समिति के सदस्य सचिव तथा आइसीएआर के सहायक महानिदेशक (शैक्षिक नियोजन एवं गृह विज्ञान) डॉ पीएस पांडेय ने कहा कि कृषि विवि एरिया ऑफ एक्सलेंस के लिए 250 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसलिए ऐसे केंद्र की स्थापना के लिए तीन-चार मल्टीडिसीप्लीनरी प्रस्ताव समर्पित करें. प्रस्ताव स्वीकृृत होने पर ऐसे एक केंद्र के लिए पांच करोड़ से लेकर सात-आठ करोड़ रुपये तक की राशि मिल सकती है. उन्होंने कहा कि विश्व बैंक के सहयोग से आइसीएआर 1200 करोड़ रुपये की लागत वाली राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना आरंभ करने जा रही है. इसके तहत सेंटर फॉर एडवांस साइंस एंड टेक्नोलॉजी की स्थापना का प्रस्ताव दिया जा सकता है. प्रो एमएस मल्लिक ने धन्यवाद ज्ञापन किया. समिति के सदस्यों ने बायोटेक्नोलॉजी, कृषि कॉलेज के विभागों, बकरी इकाई, सूकर इकाई, वानिकी महाविद्यालय, विभिन्न पुस्तकालयों एवं छात्रावासों तथा कंप्यूटर केंद्र का भ्रमण किया अौर विद्यार्थियों से जानकारी हासिल की. समिति में सदस्य के रूप में आइसीएआर के सेवानिवृत्त सहायक महानिदेशक डॉ एचएस नैनावती ताथ भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली के क्षेत्रीय केंद्र, कोलकाता के प्रभारी डॉ शुभाशीष बंद्योपाध्याय भी शामिल थे.
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विवि के प्रति अपनत्व विकसित करें शिक्षक : डॉ शर्मा
रांची : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) की अनुश्रवण एवं समीक्षा समिति के अध्यक्ष तथा हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के पूर्व कुलपति डॉ एसके शर्मा ने आज बिरसा कृषि विवि के शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार आप अपने घर और परिवार की चिंता करते हैं, उसी प्रकार का अपनत्व अपने […]
रांची : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) की अनुश्रवण एवं समीक्षा समिति के अध्यक्ष तथा हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के पूर्व कुलपति डॉ एसके शर्मा ने आज बिरसा कृषि विवि के शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार आप अपने घर और परिवार की चिंता करते हैं, उसी प्रकार का अपनत्व अपने विश्वविद्यालय के प्रति रखें तथा उसकी प्रगति और विकास में अपना सर्वोतम योगदान दें, तभी संस्था बढ़ेगी और देश बढ़ेगा.
उन्होंने कहा कि अपनी संस्था और देश के प्रति प्यार, सम्मान और भक्ति भाव जापान और कोरिया के लोगों से सीखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि आज कई विवि में बहुत से शिक्षक एवं पदाधिकारी कुलपति के खिलाफ बेनामी और फरजी शिकायती पत्र भेजने की नापाक हरकत में लगे रहते हैं, जिससे कुलपतियों को अपना महत्वपूर्ण समय और ऊर्जा विश्वविद्यालय की बेहतरी और समस्याओं के समाधान में लगाने के बजाय विभागीय उच्चाधिकारियों को सफाई देने में बरबाद करना पड़ता है.
डॉ शर्मा ने कहा कि संस्था से ही आपकी पहचान-प्रतिष्ठा है, इसलिए इसकी छवि और प्रगति को नुकसान पहुंचाकर अपना भला नहीं सोच सकते हैं. डॉ शर्मा ने कहा कि आनेवाले समय में केंद्र सरकार और आइसीएअार की अनुदान राशि में कमी हो सकती है, इसलिए कोई भी खर्च बहुत सोच-समझकर और जरूरी मद में ही करें. वर्तमान में समन्वित अनुसंधान परियोजनाओं में आइसीएआर का अंशदान 75 प्रतिशत तथा राज्यांश 25 प्रतिशत है, जो भविष्य में 50-50 प्रतिशत के अनुपात में हो सकता है. दिल्ली विवि अौर जेएनयू जैसे देश के अग्रणी विवि में पहले प्रति शिक्षक, वैज्ञानिक को 50-60 हजार रुपये वार्षिक राशि मिलती थी, जिसे घटाते-घटाते अब प्रति शिक्षक दस हजार रुपये कर दिया गया है. शिक्षकों ने बीएयू में करियर एडवांसमेट स्कीम के तहत लंबित प्रोन्नतियों को यथाशीघ्र कार्यान्वित कराने की दिशा में आवश्यक प्रयास करने का आग्रह समिति से किया.
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