के बावजूद धड़ल्ले से इसका चोरी-छिपे इस्तेमाल किया जाता है. वहीं कुछ कंपनियां अधिक मुनाफा पाने के लिए पॉलिथीन बनाने में घटिया एडिटिव मिलाती हैं, जो पॉलिथीन में रखे खाद्य पदार्थों के साथ घुलने भी लगते हैं. इनसान की सेहत पर इसका बुरा असर पड़ता है. इन कंपनियों पर कड़ी नजर बनाये रखने की जरूरत है.
हमारे देश में पॉलिथीन से निपटने के कई अनोखे प्रयोग भी किये जा रहे हैं. मसलन- बेंगलुरु में कचरा प्रबंधन के लिए पॉलिथीन को ट्रीटमेंट के बाद उसका खाद बनाया जाता है. हिमाचल प्रदेश में इन पॉलिथीन का इस्तेमाल सड़क निर्माण कार्य में भी किया जाता है. इसके अलावा, यूरोप के कुछ देश, जैसे जर्मनी में प्लास्टिक कचरे से बिजली पैदा किया जा रहा है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें