उनके इस आविष्कार को पैसिव सोलर वॉल नाम मिला है. ये एक कूलिंग प्रणाली का इक्यूपमेंट हैं. पैसिव सोलर वॉल कूलिंग इक्युपमेंट है, जो एक आयताकार वाटर टैंक है, जिसे दीवार के अंदर फिट किया जाता है और सबसे बड़ी बात ये कि अन्य एसी की तरह की कूलिंग प्रदान करेगा. इस नये कूलिंग इक्यूपमेंट से बिजली में भी 50 प्रतिशत तक की बचत होगी, जिसकी खास वजह है, इसका दीवारों को अंदर से ठंडा करना. छात्र मौर्य ने बताया कि यह वाटर टैंक पारंपरकि टैंकरों की तुलना में अलग है, क्योंकि इसका सतही क्षेत्र काफी अधिक है.
टैंक तक ज्यादा से ज्यादा हवा पहुंच सके और इसको ठंडा होने में मदद मिले, इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है इसमें. यह भविष्य में एसी का विकल्प बन सकता है. गरमी के मौसम में घर की कुल बिजली खपत में लगभग 35 फीसदी भागीदारी एसी की है और प्रतिवर्ष 1.5 टन कार्बन का उत्सर्जन करती है.