यह छोटी लाइन की ट्रेन है, जो पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाइगुड़ी व दार्जिलिंग के बीच चलती है. यह मार्ग 78 किलोमीटर लंबा है और इसका निर्माण 1879 से 1881 के बीच हुआ था. ब्रिटिश कल में बने इस रेल मार्ग को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया है. दार्जिलिंग रेलवे की भाप इंजनों का रखरखाव एक बड़ी चुनौती है.
एचइसी ने जब टॉय ट्रेन के उपकरण बनाने की इच्छा जाहिर की, तो नार्थ-इस्ट रेलवे ने इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया. इसके बाद अक्टूबर माह में एचइसी के एक प्रतिनिधिमंडल ने नार्थ-इस्ट फ्रंटियर के महाप्रबंधक के साथ बैठक की और उपकरणों की अावश्यकता के बाबत जानकारी ली. इसके बाद दिसंबर में नार्थ-इस्ट फ्रंटियर की एक टीम एचइसी के दौरे पर आयी और एचइसी के उपलब्ध सुविधा के बारे में जानकारी ली. अधिकारी एचइसी में उपलब्ध सुविधा से प्रभावित हुए और तय किया गया कि जल्द ही एमओयू किया जायेगा.
श्री घोष ने बताया कि एचइसी पूर्व में भी रेलवे के लिए कई बड़े-बड़े उपकरणों का निर्माण कर चुका है. एमओयू पांच वर्षों के लिए हुआ है. एचइसी को रेलवे के साथ एक बार फिर जुड़ने का मौका मिलेगा, जो भविष्य में एचइसी के लिए बहुत ही कारगर साबित होगा. उन्होंने कहा कि छह माह के अंदर नार्थ-इस्ट फ्रंटियर के लिए उपकरणों का डिस्पैच शुरू कर दिया जायेगा.