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पढ़ाई के साथ-साथ खेती में भविष्य संवारने में जुटे बगोदर के दो युवक

प्रेरणास्रोत. दो एकड़ में कर रहे हैं सब्जी की खेती, परिवार का भी सहयोग एक ओर आज के युवा जहां खेती से दूर हो रहे हैं, वहीं बगोदर के दो भाइयों ने पढ़ाई के साथ खेती को आय का जरिया बनाकर मिसाल कायम की है. दोनों भाई अपनी मेहनत और लगन के बल पर खेती […]

प्रेरणास्रोत. दो एकड़ में कर रहे हैं सब्जी की खेती, परिवार का भी सहयोग
एक ओर आज के युवा जहां खेती से दूर हो रहे हैं, वहीं बगोदर के दो भाइयों ने पढ़ाई के साथ खेती को आय का जरिया बनाकर मिसाल कायम की है. दोनों भाई अपनी मेहनत और लगन के बल पर खेती में भविष्य संवारने में जुटे हैं.
कुमार गौरव
बगोदर : अगर हो निगाह मंजिल पर और कदम हों राह पर, तो ऐसी कोई राह नहीं जो मंजिल तक जाती न हो…इन पंक्तियों से प्रेरित होकर बगोदर के लुकइया गांव के दो युवक पढ़ाई के साथ-साथ खेती कर क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाने में जुटे हुए हैं. हम बात कर रहे हैं बगोदर प्रखंड की अडवारा पंचायत के लुकइया गांव के डेगलाल महतो व उनके चचेरे भाई मनोज कुमार महतो की. वर्तमान में जहां युवा खेती से दूर हो रहे हैं, वहीं ये दोनों खेती में ही अपना कैरियर संवारने में लगे हुए हैं. वर्ष 2016 में दोनों ने भिंडी, लौकी, बोदी, खीरा, ककड़ी व टमाटर की खेती करनी शुरू की. 2016 में 70-80 हजार आय हुई. इससे दोनों का मनोबल बढ़ा. 2017 में दो एकड़ में सब्जी की खेती का मन दोनों ने बनाया.
इसमें परिजनों ने भी मदद की. दोनों ने जी तोड़ मेहनत की. इसका परिणाम आज सबके सामने है. वर्तमान में भिंडी, लौकी, बोदी, खीरा, टमाटर आदि सब्जी बेच कर प्रतिदिन आठ सौ मुनाफा कमा रहे हैं. इससे दोनों के घरों की माली स्थिति में भी काफी सुधार हुआ है. दोनों के पिता भी अपने बेटों की कामयाबी पर फूले नहीं समा रहे हैं, वहीं गांव के युवा भी खेती करने का मन बना रहे हैं.
पिता से मिली प्रेरणा : डेगलाल व मनोज ने बताया कि हमलोगों की दो एकड़ पैतृक जमीन थी. पिता कुछ ही हिस्सा में खेती करते थे. इससे ही परिवार चलता था. पिताजी कहते थे कि सारी जमीन पर अगर खेती किया जाये तो अच्छी कमाई हो सकती है. पिता की बात पर गौर करते हुए 2016 में धान की खेती के बाद सब्जी की खेती का मन बनाया. दोनों ने पिता से पैसे लेकर पंप, उन्नत बीज, रासायनिक खाद खरीदा और भिंडी, लौकी, बोदी, खीरा, ककड़ी व टमाटर की खेती शुरू की. हालांकि शुरुआती दिनों थोड़ी परेशानी हुई.
बावजूद हिम्मत नहीं हारी और पढ़ाई के साथ-साथ खेती करने की ठान ली. 2016 में 70-80 हजार की कमाई हुई. 2017 में दोनों ने भारी मात्रा में भिंडी, लौकी, बोदी, खीरा, ककड़ी व टमाटर की खेती करने का मन बना लिया. आज परिणाम सबके सामने हैं. प्रतिदिन इनके खेतों से भारी मात्रा में सब्जियां निकल रहीं है. बाजार में इनकी सब्जियों की काफी डिमांड है.
दो से चार घंटे देते है खेती में समय : डेगलाल कुमार महतो का कहना है कि इसके पहले अखबार बेचने का काम करता था़ इसके बाद स्कूल व कॉलेज जाता था. अखबार बेचने से कमाई अच्छी नहीं होने से खेती करने की ठानी. प्रत्येक दिन दो से चार घंटे खेती में समय देते थे़
इसके बाद बाकी समय पढ़ाई पर देते हैं. डेगलाल का कहना है कि सरकारी सहयोग के अभाव में किसानों का खेती से मोहभंग हो रहा है और वे महागनरों की ओर पलायन कर रहे है़ सरकार को किसानों के पलायन को रोकने के लिए पहल करनी चाहिए. डेगलाल व मनोज का कहना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों को मिले तो उनकी आर्थिक स्थिति सुधर सकती है. साथ ही पलायन भी रुकेगा.

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