‘प्रभात खबर’ ने 25 मई के अंक में एक्सपायर हो चुकी दवाओं का डेट बदल कर बेचे जाने से संबंधित खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी. इसमें दवाओं का लेबल आसानी से मिटने का प्रमाण भी दिया गया था. इस खबर को गंभीरता से लेते हुए राज्य आैषधि निदेशालय ने जांच का आदेश दिया है. औषधि निरीक्षकों को एक सप्ताह के अंदर जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है.
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औषधि निदेशालय का निर्देश: राज्य भर में होगी जांच, एक्सपायर दवाएं खपाने वालों पर कसेगा शिकंजा
रांची: राज्य औषधि निदेशालय की ओर से जारी आदेश में सभी औषधि निरीक्षकों से कहा गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र के सीएनएफ, थोक और खुदरा दवा विक्रेताओं के यहां जांच करें. यह सुनिश्चित करें कि एक्सपायर हो चुकी दवाओं का मैन्युफैक्चरिंग (उत्पाद तिथि) और एक्सपायरी डेट (खराब होने की तिथि) को बदल कर बाजार […]
रांची: राज्य औषधि निदेशालय की ओर से जारी आदेश में सभी औषधि निरीक्षकों से कहा गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र के सीएनएफ, थोक और खुदरा दवा विक्रेताओं के यहां जांच करें. यह सुनिश्चित करें कि एक्सपायर हो चुकी दवाओं का मैन्युफैक्चरिंग (उत्पाद तिथि) और एक्सपायरी डेट (खराब होने की तिथि) को बदल कर बाजार में नहीं बेचा जा रहा है. अगर ऐसा कोई मामला आता है, तो संबंधित व्यक्ति पर नियमानुसार कार्रवाई करें.
‘प्रभात खबर’ ने 25 मई के अंक में एक्सपायर हो चुकी दवाओं का डेट बदल कर बेचे जाने से संबंधित खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी. इसमें दवाओं का लेबल आसानी से मिटने का प्रमाण भी दिया गया था. इस खबर को गंभीरता से लेते हुए राज्य आैषधि निदेशालय ने जांच का आदेश दिया है. औषधि निरीक्षकों को एक सप्ताह के अंदर जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है.
दवाओं के लेबल को देखें, आसानी से तो नहीं मिट रहा : आैषधि निरीक्षकों को कहा गया है कि वह ऐसी दवाओं की भी जांच करें, जिनका लेबल आसानी से मिट जा रहा है. लेबल मिटने वाली दवाओं का सैंपल लिया जाये. सैंपल को औषधि निदेशालय को सौंपे, जिससे आगे की कार्रवाई की सुनिश्चित की जाये.
दवा निर्माताओें पर कसा जायेगा शिकंजा : राज्य औषधि निदेशालय के अधिकारियों की मानें, तो जांच रिपोर्ट के आधार पर दवा कंपनियों पर शिकंजा कसा जायेगा. दवा के लेबल के आसानी से मिट जाने की जानकारी आैषधि महानियंत्रक को भी दी जायेगी. औषधि महानियंत्रक से दवा कंपनियों को निर्देश देेने को कहा जायेगा कि वह कंपनियों का लेबल में इंडिलिबल इंक (न मिटने वाली स्याही) का प्रयोग करें.
औषधि महानियंत्रक को पत्र लिखेगा रिम्स
रिम्स प्रबंधन औषधि महानियंत्रक को दवाओं में इंडिलिबल इंक को सुनिश्चित कराने के लिए पत्र लिखेगा. रिम्स निदेशक डॉ बीएल शेरवाल ने कहा कि ऐसा मामला पहली बार दिखायी दे रहा है. औषधि महानियंत्रक डॉ जीएन सिंह से वह मिल कर इस संबंध में बातचीत करेंगे. रिम्स अस्पताल में भी थोक में दवा की खरीदारी की जाती है, जिसमें कई दवाओं में इंडिलिबल इंक का प्रयोग नहीं किया जाता है. ऐसे में सतर्कता बरतना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि टेक्निकल कमेटी ऑफ न्यू मॉल्युकल एंड ड्रग ट्रायल के सदस्य हैं. कमेटी की बैठक हर माह होती है, जिसमें भी वह यह मुद्दा उठायेंगे.
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