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मोदी सरकार के पास कश्मीर को लेकर कोई स्थिर नीति नहीं : कांग्रेस

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने कश्मीर के पुलवामा जिले में एक किक्रेट मैच से पहले पीओके का राष्ट्रगान बजाये जाने की घटना की कड़ी भर्त्सना करते हुए आज केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर कश्मीर को लेकर कोई स्थिर नीति नहीं होने का आरोप लगाया और कहा कि इस मामले में विपक्ष अपनी ओर से […]

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने कश्मीर के पुलवामा जिले में एक किक्रेट मैच से पहले पीओके का राष्ट्रगान बजाये जाने की घटना की कड़ी भर्त्सना करते हुए आज केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर कश्मीर को लेकर कोई स्थिर नीति नहीं होने का आरोप लगाया और कहा कि इस मामले में विपक्ष अपनी ओर से पहल करेगा. सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले में एक क्रिकेट मैच से पहले पाक अधिकृत कश्मीर का राष्ट्रगान बजाया जाना दिखाया गया है.

इस घटना के बारे में प्रश्न किये जाने पर कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने आज यहां संवाददातओं से कहा, ‘कांग्रेस ने इस प्रकार की राष्ट्रविरोधी घटनाओं की सदा से भर्त्सना की है. किन्तु हमें इससे जुड़े कई अन्य पक्षों पर भी विचार करना होगा. क्या पिछले तीन वर्षों में ऐसी घटनाओं में कई गुना वृद्धि नहीं हुई है. आप आंकड़े देख लीजिए.’

उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा जो सरकार सबसे अधिक राष्ट्रीयता का प्रवचन देती है, उसी के शासनकाल में यह सब क्यों हो रहा है. क्या यह विडंबना नहीं है. केंद्र में भी आपकी (भाजपा की) सरकार है और प्रदेश (जम्मू कश्मीर में पीडीपी-भाजपा की साझा सरकार) में भी आपकी सरकार है. हर दिन आपको (विपक्ष को) राष्ट्र विरोधी बताया जाता है और हर समय राष्ट्रप्रेम क्या होता है, इसकी परिभाषाएं दी जाती हैं. ताने कसे जाते हैं. अपमान किया जाता है.’

सिंघवी ने कहा कि आप कश्मीर में स्थिति सामान्य बनाने में असमर्थ क्यों हैं. आपकी सामर्थ्य केवल जुमलेबाजी और बयानबाजी तक ही है या आप जमीन पर कुछ काम करने का भी सामर्थ्य रखते हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर के मामलों में विपक्ष को भी साथ लेकर समस्या का हल निकाला जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो विपक्ष अपनी ओर से पहल करेगा.

हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं से बातचीत करने के बारे में सवाल पूछे जाने पर सिंघवी ने कहा, ‘हुर्रियत के साथ बातचीत होनी चाहिए नहीं होनी चाहिए, उन्हें कब नजरबंद किया जाना चाहिए या नहीं चाहिए, उनको लेकर पाकिस्तान से बातचीत तोड़ी जानी चाहिए या नहीं चाहिए…यह सब ऐसी बातें हैं जिस पर कोई स्पष्ट नीति होनी चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘हमारा आरोप है कि पिछले तीन साल सरकार की कश्मीर को लेकर कोई एक स्थिर नीति नहीं है. यह सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात है. हुर्रियत को लेकर पाकिस्तान से बात टूटी. फिर देश के बाहर बातचीत हुई. यह सब यूटर्न है, इससे गलत संदेश गया है.’

सिंघवी ने कहा कि कश्मीर में सरकार को छोडकर सभी लोग बहुत अत्यंत चिंतित हैं. विपक्ष की बात जाने दीजिए भाजपा के ही कई वर्ग जिसमें उनके एक पूर्व वित्त मंत्री शामिल हैं, सभी पक्षों से बातचीत करने के पक्ष में हैं. इस सरकार ने कश्मीर मामले की पिछले तीन साल में जो अवहेलना की है, उससे पिछले 25 वर्षों में उतनी कभी नहीं हुई.

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