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पुलिस की शिथिलता से फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड को मिल रहा मौका

मुजफ्फरपुर : बहाली परीक्षा में फर्जीवाड़ा मामले को मुजफ्फरपुर पुलिस गंभीरता से नहीं ले रही है. यहीं कारण है कि खुलासे के बाद भी ऐसे मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. हाल के दिनों में बहाली के लिए आयोजित परीक्षा के दौरान फर्जीवाड़ा के कई मामले सामने आये. केंद्रों से पकड़े गये अभ्यर्थी […]

मुजफ्फरपुर : बहाली परीक्षा में फर्जीवाड़ा मामले को मुजफ्फरपुर पुलिस गंभीरता से नहीं ले रही है. यहीं कारण है कि खुलासे के बाद भी ऐसे मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. हाल के दिनों में बहाली के लिए आयोजित परीक्षा के दौरान फर्जीवाड़ा के कई मामले सामने आये. केंद्रों से पकड़े गये अभ्यर्थी सेटरों के नाम सहित कई खुलासे भी किये. लेकिन पुलिस उक्त मामलों में कार्रवाई के बजाय हाथ पर हाथ रखे बैठी है. पुलिस के इस निष्क्रियता का फायदा इसमें शामिल माफिया उठा रहे हैं.

खुलासे का सत्यापन भी नहीं कर पा रही पुलिस. हाल में बिहार कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा केंद्र मुखर्जी सेमिनरी से ब्लूटूथ के सहारे चोरी करते अभ्यर्थी अवनीश की गिरफ्तारी हुई थी. पूछताछ के दौरान उसने मिठनपुरा पुलिस को इसमें शामिल सेटरों के नामों का भी खुलासा किया था. साथ ही इस रैकेट को चलानेवाले कई माफियाओं की जानकारी भी पुलिस को दी थी. लेकिन अवनीश के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर उसे जेल भेजने के बाद पुलिस उसके बयान का सत्यापन करने के बजाय शिथिल हो गयी.
जबकि जेल जाने से पूर्व अवनीश ने पुलिस को ब्लुटूथ पर उत्तर बता रहें पटना के एक लॉज में रहनेवाले युवक के साथ ही उसका मोबाइल नंबर भी दिया था. तीन माह से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी पुलिस पटना के उक्त लॉज का सत्यापन या उसके द्वारा दिये गये मोबाइल का सी डी आर ही निकाल पायी है. जनवरी में भगवानपुर स्थित एक कंप्यूटर केंद्र से रेलवे भरती बोर्ड की ऑनलाइन परीक्षा में अभ्यर्थियों की जगह दो स्कॉलर को परीक्षा देते पकड़े गये थे.
पकड़े गये समस्तीपुर निवासी स्कॉलर प्रमोद कुमार और पटना के निरंजन कुमार ने इस रैकेट से जुड़े लोगों के नामों का खुलासा भी कर दिया था. रैकेट में शामिल माफिया पटना के बताये गये थे. सदर थाना पुलिस इस मामले की प्राथमिकी दर्ज कर पकड़े गये युवकों को जेल भेज दिया था. प्राथमिकी के ढाई माह बाद भी पुलिस उक्त रैकेट में शामिल माफियाओं का सत्यापन करने के बजाय टालमटोल कर रही है. इधर जेल भेजे गये दोनों स्कॉलर को न्यायालय से जमानत भी मिल चुकी है.
बीएमपी बहाली फर्जीवाड़ा मामला भी ठंडे बस्ते में
दो वर्ष पूर्व बीएमपी सिपाही बहाली में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया था. जांच के दौरान फर्जीवाड़ा कर नौकरी पाये आठ अभ्यर्थियों की गिरफ्तारी भी हुई थी. इनमें से कई तो गिरफ्तारी के भय से ट्रेनिंग के दौरान ही फरार हो गये थे. बीएमपी-6 और बीएमपी-15 के पदाधिकारियों ने इस मामले में मिठनपुरा थाना में प्राथमिकी भी दर्ज करायी थी. साथ ही पकड़े गये लोगों से पूछताछ के बाद मिले साक्ष्य को भी जांच अधिकारी को सुपुर्द करते हुए कार्रवाई का निर्देश दिया था.
बीएमपी अधिकारियों ने मिठनपुरा पुलिस को अभ्यर्थियों को पास कराने का जिम्मा लेकर परीक्षा केंद्रों पर स्कॉलर भेजने वाली कोचिंग संस्थानों के नामों से संबंधित साक्ष्य भी उपलब्ध कराया था. लेकिन इस मामले की जांच कर रहे अनुसंधानक की निष्क्रियता से उक्त संस्थानों का सत्यापन भी नहीं हो पाया है.

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