नयी दिल्लीः शुक्रवार को सोनिया गांधी के आवास पर हुई 17 विपक्षी दलों की बैठक में राष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा नहीं हुई. लेकिन, बैठक के बाहर नेताअों ने जो कहा, उसका लब्बोलुआब यही रहा कि सरकार को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चयन के लिए सर्वसम्मति बनाने के प्रयास करने चाहिए.
एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा कि दोनों संवैधानिक पदों के लिए सर्वसम्मत उम्मीदवार उतारने की परंपरा को भाजपा नीत एनडीए सरकार तोड़ रही है. वहीं, जदयू नेता शरद यादव ने कहा कि सरकार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दूसरा कार्यकाल देने के लिए सर्वसम्मति बनाने के प्रयास करने चाहिए.
वहीं, तृणमूल सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यदि विपक्ष एक सर्वसम्मत उम्मीदवार नहीं खोज सकता है, तो इसके लिए एक ‘कमेटी’ का गठन कर दिया जाना चाहिए.
कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा बुलायी गयी बैठक में बीजद, वाइएसआर कंग्रेस और एआइएडीएमके जैसे दलों के शामिल नहीं होने और किसी उम्मीदवार पर सर्वसम्मति नहीं बनने के बाद विपक्ष का टोन डाउन हो गया. सरकार को औकात बताने के उद्देश्य से राष्ट्रपति पद के लिए मजबूत उम्मीदवार के चयन के लिए बुलायी गयी बैठक में टकराव टालने की बात होने लगी.
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मीटिंग की सफलता यह रही कि इसमें दो राज्यों के धुर विरोधी दल एक साथ शामिल हुए. पश्चिम बंगाल की माकपा और तृणमूल कांग्रेस बैठक में शामिल हुई, तो उत्तर प्रदेश में एक-दूसरे के कट्टर शत्रु सपा और बसपा एक साथ आ गये हैं.
राष्ट्रपति चुनाव के इलेक्टोरल काॅलेज में सरकार से कुछ ज्यादा मत रखनेवाले विपक्ष ने बैठक में तय किया कि जब तक सरकार अपना प्रत्याशी घोषित नहीं करती, वे इंतजार करेंगे. साथ ही कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में उस व्यक्ति को मैदान में उतारा जाये, जो संविधान और गणतंत्र की रक्षा कर सके.