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मानकों का नहीं हो रहा पालन

अनदेखी . बसों में आपातकालीन डोर की बात बेमानी यातायात विभाग व जिला प्रशासन द्वारा नहीं होती कोई कार्रवाई सीवान : नालंदा जिले के हरनौत में चलती बस में लगी आग की घटना ने यातायात संबंधित सुरक्षा मानकों का पोल खोल कर रख दिया है. इस हादसे में आठ लोगों की मौत हो गयी है. […]

अनदेखी . बसों में आपातकालीन डोर की बात बेमानी
यातायात विभाग व जिला प्रशासन द्वारा नहीं होती कोई कार्रवाई
सीवान : नालंदा जिले के हरनौत में चलती बस में लगी आग की घटना ने यातायात संबंधित सुरक्षा मानकों का पोल खोल कर रख दिया है. इस हादसे में आठ लोगों की मौत हो गयी है.
हादसे के बाद भले ही प्रशासन की नींद खुली है, पूरे सूबे में बैठकों और निर्देशों का दौर जारी है. परंतु सबसे यक्ष प्रश्न यह है कि आखिर किस परिस्थिति में सुरक्षा मानकों से खिलवाड़ करने की छूट वाहन मालिकों को दी जाती है. हर हादसे के बाद जिला स्तर पर उससे निबटने की बात कही जाती है, परंतु, कुछ दिन गुजरते ही स्थिति यथावत हो जाती है.
जिले में संचालित बसों सहित अन्य गाड़ियों की बात करें, तो यहां सुरक्षा नाम की कोई चीज ही नहीं है. यात्रियों की सुरक्षा से परहेज करती गाड़ियां सरपट रोड पर दौड़ रही है. राज्य परिवहन निगम की बसें हो या फिर निजी बसें दोनों की स्थिति एक ही है.
मानक की बात करें, तो बसों में जहां आग से निबटने के लिए अग्निशमन यंत्र नहीं है. वहीं, आपातकालीन खिड़कियां भी समय से खुलेंगी कि नहीं, यह कहना मुमकिन नहीं है. फर्स्ट एड की बता ही छोड़ दीजिए. किसी भी गाड़ी में यह सुविधा नहीं है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गाड़ियों का पंजीयन करते समय इन सारी बातों का ध्यान भी रखा जाता है.
प्रतिदिन होता है प्रशासन का ओवरलोड से सामना, नहीं होती कार्रवाई : इन सबसे अलग जिससे प्रतिदिन प्रशासन का सामना होता है, वह है ओवरलोडिंग. ओवरलोडिंग को गाड़ी मालिक तोहफे पर देखते हैं.
उनका कहना है कि हाल के दिनों में जिस रूप से टैक्स में वृद्धि हुई है, उससे निबटने का यह सबसे आसान तरीका है. जिले को कौन कहे, सैकड़ों किलोमीटर दूरी तय करने वाली बसों में भी सुरक्षा मानकों का पालन नहीं होता है. सबसे खतरनाक स्थिति तो स्कूलों में चलने वाली गाड़ियों व बसों की है. यहां बच्चों को भेड़ व बकरियों की तरह ठूंस-ठूंस कर भरा जाता है. चालकों के दक्षता की भी जांच ससमय नहीं की जाती है.
डीटीओ ने की बैठक
नालंदा की घटना के बाद शुक्रवार को डीटीओ वीरेंद्र प्रसाद ने सुरक्षा संबंधी बैठक की. बैठक में वाहन मालिक व राज्य परिवहन निगम के प्रतिनिधि सहित शहरी क्षेत्र के थानेदार और एमवीआइ शामिल हुए. बैठक में सुरक्षा सहित अन्य मानकों के पालन पर बल दिया गया. डीटीओ ने सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करने की भी बात कही.
ये हैं सुरक्षा मानक
हर वाहन में फर्स्ट एड की व्यवस्था होनी चाहिए. अग्निशमन के साधन होने चाहिए. निर्धारित समय पर फिटनेस की जांच होनी चाहिए. इसकी रिपोर्ट बस में यात्रियों की जानकारी के लिए चिपका होना चाहिए. मानक यह भी कहता है कि वाहन की पूरी जानकारी अर्थात मॉडल, खरीद तिथि, वाहन मालिक, ड्राइवर सहित स्टाफ की पूरी जानकारी नाम व पता नंबर सहित उपलब्ध होनी चाहिए. रोडवेज वाहन में आपातकालीन डोर के साथ ही इन आउटडोर होना चाहिए.
दिये गये हैं कई निर्देश
नालंदा की घटना से सबक लेते हुए डीटीओ को सुरक्षा का समुचित कदम उठाने का निर्देश दिया गया है. वाहन मालिकों सहित अन्य संबंधित लोगों के साथ बैठक कर रिपोर्ट तलब की गयी है.
साथ ही ओवरलोडिंग व इमरजेंसी गेट पर ध्यान देने का निर्देश भी दिया गया है. विभाग द्वारा उठाये गये कदमों का यदि किसी वाहन मालिक द्वारा पालन नहीं करने पर उसका निबंधन रद्द करते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी.
महेंद्र कुमार, डीएम, सीवान

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