नयी दिल्लीः इंटरनेट बैन करनेवाले देशों में भारत दुनिया में शीर्ष पर है. पांच साल में भारत में 75 बार इंटरनेट सेवा बाधित की गयी और इससे सरकार को कम से कम 6200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. सिर्फ वर्ष 2016 में देश में 23 बार इंटरनेट सेवा को बैन किया गया था.
दरअसल, कश्मीर हिंसा और सहारनपुर जैसे जिलों में होनेवाले दंगे-फसाद की वजह से कानून-व्यवस्था चरमरा जाती है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि सोशल मीडिया के जरिये जातीय हिंसा को भड़काने की साजिशें रची जाती हैं और इसमें साजिशकर्ता कामयाब भी हो जाते हैं.
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यदि सिर्फ कश्मीर की बात करें, तो पत्थरबाजों के 300 व्हाट्सएप ग्रुप सक्रिय हैं. इसके जरिये ही पत्थरबाजों को कहां पत्थर मारने हैं, उसकी सूचना दी जाती थी. पुलिस ने बताया कि करीब 300 वाट्सएप ग्रुप थे, जिनके जरिये पत्थरबाजों तक जानकारी पहुंचायी जाती थी. हर ग्रुप में 250 सदस्य रहते थे.
मोबाइल इंटरनेट बैन करने के बाद 90 फीसदी व्हाट्सएप ग्रुप बंद हो गये. इसके बाद पत्थरबाजी में भी कमी आयी. यही वजह है कि हालात पर तुरंत काबू पाने के प्रयास के तहत प्रशासन मोबाइल सबसे पहले इंटरनेट सेवा को बैन करता है.
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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि देश में पिछले 5 साल में 75 बार इंटरनेट सेवा बाधित की गयी, जिसमें सिर्फ जम्मू-कश्मीर में 32 बार इंटरनेट को बैन किया गया. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मोबाइल इंटरनेट सेवा बैन करनेवाले चार अन्य देश आंतरिक अशांति और हिंसा से जूझ रहे हैं.