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तीन साल में कोई ढंग की नीति नहीं बना पायी केंद्र सरकार

जदयू का भाजपा पर करारा वार पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता व विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि भाजपा झूठ की खेती करने में माहिर है. केंद्र सरकार ने तीन साल में कोई ढंग की नीति भी नहीं बना पायी है. मुख्यमंत्री सह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने बार-बार कहा है […]

जदयू का भाजपा पर करारा वार
पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता व विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि भाजपा झूठ की खेती करने में माहिर है. केंद्र सरकार ने तीन साल में कोई ढंग की नीति भी नहीं बना पायी है. मुख्यमंत्री सह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने बार-बार कहा है कि राज्यों की असमानता दूर करने को तीन स्तरीय लघु, मध्यम और दीर्घकालीन रणनीति बननी चाहिए. ये असमानता के स्तर पर आधारित हो. सतत विकास के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए यह आवश्यक है.
देश की आजादी के बाद कई राज्यों का तेजी से विकास हुआ तो कई अन्य अभाव से ग्रसित रहे. वित्त आयोग की अनुशंसाएं और केंद्र की नीतियां भी राज्यों के बीच के इस अंतर को पाटने में असफल रही हैं. देश में विकास के टापू बन गये हैं. भाजपा के नेता सतही बातें करके अपने तीन साल की उपलब्धियों का जश्न मना रहे हैं, लेकिन देश के विकास की कोई रणनीति नहीं है.
संजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरा के रमना मैदान में सवा सौ लाख के विशेष पैकेज की घोषणा तो कर दी, लेकिन अब तक उस राशि से क्या विकास हुआ ये नहीं बताया. वहीं, 14वें वित्त आयोग द्वारा राज्यों को दिये जाने वाले हिस्से को 32 प्रतिशत से बढ़ा कर 42 प्रतिशत किये जाने को आधार बनाकर केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्यों को दी जाने वाली राशि काफी कम कर दी गयी.
इसका बिहार पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. वित्तीय वर्ष 2015-16 में बिहार के लिए केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्रांश की अनुमोदित राशि 23,988 करोड़ थी, जबकि सिर्फ 15,932 करोड़ रुपये ही मिले. 2016-17 में इसी मद में 28,777 करोड़ स्वीकृत थे. इनमें मात्र 17,143 करोड़ मिले. दो सालों में 19,690 करोड़ कम मिले. 14वें वित्त आयोग के फॉर्मूले को लागू करने के बाद केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में बिहार की वृद्धि केवल 17 प्रतिशत की हुई है.
जबकि अन्य राज्यों की संयुक्त हिस्सेदारी में वृद्धि 35 प्रतिशत की रही है. नये फॉर्मूले से कुल राशि में बिहार का हिस्सा 10.9 प्रतिशत से घटकर 9.66 प्रतिशत हो गया है. केंद्र सरकार बिहार को कोई खैरात नही दे रही है, लेकिन बिहार का वाजिब हक देने में भी केंद्र सरकार कोताही कर रही है. संजय सिंह ने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्र और राज्यों के बीच हिस्सेदारी 90:10 अनुपात में होनी चाहिए. केंद्र का हिस्सा 90 फीसदी होगा तो राज्य अपने संसाधनों का उपयोग अन्य विकास और कल्याणकारी योजनाओं में कर सकेगा.
बिहार में आधारभूत संरचना की कमी को देखते हुए भारत सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना में बीआरजीएफ के तहत 12 हजार करोड़ की स्वीकृति दी थी. इसमें 902 करोड़ की परियोजनाओं की स्वीकृति अब भी नीति आयोग में लंबित है. इसके अलावा 1248 करोड़ का प्रस्ताव भी लंबित है. कृषि उत्पादन की लागत पर 50 फीसदी जोड़ कर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की घोषणा भी नरेंद्र मोदी ने की थी, लेकिन अब तक इसकी घोषणा नहीं हुई.

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