भारत में लगातार कम होते नौकरी के अवसर चिंतित करनेवाले हैं और अब सरकार भी इस दिशा में गंभीरता से सोचने लगी है. हाल ही में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने नौकरी के अवसर को बढ़ाने के लिए देश के आर्थिक विकास दर को 8 से 10 प्रतिशत के उच्च स्तर पर लाने की बात कही है. सुब्रमण्यम का मानना है कि सूचना तकनीक, विनिर्माण और कृषि क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन नहीं करने से ही नौकरियों में कमी आयी है.
1.35 लाख नौकरियां सृजित हुईं वर्ष 2015 में, जबकि 2011 में इन्हीं क्षेत्रों से 9.3 लाख नौकरियां आयी थीं, श्रम ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार.3.8 प्रतिशत थी 2011-12 में बेरोजगारी दर, जो 2015-16 में बढ़कर 5 प्रतिशत पर पहुंच गयी.
ऐसे उत्पन्न होंगे नये अवसर
केवल उच्च आर्थिक विकास दर ही बेरोजगारी की समस्या से छुटकार नहीं दिला सकती है. नौकरियों का पर्याप्त मात्रा में सृजन तभी होगा, जब कृषि से लेकर उत्पादन और सेवा जैसे क्षेत्र भी अन्य क्षेत्रों की तरह विकास के पथ पर होंगे. उत्पादकता में सुधार के साथ-साथ श्रम बल का आधुनिकीकरण भी जरूरी है. सबसे पहले श्रम सुधार करना होगा, जिससे औपचारिक क्षेत्र में श्रम गतिशीतला बढ़े. श्रम सुधार के साथ ही सरकार को पूंजी और अवसंरचना जैसे नौकरी सृजन करनेवाले क्षेत्र पर भी व्यय करना होगा, जिससे निजी निवेश को बढ़ावा मिले. इस उपायों को अपनाकर नौकरी के अवसर पैदा किये जा सकते हैं.
क्या कहती है रिपोर्ट
– 1.75 से लेकर दो लाख नौकरियां कम होंगी अमूमन हर वर्ष अगले तीन वर्षों तक आइटी क्षेत्र में, एग्जिक्यूटिव सर्च फर्म हेड हंटर्स इंडिया के अनुसार.
– अगले तीन से चार वर्षों में आइटी सेवा फर्म के लगभग आधे पेशेवर बेकार हो जायेंगे, मैकिंसे की एक रिपोर्ट के मुताबिक.
– 50 से 60 प्रतिशत पेशेवरों को तकनीक में होनेवाले बदलाव के कारण फिर से प्रशिक्षित करना होगा, जो इस क्षेत्र के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
– 39 लाख पेशवर हैं वर्तमान में आइटी क्षेत्र में. इनमें से अधिकांश लोगों को पुन: प्रशिक्षित करने की जरूरत होगी.
– 35 साल और इससे अधिक उम्र के पेशेवर बदलते तकनीक के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे और उनके लिए नौकरी प्राप्त करना बेहद कठिन हो जायेगा. हेड हंटर्स इंडिया के संस्थापक-अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक लक्ष्मीकांत के मुताबिक.
इन कारणों से कम हो रही हैं नौकरियां
आइटी क्षेत्र में इन दिनों जो छंटनी हो रही है, उसका कारण तकनीक में बदलाव होना माना जा रहा है, लेकिन वर्तमान में हमारे देश में नौकरी के अवसर कम होने के अनेक कारण हैं.
– विश्व में सबसे ज्यादा युवा आबादी भारत में है. यहां के श्रमबल में हर वर्ष लगभग एक करोड़ लोग जुड़ जाते हैं. लेकिन इस रफ्तार से यहां नौकरयों का सृजन नहीं हाेता है. वर्ष 2014 के क्रिसिल स्टडी ने अनुमान जताया था कि 2011 से 2019 के बीच भारत के गैर-कृषि क्षेत्र में महज तीन करोड़ अस्सी लाख (38 मिलियन) नौकरियां ही आयेंगी.
– भारत पर बेरोजगारी का संकट मंडरा रहा है. यहां हर 10 लाख इंजीनियर में से 90 प्रतिशत से अधिक को नौकरी नहीं मिलती है. एआइ-वीआर, मशीन लर्निंग और डाटा साइंस जैसी नयी तकनीकें भी बेरोजगारी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.
– क्रिसिल के एक अनुमान के अनुसार, 2004-05 और 2011-12 के बीच कृषि क्षेत्र में रोजगार में तीन करोड़ 70 लाख की कमी आने के बावजूद 2011-12 और 2018-19 में एक करोड़ 20 लाख लोग कृषि श्रमबल का हिस्सा बनेंगे.
– जीडीपी में कृषि क्षेत्र का 15 प्रतिशत का योगदान है, लेकिन इस क्षेत्र से तकरीबन 45 प्रतिशत लोगों को रोजगार मिलता है. यानी कृषि क्षेत्र से जुड़ी नौकरियां तेज गति से देश के विकास में सहायक सिद्ध नहीं हो सकेंगी.
– साक्षरता दर (2001 में 6.8 प्रतिशत से 2011 में 74 प्रतिशत) और आकांक्षाएं दोनों ही बढ़ी हैं, लेकिन इसके बावजूद कम-उत्पादकता वाली नौकरी से लोगों के जुड़ने की दर बढ़ रही है.
– अर्थव्यवस्था पर कोई संकट नहीं है और वह 7 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, लेकिन यह नौकरी के सृजन में असफल रही है. क्रिसिल के अध्ययन के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में वित्तीय सेवा, रीयल एस्टेट, पेशेवर सेवा, लोक प्रशासन, रक्षा व सामुदायकि सेवा, व्यापार, होटल और रेस्तरां जैसे क्षेत्रों ने जीपीडी में काफी योगदान दिया है. इनमें से व्यापार, होटल और रेस्तरां को छोड़ दिया जाये, तो बाकी के सभी क्षेत्र न्यून-श्रम उत्पादकता वाले हैं. कृषि, विनिर्माण और उत्पादन जैसे क्षेत्र, जिनकी रोजगार प्रदान करने में स्थायी हिस्सेदारी है, वे जीडीपी ग्रोथ में कोई खास योगदान नहीं दे रहे हैं.
– वेतन वृद्धि के कारण भी यहां नौकरियों के अवसर कम हुए हैं. वेतन वृद्धि के कारण कई सारी बहुराष्ट्रीय कंपनियां यहां से अपने बैक ऑफिस को उन देशों में स्थानांतरित कर चुकी हैं, जो तुलनात्मक रूप से सस्ते हैं.
– उभरते हुए क्षेत्रों की कमी भी बेरोजगारी की प्रमुख वजहों में से एक है. जब किसी क्षेत्र में हायरिंग कम होने लगती है, तो दूसरे उभर रहे क्षेत्र स्थापित क्षेत्र की जगह लोगों को नौकरियां देने लगते हैं. लेकिन, इन दिनों ऐसे उभर रहे क्षेत्रों की कमी है, जो नौकरी की तलाश करने वालों की उम्मीद बन सकें.
नौकरियों की कमी पर क्या कहती है सरकार
– आइटी क्षेत्र में नौकरियों में छंटनी पर सरकार ने आश्वासन दिया है कि बड़े पैमाने पर छंटनी नहीं होगी, क्योंकि यह क्षेत्र 8-9 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहा है और इस वृद्धि में कमी आने की कोई संभावना
नहीं है.
– आइटी क्षेत्र ने पिछले ढाई वर्षों के दौरान पांच लाख नौकरयां दी हैं और आनेवाले समय में भी यह क्षेत्र और नौकरियों का सृजन करेगा.
– आइटी सेक्रेटरी अरुणा सुंदरराजन ने कहा है कि छंटनी की बात सही नहीं है, बल्कि नौकरी के सालाना अनुबंध को ये कंपनियां रिन्यू नहीं कर रही हैं, जो कि नियमित वार्षिक अप्रेजल साइकिल का हिस्सा है. हालांकि, सुंदरराजन ने यह भी कहा कि क्लाउड, बिग डाटा और डिजिटल पेमेंट के कारण आइटी उद्योग इन दिनों बदलाव के दौर से गुजर रहा है.
– सरकार ने इस संबंध में आइटी क्षेत्र से स्पष्ट तौर पर आश्वासन लिया है कि वे कर्मचारियों की छंटनी नहीं करेंगे.
क्या कह रही है नैसकॉम की रिपोर्ट
– भारतीय आइटी सेक्टर में हायरिंग जारी है और वर्ष 2016-17 में इसने 1.7 लाख लोगों को नौकरी प्रदान की है.
– इंडस्ट्री एसोसिएशन का इस संबंध में कहना है कि पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में अग्रणी आइटी कंपनियों ने 50,000 कर्मचारियों को रिक्रूट किया था. एसोसिएशन ने यह भी कहा कि यहां जो भी छंटनी हुई है, उसका आधार कर्मचारियों का खराब प्रदर्शन रहा है और यह छंटनी कुल श्रमबल का महज 0.5-3 प्रतिशत ही थी.
– नैसकॉम के अध्यक्ष आर चंद्रशेखर ने आइटी क्षेत्र में छंटनी से इनकार किया है, लेकिन उन्होंने ऑटोमेशन के कारण नौकरियों के जाने की बात स्वीकार की है. साथ ही यह भी कहा है कि इस क्षेत्र में नयी नौकरियों भी आ रही हैं.
– विशेषज्ञों का कहना है कि आइटी सेक्टर कई सालों से स्केल से स्किल की तरफ जाने पर जोर दे रहा है और इसी वजह से यहां टिके रहने के लिए नयी स्किल की जरूरत है.
– नैसकॉम के अनुसार, अागामी पांच वर्षों में आइटी क्षेत्र के 30 से 40 प्रतिशत श्रमबल नयी तकनीक के अनुसार खुद को बदल लेगी.
– टेक महिंद्रा के सीइओ व एमडी सी पी गुरनानी ने छंटनी को कुशलता की कमी से जोड़ते हुए कहा है कि पिछले वर्ष आइटी क्षेत्र ने 8 प्रतिशत से अधिक की दर से वृद्धि की थी जबकि रोजगार पांच प्रतिशत की दर से बढ़ा था.
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