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केंद्रों में संसाधन का है अभाव

उदासीनता. सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्रों को अपना भवन नहीं सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्रों को अपना भवन तक नसीब नहीं है. विभागीय उदासीनता व अधिकारियों की लापरवाही के कारण अधिकांश केंद्रों पर संसाधन और सुविधा का अभाव है. वहीं नियमों का पालन भी नहीं हो रहा है. गोगरी : समेकित बाल विकास परियोजना के तहत अनुमंडल क्षेत्र में […]

उदासीनता. सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्रों को अपना भवन नहीं

सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्रों को अपना भवन तक नसीब नहीं है. विभागीय उदासीनता व अधिकारियों की लापरवाही के कारण अधिकांश केंद्रों पर संसाधन और सुविधा का अभाव है. वहीं नियमों का पालन भी नहीं हो रहा है.
गोगरी : समेकित बाल विकास परियोजना के तहत अनुमंडल क्षेत्र में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति दयनीय बनी हुई है. सैकड़ों आंगनबाड़ी केंद्रों को अपना भवन तक नसीब नहीं है. विभागीय उदासीनता व अधिकारियों की लापरवाही के कारण अधिकांश केंद्रों पर संसाधन और सुविधा का अभाव है. वहीं नियमों का पालन भी नहीं हो रहा है.
अब तक अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्रों को अपना भवन तक नहीं है. भवन के अभाव में केंद्रों का संचालन कहीं सामुदायिक भवन में, तो कहीं निजी दरवाजे पर, तो कहीं किराए के मकान में जैसे- तैसे किया जा रहा है.
हाल यह है कि गोगरी प्रखंड में केवल 57 आंगनबाड़ी केंद्रों को ही अपना भवन नसीब हो सका है. जबकि 218 केंद्र को अब तक अपना भवन नहीं मिल सका है. विभागीय उदासीनता का आलम यह है कि किराए के भवन में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्रों को मकान किराया बीते चार साल से नहीं दिए गए हैं. जिससे सेविका को केंद्र संचालन में भी परेशानी होती है.
जाने गोगरी प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल
गोगरी प्रखंड में आंगनबाड़ी केंद्रों पर कुल 17 हजार 9 सौ 86 बच्चों एवं 3 हजार 174 अति कुपोषित बच्चों को नाश्ता व भोजन के साथ-साथ विद्यालय पूर्व शिक्षा दी जाती है. वहीं केंद्र के माध्यम से प्रखंड में चार हजार से अधिक गर्भवती व धातृमाता को पोषाहार के साथ उनकी स्वास्थ्य देखभाल की जाती है. बताते चलें कि गोगरी में कुल 280 आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत हैं, जिसमें 275 केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. और 275 केंद्रों में 57 को अपना भवन है। तथा 33 केंद्रों का भवन निर्माण कार्य अभी चल रहा है.
कहती हैं सीडीपीओ
आंगनबाड़ी केंद्र का भवन पंचायत स्तर पर या अलग योजना से बनाए जाते हैं. भवन बनने के बाद भवन विभाग को सौंपा जाता है. अब तक 57 केंद्रों को भवन है. जिसमें केंद्र का संचालन हो रहा है. जबकि 33 केंद्रों का भवन अभी निर्माणाधीन है. किराये के मकान में चलने वाले केंद्रों का एक साल का किराया दिया जा रहा है.

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