इलाज के दौरान नौ वर्षीय बच्चे की मौत से आक्रोशित ग्रामीणों ने भिरखी पुल को जाम कर प्रदर्शन किया. भीषण गरमी में पांच घंटे तक सड़क जाम रहने से लोगों को भारी परेशानी हुई. सीओ ने ग्रामीणों को डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन देकर जाम खुलवाया.
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अस्पताल लेकर गये. वहां शव का पोस्टमार्टम करवाया.
इलाज के दौरान नौ वर्षीय बच्चे की मौत से आक्रोशित ग्रामीणों ने भिरखी पुल को जाम कर प्रदर्शन किया. भीषण गरमी में पांच घंटे तक सड़क जाम रहने से लोगों को भारी परेशानी हुई. सीओ ने ग्रामीणों को डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन देकर जाम खुलवाया. मधेपुरा : जिला मुख्यालय के कर्पूरी चौक स्थित […]
मधेपुरा : जिला मुख्यालय के कर्पूरी चौक स्थित निजी क्लिनिक में रविवार की रात इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गयी. इस पर सोमवार सुबह ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा.
सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने मुख्यालय स्थित भिरखी पुल को घंटों जाम कर डॉक्टर के खिलाफ प्रदर्शन किया. प्रदर्शन कर रहे ग्रामीण डॉक्टर के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे थे. वहीं ग्रामीणों ने प्रशासन से परिजनों को दस लाख मुआवजा देने की मांग की. इस दौरान जाम के कारण आवागमन पूर्णत: ठप पड़ गया. जाम से सैकड़ों वाहन सड़क पर घंटों खड़ी रही. सड़क जाम से आम राहगीर काफी परेशान रहे.
भीषण गर्मी के कारण जाम में फंसे यात्री एक बूंद पानी के लिए तरसते रहे. करीब पांच घंटे के बाद प्रशासनिक पहल पर जाम को समाप्त कर यातायात को बहाल किया गया. बताया जाता है कि भर्राही ओपी क्षेत्र के भदौल निवासी मिथुन कुमार के नौ वर्षीय पुत्र आशीष कुमार का रविवार को हाथ टूट गया था. अशीष का हाथ टूटने पर मिथुन कुमार ने उसे डाॅ सचिन के क्लिनिक में भरती कराया. वहां इलाज के दौरान आशीष की मौत हो गयी.
पांच घंटे तक रहा सड़क जाम. एनएच 107 सहरसा मधेपुरा मुख्य मार्ग पर स्थित भीरखी पुल को बच्चे की मौत से आक्रोशित लोगों ने पांच घंटे तक जाम कर दिया. शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाली इस सड़क पर पांच घंटे तक जाम रहने से स्थिति अस्तव्यस्त हो गयी. जाम के कारण कड़ी धूप में सैकड़ों गाड़ियां बीच सड़क पर खड़ी रही. इससे खास महिलाएं व बच्चे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. स्कूली बस के जाम में फंस जाने के कारण स्कूली बच्चे भूखे प्यासे गाड़ी में बैठे रहे. दिन के 12 बजे से शुरू जाम को हटाने के लिए शाम करीब पांच बजे सीओ मिथिलेश कुमार ,
एसआई संतोष कुमार दिक्षित, अरूण कुमार दल बल के साथ जाम स्थल पर पहुंचे. मौके पर कमांडो हेड विपीन कुमार के नेतृत्व में कमांडो दस्ता सक्रिय रहा. इस दौरान सीओ के आश्वासन पर जाम समाप्त किया गया. सीओ ने ग्रामीणों को आश्वास्त किया कि डॉक्टर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जायेगी. इस संबंध में सदर थानाध्यक्ष मनीष कुमार ने कहा कि परिजनों का फर्द बयान लिया गया है. आरोपी डॉक्टर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई की जायेगी.
बेहोशी के बाद फिर नहीं आया होश. प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने बताया कि आशीष के हाथ टूटने पर तत्काल डा सचिन के क्लिनिक में उसे भरती कराया गया. जहां डाक्टर ने इलाज के एवज में आशीष के पिता से मोटी रकम की मांग की. एकलौता पुत्र आशीष के लिए पिता ने तीस हजार रूपया कर्ज लेकर डॉक्टर को दिया तब आशीष का इलाज शुरू किया था. इलाज के दौरान डॉक्टर ने कहा कि हाथ में स्टील का रड लगाने के लिए ऑपरेशन करना होगा. इसके बाद डाक्टर आशीष को आपरेशन के लिए आपरेशन थियेटर में लेकर गये. वहां बेहोशी का सुई लगा कर आपरेशन शुरू किया गया. लेकिन आपरेशन के बाद आशीष को होश नहीं आया ही नहीं तब तक उसकी मौत हो चुकी थी.
मौत की आशंका पर भागे डॉक्टर व कर्मी. परिजनों ने बताया कि आपरेशन के दौरान ही आशीष की मौत होने की आशंका पर डाक्टर के साथ अन्य कर्मी क्लिनिक छोड़ फरार हो गये. देर रात क्लिनिक में एक कर्मी दिखायी दिया. कमी्र ने बताया कि आशीष की मौत हो गयी है शव को घर लेकर चले जाइये. लेकिन परिजनों ने आरोप लगाया कि डॉक्टर की लापरवाही से बच्चे की जान गयी. इसके बाद परिजन शव को घर के बदले सदर
अस्पताल लेकर गये. वहां शव का पोस्टमार्टम करवाया.
सिर्फ हाथ टूटने से कैसे गयी आशीष की जान
भर्राही ओपी क्षेत्र के भदौल पंचायत निवासी मिथुन कुमार का नौ वर्षीय बेटा आशीष रविवार को अपने घर के आंगन में पानी भर रहा था. पानी भरने के क्रम में वह फिसल गया और आशीष की हाथ टूट गयी. तब आशीष के पिता ने यह नहीं सोचा होगा कि सिर्फ हाथ टूटने से आशीष की जान चली जायेगी. हाथ टूटने का इलाज कराने के लिए परिजनों ने आशीष को मुख्यालय स्थित एक निजी क्लिनिक में भरती कराया था.
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