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दो करोड़ जॉब का था वादा मिले बीस हजार भी नहीं : जदयू

पटना : जदयू ने केंद्र सरकार पर देश के युवाओं को धोखा देने का आरोप लगाया है और सात सवाल पूछे हैं. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह, प्रवक्ता नीरज कुमार और प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 2014 में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव से पहले दो करोड़ […]

पटना : जदयू ने केंद्र सरकार पर देश के युवाओं को धोखा देने का आरोप लगाया है और सात सवाल पूछे हैं. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह, प्रवक्ता नीरज कुमार और प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 2014 में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव से पहले दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन 20 हजार लोगों को भी नौकरी नहीं मिल सकी है.
सिंह ने कहा कि लोकसभा में प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने स्वीकार किया है कि 2013 के मुकाबले 2015 में केंद्रीय सेवाओं में 89 फीसदी की गिरावट आयी है. 2013 में 1,51,841 को नौकरी मिली थी, जबकि 2015 में 15,887 को ही नौकरी मिल सकी. वहीं, एससी-एसटी, बीसी-बीसी वन की हिमायती बनने वाली सरकार ने इनकी नौकरी में 90 फीसदी की कटौती की है.
2013 में 92,928 के मुकाबले 2015 में मात्र 8,436 लोगों को नौकरी दी गयी. उन्होंने कहा कि पटना के गांधी मैदान में आतंकी हमले में मारे गये छह लोगों के परिजनों को गोद लेने व नौकरी देने की बात कही गयी, लेकिन अब तक नहीं दी गयी. जब छह लोगों को नौकरी नहीं मिली तो दो करोड़ लोगों को कहां से मिलेगी. प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि नौकरी की संख्या घटी है और केंद्र रोजगार इकोनॉमी पढ़ा रही है.
केंद्र आंकड़ों के मामले में फिसड्डी साबित हो रही है. प्रधानमंत्री ने अपनी नौकरी तो ढूंढ़ ली है, लेकिन बाकी नौजवानों को छोड़ दिया है. नरेंद्र मोदी बहुराष्ट्रीय प्रधानमंत्री बन गये हैं और देश को सीट डाउन इंडिया बना दिया है. इस मौके पर प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि रोजगार में इतनी कमी तभी आ सकती है जब कोई स्पीड ब्रेक लगाये. नौकरी के मामले में देश पिछले 10 सालों में निचले पायदान पर है. 2050 तक स्थिति यह हो जायेगी कि 70 लाख नौकरी कम हो जायेगी.
जदयू ने पूछे सात सवाल
दो करोड़ नौकरियों का वादा करने वाली केंद्र सरकार 20 हजार नौकरी भी क्यों नहीं दे पा रही है?
एससी-एसटी व अन्य पिछड़ी जातियों की भरती में 90% की आयी कमी.
युवाओं को हसीन सपना दिखाकर नौकरी में 89 प्रतिशत की कटौती की गयी, यह युवा विरोधी नहीं?
छह माह में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में सिर्फ 12 हजार नौकरियां पैदा हुईं.
आइटी क्षेत्र व अन्य प्राइवेट क्षेत्र में भारी छंटनी चल रही है, 10 लाख लोगों को निकाले जाने की संभावना
बेरोजगार युवाओं से कैसे राष्ट्र का निर्माण करेंगे, भारत कैसे बनेगा विश्व का शक्ति?
भाजपा कार्यकर्ताओं के बच्चों को क्या सरकारी नौकरी मिल रही है? सपनों के भारत में क्या सिर्फ पूंजीपतियों को मिलेगी जगह.

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