झारखंड सरकार को झुमरा (दारु प्रखंड) का अतिक्रमण तो दिखाई देती है, परंतु यहां की समस्याएं दिखाई नहीं देता. हजारों लोगों के लिए एकमात्र बैंक, वो भी इतना सुस्त कि यहां पैसे जमा करना और निकालना तो जंग लड़ने के समान है. रोजगार की समस्या की बात ही निराली है.
न कोई कारखाने हैं और न ही रोजगार के लिए कोई अन्य विकल्प. कृषि भी भगवान भरोसे. न तो सिंचाई की व्यवस्था, न ही चेकडैम और न ही कृषि उपकरणों का कोई साधन. यहां के लोगों का सार्वजनिक शौचालय की मांग शायद 21वीं सदी में संभव नहीं. जनप्रतिनिधियों को इन सब से कोई लेना-देना नहीं है. युवाओं की खेल प्रतिभा के विकास के लिए किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं. पता नहीं सरकार विकास की ट्रेन कब दौड़ायेगी?
सुनील कुमार गुप्ता, झुमरा