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आत्रेयी को बचाने के लिए पदयात्रा जारी

बालूरघाट. आत्रेयी नदी को बचाने के उद्देश्य से आंगिना वार्ड्स एंड इन्वारामेंट प्रोटेक्शन समिति ने 116 किलोमीटर नदी मार्ग तय करने के लिए छह दिवसीय पदयात्रा शुरू की है. एक महीने पहले भी इसी बात को लेकर संगठन की ओर से दो दिवसीय साइकिल यात्रा की गयी थी. इनकी मांग बांग्लादेश सीमा क्षेत्र में नदी […]

बालूरघाट. आत्रेयी नदी को बचाने के उद्देश्य से आंगिना वार्ड्स एंड इन्वारामेंट प्रोटेक्शन समिति ने 116 किलोमीटर नदी मार्ग तय करने के लिए छह दिवसीय पदयात्रा शुरू की है. एक महीने पहले भी इसी बात को लेकर संगठन की ओर से दो दिवसीय साइकिल यात्रा की गयी थी. इनकी मांग बांग्लादेश सीमा क्षेत्र में नदी पर बने बांध को हटाने की है.

इसी मांग को लेकर यह पदयात्रा शुरु की गयी है. आत्रेयी नदी को बचाने के लिए आयोजित इस पदयात्रा में उत्तर व दक्षिण दिनाजपुर के अलावा कोलकाता से भी लोग शामिल हुए हैं. मंगलवार दोपहर शुरु हुयी यह पदयात्रा बुधवार को बालूरघाट शहर से करीब 25 किलोमीटर आगे निकल चुकी है. यात्रा शुरु करने से पहले आत्रेयी नदी की विशेषता व लाभ को लेकर एक चरचा सभा आयोजित की गयी. इस सभा में सैकड़ों लोग शामिल हुए थे. उसके बाद 50 सदस्यों की एक टीम 116 किलोमीटर पदयात्रापर रवाना हो गयी. एक दिन में आत्रेयी बचाओ आंदोलन की यह टीम 20 किलोमीटर की यात्रा करेगी. मार्ग में किसी सुरक्षित स्थान पर रात्रि विश्राम कर अगले दिन फिर से 20 किलोमीटर की यात्रा करने का निर्णय लिया गया है. इस तरह नदी मार्ग पर तीन दिन जाने और तीन दिन में वापस लौटने का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है.

इस पदयात्रा में शामिल होने के लिये कोलकाता से पहुंचे नदी विशेषज्ञ सुप्रतीम कर्मकार ने बताया कि आत्रेयी नदी को बचाने के लिये दो बिंदुओ पर विशेष ध्यान देना होगा. नदी किनारे बसे लोगों की सहायता और नदी को बचाने के लिये एक कमिटी तैयार करनी होगी. वह कमिटी ऑडिट कर प्रमुख बिंदुओ को राज्य व केंद्र सरकार के सामने रखेगी. संगठन के सचिव विश्वजीत बसाक ने बताया कि आत्रेयी नदी को बचाने के लिये एक वर्ष पहले ही आंदोलन शुरु हो गया है. पिछले एक वर्ष में राज्य तथा केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपने से लेकर विभिन्न प्रकार के आंदोलन किए जा रहे हैं. आंदोलन का प्रमुख लक्ष्य बांग्लादेश में नदी पर निर्मित बांध को हटाना है. उसके बाद ही इस नदी को पहले के रूप में लाना संभव हो सकेगा. इस पदयात्रा के दौरान नदी की सफाई सहित नदी किनारे बसे लोगों को इस अभियान से जोड़ने की कोशिश भी की जायेगी.

गौरतलब है कि बांग्लादेश के चलनबील से निकली आत्रेयी नदी भारत से होकर फिर बांग्लादेश में में चली जाती है. दक्षिण दिनाजपुर जिले के कुमारगंज ब्लॉक स्थित समजिया इलाके में आत्रेयी नदी भारत में प्रवेश करती है और 58 किलोमीटर दूरी तय करने के बाद बालूरघाट ब्लॉक के डांगी इलाके में फिर बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है. कुमारगंज में 35, बालूरघाट में 22 किलोमीटर इलाके में बहने वाली आत्रेयी नदी की वजह से इलाके की सभ्यता का विकास हुआ है. कुछ वर्ष पहले बांग्लादेश सरकार ने नदी मार्ग के बीच में एक बांध का निर्माण कर दिया है. कुमारगंज के समजिया में प्रवेश करने के करीब डेढ़ किलोमीटर पहले बांग्लादेश के दिनाजपुर जिला अंतर्गत फूलबाड़ी रोड स्थित मोहनपुर इलाके में बांध बनाया गया है. यहां चाइना हाईड्रोलॉजिकल इंजीनियरिंग डैम का निर्माण किया गया है. इस बांध की वजह से कभी-कभी नदी में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. पिछले एक वर्ष से यही कोशिश रही है कि इस डैम को हटा दिया जाए. ताकि आत्रेयी नदी जीवित रह सके.

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