बीजिंग : रविवार को बीजिंग में ‘बेल्ट एंड रोड फोरम’के उदघाटन समारोह में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल को सदी की परियोजना बताया और कहा कि इससे पूरी दुनिया के लोगों को लाभ होगा. 29 देशों के प्रमुखों तथा 130 देशों तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में शी ने 45 मिनट तक भाषण दिया और एलान किया कि चीन नये सिल्क रूट के कोष में 14.5 अरब डॉलर की अतिरिक्त राशि का योगदान देगा.
यह कोष 2014 में अवसंरचना संबंधी परियोजनाओं की फंडिंग के लिए गठित किया गया था. चीन के नये एलान के बाद इस कोष की कुल राशि 55 अरब डॉलर हो जायेगी. इसके अलावा 8.75 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल में हिस्सा लेनेवाले देशों को दी जायेगी, ताकि ये देश लोगों के कल्याण के लिए और परियोजना शुरू कर कर सकें.
शी ने कहा कि शांति के दौर में प्राचीन रेशम मार्ग समृद्ध होते रहे, लेकिन युद्ध के दौर के साथ उनकी आभा धूमिल हो गयी. ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल के लिए शांतिपूर्ण एवं स्थिर माहौल जरूरी है. हमें नये तरह के अंतरराष्ट्रीय संबंध बनाने होंगे, जो सभी के लिए सहयोगात्मक हों. चीन इसके तहत एशिया, यूरोप और अफ्रीका को सड़क मार्ग, रेलमार्ग एवं बंदरगाह से जोड़ेगा. यानी दुनिया के करीब 65 देश से चीन जुड़ जायेगा.
* भारत ने क्यों किया बहिष्कार?
भारत का सबसे बड़ा ऐतराज पाकिस्तन को चीन से जोड़नेवाले सीपीइसी को लेकर है. ये कॉरिडोर पीओके के गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके से गुजरेगा. भारत इसे अपनी स्वायत्ता का हनन मानता है. गिलगित, हुंजा, स्कर्दु और घिजेर में सैकड़ों छात्र और राजनीतिक संगठन विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.
* बीजिंग को राजनीतिक लाभ
चीन इस परियोजना के माध्यम से राजनीतिक और आर्थिक लाभ लेने के फिराक में है. बीजिंग को उम्मीद है कि चीन में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या खत्म होगी. मौजूदा समय में चीन में स्टील, सीमेंट समेत कई वस्तुओं का उत्पादन बढ़ गया है और देश में खपत कम हो गयी है. इसे खपाने की फिराक में है.
* एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करें : जिनपिंग
भारत ने पीओके से होकर गुजरनेवाले विवादित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीइसी) को लेकर संप्रभुता संबंधी चिंताओं के चलते रविवार को चीन के ‘बेल्ट एंड रोड फोरम’ का फोरम का बहिष्कार किया है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भारत को ‘ज्ञान’ देने के लहजे में कहा कि सभी देशों को एक-दूसरे की संप्रभुता, मर्यादा और भूभागीय एकता का, एक-दूसरे के विकास के रास्ते का, सामाजिक प्रणालियों का और एक-दूसरे के प्रमुख हितों तथा बड़ी चिंताओं का सम्मान करना चाहिए.
शी जिनपिंग ने प्राचीन रेशम मार्ग का संदर्भ दिया और सिंधु-गंगा सभ्यताओं सहित विभिन्न सभ्यताओं के महत्व पर प्रकाश डाला. शी ने कहा कि चीन का इरादा स्थिरता को प्रभावित करने के लिए छोटा समूह बनाने का कतई नहीं है. चीन की योजना ऐसी मार्ग बनाने की है, जो शांति के लिए हो और एशिया, यूरोप तथा अफ्रीका के ज्यादातर हिस्सों से उनके देश को जोड़े.
* छह गलियारों से ऐसे एशिया, यूरोप और अफ्रीका से जुड़ेगा चीन
एशिया और पूर्वी यूरोप के देशों की ओर. चीन की पहुंच किर्गिस्तान, ईरान, तुर्की से ग्रीस तक होगा. मध्य एशिया से होते हुए पश्चिम एशिया और भू-मध्यसागर की ओर. इस रास्ते से चीन, कजाकिस्तान और रूस तक जमीन के रास्ते कारोबार कर सकेगा. दक्षिण एशियाई देश बांग्लादेश की तरफ जायेगा. पाक के बंदरगाह ग्वादर को पश्चिमी चीन से जोड़ने की योजना पर काम चल ही रहा है.
* ये हैं परियोजनाएं
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा
न्यू यूरेशियन लैंड ब्रिज
चीन-मध्य एशिया-पश्चिम एशिया आर्थिक गलियारा
चीन-मंगोलिया-रूस आर्थिक गलियारा
बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक गलियारा
चीन-इंडोचाइना-प्रायद्वीप आर्थिक गलियारा
* राजनीति न हो
अरबों डॉलर की परियोजना क्षेत्र के सभी देशों के लिए खुली है. इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. ओबीओआर इस बात को दर्शाता है कि भू-अर्थशास्त्र को भू-राजनीति पर तवज्जो मिलनी चाहिए. हम इसे आतंकवाद और चरमपंथ से निजात पाने के रास्ते के तौर पर देखते हैं.
नवाज शरीफ, प्रधानमंत्री, पाकिस्तान