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स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड : जब गारंटी दी गयी है तो मत्था टेकने बैंक क्यों बुलाते छात्रों को

सीएम ने जतायी नाराजगी, कहा पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं के लिए राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘स्टूटेंड क्रेडिट कार्ड (एससीसी)’ को लागू करने में बैंक की लापरवाही पर नाराजगी जतायी. बुधवार को राज्यस्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की 60वीं बैठक में उन्होंने कहा कि जब सरकार एक-एक चीज की गारंटी दे रही है, […]

सीएम ने जतायी नाराजगी, कहा
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने युवाओं के लिए राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘स्टूटेंड क्रेडिट कार्ड (एससीसी)’ को लागू करने में बैंक की लापरवाही पर नाराजगी जतायी. बुधवार को राज्यस्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की 60वीं बैठक में उन्होंने कहा कि जब सरकार एक-एक चीज की गारंटी दे रही है, तो फिर छात्रों को बैंकवाले अपने पास ‘मत्था टेकने’ के लिए क्यों बुलाते हैं? छानबीन या पूछताछ करने के नाम पर उन्हें बेमतलब क्यों दौड़ाया जाता है?
सीएम ने बैंकों को सख्त हिदायत दी कि वे एससीसी देने में टाल-मटोल नहीं करें. यह योजना अभी टेक ऑफ की स्थिति में है. इसमें बैंकों को किसी तरह का नुकसान नहीं है. जब राज्य सरकार हर तरह से जांच-पड़ताल करने के बाद बैंकों के पास किसी छात्र का आवेदन स्वीकृत करने के लिए भेजती है, तो फिर बैंकवाले उस पर क्या इंक्वायरी करते हैं?
बार-बार छात्रों को नाहक बुला कर जबरन क्या पूछताछ करते हैं? क्या राज्य सरकार से बड़ी एजेंसी बैंक है, जो सरकार के स्तर से तमाम इंक्वायरी होने के बाद फिर से जांच करता है. सीएम ने बैंकों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ऋण खासकर शिक्षा ऋण देने में इतनी शर्तें लगायी जाती हैं कि गरीब पढ़ ही नहीं सकते हैं. राज्य में महज 13.9% छात्र कॉलेजों या उच्च शिक्षण संस्थानों में नामांकन करवाते हैं, जिसे बढ़ा कर 30-40% करने की योजना है. इसमें एससीसी बेहद कारगर साबित होगा. इसके लिए बैंकों को खासतौर से सहयोग करने की जरूरत है. बैंक अभी एजुकेशन लोन सिर्फ तकनीकी शिक्षा पानेवालों ही देते हैं, जबकि एससीसी में चार लाख तक का ऋण किसी तरह की उच्च शिक्षा ग्रहण करनेवाले छात्रों को दिया जाता है. बैंक अपनी जवाबदेही समझें.
बैंकों की सुरक्षा के लिए जल्द एसआइएसएफ
सीएम ने कहा कि राज्य में बैंक समेत अन्य संस्थानों और उद्योगों की सुरक्षा करने के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के तर्ज पर राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल का गठन होने जा रहा है.
इसकी दो कंपनियों का गठन किया जायेगा. एक का मुख्यालय बेगूसराय और दूसरे का डुमरांव में होगा. मंजूरी दे दी गयी है, जल्द ही अधिसूचना जारी कर दी जायेगी. बैंकों के राज्य में मौजूद 136 करेंसी चेस्ट की सुरक्षा में इन्हें खासतौर से लगाया जायेगा. उन्होंने कहा कि अक्सर वारदातों के बाद यह पता चलता है कि बैंक मैनेजर ने थोक करेंसी के मूवमेंट के बारे में कोई जानकारी ही संबंधित थाने को नहीं दी है, जो बहुत गलत है. ऐसी घटना होने से सरकार की बदनामी होती है.
शाखा खोलने में लापरवाही नहीं बरतें बैंक
उन्होंने कहा कि बैंक शाखाएं खोलने में काफी लापरवाही बरतते हैं, जो चिंताजनक है. वर्ष 2016-17 में सभी बैंकों को 1640 शाखाएं खोलने का लक्ष्य दिया गया था, जिनमें 183 ही खुल पायी. अगर पांच हजार की आबादी पर एक शाखा नहीं खोल पाते हैं, तो कम से हर पंचायत में बैंक की एक शाखा खोली जाये. जहां शाखा खोलने के लिए बुनियादी ढांचे की जरूरत है, वहां पंचायत सरकार भवन देने के लिए सरकार तैयार है. लेकिन, आज तक किसी बैंक ने इसके लिए कोई प्रस्ताव ही नहीं दिया.
बैंकों से सहयोग नहीं मिलने से बन रहे विकास के टापू
आज केंद्र सरकार से लेकर हर तरफ डिजिटल लेन-देन पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन बैंकों के सहयोग के बिना यह संभव नहीं है. रूपे कार्ड को लोकप्रिय बनाएं. जो भी विकसित राज्य हैं, उनमें कैश-क्रेडिट रेशियो 100 से भी ज्यादा है. लेकिन, बिहार में यह महज 43% है. समूचे देश के सर्वांगीण विकास के लिए सभी राज्यों का समुचित विकास बेहद जरूरी है. सभी राज्यों का एक समान रूप में विकास नहीं होने से देश में विकास के टापू बन गये हैं.
रांची. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि जब गैर आदिवासी को ही झारखंड का मुख्यमंत्री बनाना था, तो इस राज्य को बिहार से अलग करने की जरूरत क्या थी. वह बुधवार को मोरहाबादी मैदान में आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से आयोजित ‘सरकार गिराओ, झारखंड बचाओ महारैली’ को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, हालांकि कानून में किसी के भी मुख्यमंत्री बनने की कोई रुकावट नहीं है. किसी भी पार्टी को यह तय करने का अधिकार है कि मुख्यमंत्री कौन होगा.
इस पर प्रश्नचिह्न नहीं उठाता हूं, पर आखिर झारखंड गठन की मूल भावना क्या थी. किसी से मेरा व्यक्तिगत द्वेष या किसी प्रकार का दुराग्रह नहीं है, लेकिन यह झारखंड की भावना की बात है. बिहार से झारखंड अलग होने पर हम सब लोगों ने समर्थन किया था. लेकिन, जब यहां गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बना, तो आश्चर्य हुआ. उम्मीद थी कि अलग राज्य बनने पर झारखंड तरक्की करेगा. एक नंबर का स्टेट बनेगा, लेकिन जो कुछ हो रहा है, हम सब देख रहे हैं.

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