पटना : 26 मई को नयी दिल्ली में सोनिया गांधी की ओरसे आयोजित एंटी एनडीए दलों की बैठक में शामिल होने के बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद राजधानी पटना लौट आये हैं. रविवार को पटना लौटने के बाद लालू ने मीडिया को जो बयान दिया है, उसके राष्ट्रपति चुनाव के संदर्भ में सियासी मायने ढूंढे जाने लगे हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो बैठक संपन्न होने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मीडिया को बताया कि बैठक में राष्ट्रपति चुनाव की जगह यूपी के सहारनपुर, कश्मीर और ईवीएम मशीन के डेमो पर चर्चा हुई.ममताने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार के चयन पर सहमति नहीं बनने की स्थिति में एक कमेटी का गठन किया जायेगा, जो इसके लिये रास्ता सुझाएगी. वहीं राजद सुप्रीमो ने पटना लौटते ही मीडिया को कहा कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के चयन के लिए सोनिया गांधी को अधिकृत कर दिया गया है.
Discussed on election of President, Vice President; authorized Sonia ji to form committee: Lalu Yadav on meeting with Sonia Gandhi in Delhi pic.twitter.com/c54p1rPAnb
— ANI (@ANI) May 28, 2017
बयानों में बड़ा अंतर ?
राजनीतिक जानकारों की मानें तो राष्ट्रपति चुनाव को सामने रखकर एनडीए के विरोध में खड़े होने वाले दलों के नेताओं के बयानों में काफी फर्क है. जानकार कहते हैं कि यह सर्वविदित है कि यह बैठक, आगामी 25 जुलाई से पहले होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बुलायी गयी थी, फिर, बैठक में ईवीएम और सहारनपुर का मुद्दा कहां से आ गया? वहीं दूसरी ओर, लालू प्रसाद के बयान से कुछ और ही निकलकर सामने आ रहा है. राजनीतिक विशेषज्ञ राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की एकता पर प्रश्न चिह्न खड़ा कर रहे हैं. लालू प्रसाद ने मीडिया से बातचीत में कहा कि देश को मजबूत विकल्प चाहिए. एनडीए के विरोध में खड़ी 17 पार्टियों ने यह विकल्प देने का संकल्प लिया है. उन्होंने कहा कि हम एकजुट हुए तो देश की राजनीति बदल जायेगी. लालू ने कहा कि 27 अगस्त को राजधानी पटना के गांधी मैदान में आयोजित रैली में एनडीए विरोधी दल पूरी तरह एकजुट दिखेंगे.
विपक्ष की एकता परिभाषित नहीं- जानकार
लालू ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी को मनमानी करने की इजाजत नहीं दी जायेगी. उत्तर प्रदेश में हाल में हुई घटनाओं के बारे में चर्चा करते हुए लालू ने कहा कि वहां महा जंगलराज की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि लालू प्रसाद सोनिया गांधी को अधिकृत बता रहे हैं, वहीं ममता बनर्जी कमेटी के गठन की बात कर रही है. यह कैसे हो सकता है ? जाने-माने राजनीतिक चिंतक और जानकार प्रो. अजय कुमार झा कहते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव से ठीक एक सप्ताह पहले हीकोईभी दल इसमामले पर कोई ठोस निर्णयलेपायेंगे. वह कहते हैं कि एनडीए के विरोधी दलों में बड़े दल भी हैं और छोटे दल भी. सभी दलों की अपनी क्षेत्रीय मजबूरी, महत्वाकांक्षा और परेशानियां हैं. इसलिए कोई भी दल खुलकर एंटी एनडीए फ्रंट को अभी सपोर्ट नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि अभी भी भाजपा के विरोधी दल अपनी एकता को परिभाषित नहीं कर पा रहे हैं.
राजनीतिक जानकारों की अलग है राय
उन्होंने कहा कि छोटी पार्टियों का कोई भी तात्कालिक निर्णय उनकी सेहत पर प्रभाव डाल सकता है. इसलिए राष्ट्रपति चुनाव के एक सप्ताह पहले ही सभी पार्टियों के पत्ते खुलेंगे. वहीं कई ऐसे दल हैं जो राष्ट्रपति चुनाव के बहाने केंद्र से अपने संबंधों को साधने में लगे हैं. भाजपा भी इस मौके का फायदा उठाना चाहती है. उन्होंने कहा कि ओड़िसा के अलावा दक्षिण के राजनीतिक दलों पर बीजेपी की नजर बनी हुई है. अतः जब तक राष्ट्रपति चुनाव संपन्न नहीं हो जाता, विपक्ष की एकता के बारे में सीधे-सीधे कुछ नहीं कहा जा सकता. इधर, लालू प्रसाद यादव इसी बहाने 27 अगस्त को होने वाली अपनी रैली की तैयारी में जोर-शोर से लगे हुए हैं.
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