ईद के पहले जान व माल का सदका जकात-फितरा देना फर्ज है सभी मुसलिम धर्मावलंबियों का
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फितरा की रकम Rs 49 दारुल कजा मदरसा फैजुल उलूम ने किया ऐलान
ईद के पहले जान व माल का सदका जकात-फितरा देना फर्ज है सभी मुसलिम धर्मावलंबियों का जमशेदपुर : रमजान का पवित्र महीना चल रहा है. मुसलिम धर्मावलंबी खुदा की रहमतों के लिए इबादत करने में जुटे हुए हैं. वहीं दारुल कजा मदरसा फैजुल उलूम ने फितरा की रकम का ऐलान कर दिया है. मुख्य काजी […]
जमशेदपुर : रमजान का पवित्र महीना चल रहा है. मुसलिम धर्मावलंबी खुदा की रहमतों के लिए इबादत करने में जुटे हुए हैं. वहीं दारुल कजा मदरसा फैजुल उलूम ने फितरा की रकम का ऐलान कर दिया है. मुख्य काजी मुफ्ती आबिद हुसैन ने बताया कि फितरा की रकम 49 रुपये आैर जकात माल का ढाई प्रतिशत पूर्व की भांति तय है.
ईद के पहले जान व माल का सदका जकात व फितरा सभी मुसलिम धर्मावलंबियों का देना फर्ज है. रमजान के पवित्र महीने में जकात और फितरा अल्लाह की राह में खर्च करने का सबसे अहम व आसान रास्ता है. मुख्य काजी मुफ्ती आबिद हुसैन ने बताया कि ढाई फीसदी जकात देकर मुसलमान अपनी जान-माल की हिफाजत कर सकते हैं. जरूरी है कि जकात व फितरा सबसे पहले अपने अजीज को दें. उसके बाद गरीब, मिसकीन व मदारिस को जकात दें.
उन्होंने बताया कि जिसके पास 7.50 तोला सोना, 52.50 तोला चांदी या इतना ही धन है, तो वह रमजान के माह में जकात निकालने का हकदार है. वह उस माल में से 2.5 प्रतिशत जकात निकालकर गरीबों तक उनका हक पहुंचाये, जिससे ईद का त्यौहार अमीराें के साथ-साथ गरीब भी खुशी-खुशी मना सकें. हर व्यक्ति साल में एक बार 1.75 किलो गेहूं फितरे के रूप में गरीबों को दे, जिससे उसे कर्ज से मुक्ति मिल सके.
जिस व्यक्ति के ऊपर कर्ज है, वह पहले कर्ज चुकाये उसके बाद जकात व फितरा अता करे.
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